प्रशिक्षु आरपीएस व अनुसंधान अधिकारी अदीति चौधरी ने बताया कि राजेश ने सोना, चांदी और जिंक में वायदा कारोबार किया। उसे बैंक से बाईस हजार रुपए प्रतिमाह वेतन मिलता था। इससे वह खुश नहीं था। जल्द अमीर बनने के लालच में उसे वायदा कारोबार का चस्का लगा। शुरुआत में उसने अपने वेतन से बचाई हुई राशि में इसमें लगाई। वह खुलकर राशि नहीं लगा पा रहा था। एेसे में उसने बैंक की राशि वायदा कारोबार में लगाने की योजना बनाई।
शर्ट बाहर रखता, इससे शक नहीं हो पाया राजेश बैंक से नोटों की गड्डियां ले जाने लगा। वह शर्ट पेंट के अंदर डालकर नहीं रखता था। कपड़ों में गड्डी से उसकी जेब फूली नजर नहीं आती। नोट की गड्डी कपड़ों में छिपा लेता और इंटरवेल में बाहर जाकर वायदा कारोबारी को दे देता था।
मारने लगा बड़ा हाथ
डेढ़ साल से बैंक से राशि बाहर जा रही थी। शुरुआत में वह डेढ़-दो लाख रुपए ले जाता था। वायदा कारोबार और क्रिकेट सट्टे ने उसे डुबो दिया। कर्जा चढ़ा तो भरपाई के लिए चार माह से बड़ी रकम रोजाना बाहर ले जाता रहा।
मोबाइल खोलेगा राज पुलिस को राजेश के मोबाइल की तलाश है। आरोपी राजेश ने बताया कि वह वायदा कारोबार का हिसाब मोबाइल में रखता था। उसे शनिवार को हिरासत में लेने दौरान मोबाइल उसके पास नहीं मिला।
गौरतलब है कि बैंक प्रबंध संचालक धर्मेन्द्र वर्मा ने कोतवाली में 1 जनवरी को गबन का मामला दर्ज कराया था। तभी से राजेश फरार था। कोतवाली पुलिस ने उसे शनिवार को उसे सुवाणा के निकट से गिरफ्तार कर लिया था।