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चालक और पंपकर्मियों के साहस को सलाम:  पेट्रोल भराते देखी लपट, पंप से 150 मीटर दूर दौड़ाकर ले गया वैन, बड़ा हादसा टला

चित्तौड़ रोड पर अण्डरब्रिज के निकट रविवार शाम चालक और पंपकर्मियों की सूझबुझ ने बड़ा हादसा टाल दिया

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पम्प पर पेट्राल भराने गए युवक की वैन के इंजन में आग लग गई। लपट देख चालक वाहन को पम्प से डेढ़ सौ मीटर दूर ले गया व आग बुझाई।

भीलवाड़ा।

चित्तौड़ रोड पर अण्डरब्रिज के निकट रविवार शाम चालक और पंपकर्मियों की सूझबुझ ने बड़ा हादसा टाल दिया। पम्प पर पेट्राल भराने गए युवक की वैन के इंजन में आग लग गई। लपट देख चालक वाहन को पम्प से डेढ़ सौ मीटर दूर ले गया व आग बुझाई। मालूम हो, कोटा में बीते वर्ष पेट्रोल पंप पर आग ने तबाही मचाई थी।

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जानकारी के अनुसार वैन का रेडिटर ठीक कराने के बाद चालक वाहन को पेट्रोल पम्प पर लाया। यहां पेट्रोल भराते समय चालक सीट के नीचे धुंआ निकला। लपटें देख चालक बाबूराम वैन को सड़क पार कर डेढ़ सौ मीटर दूर ले गया। वैन को धकेल कर दूर ले जाने में पम्प कर्मचारियों ने भी सहयोग किया। पम्प पर अफरा-तफरी मच गई।

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पम्प कर्मचारी आग बुझाने के यंत्र लेकर वैन के पास पहुंचे व आग पर काबू पाया। दमकल भी पहुंच गई। चालक सीट जल गई। दमकल कर्मियों ने उसे खोलकर आग बुझाई। आग का कारण पेट्राल लीकेज माना जा रहा है। पम्प संचालक अशोक मूंदड़ा ने बताया कि हादसे के समय पम्प पर 4 हजार लीटर पेट्रोल व 8 हजार लीटर डीजल स्टोरेज था। इसके अलावा पेट्रोल से भरा टैंकर भी समीप ही खड़ा था।

हादसा होता तो कितनी बड़ी तबाही होती, इसका अंदाजा भी नहीं लगा सकते। दूसरी तरफ पम्प कर्मचारी भगवानलाल दरोगा, शंकरलाल कुमावत, गणेश शर्मा व बंशीलाल ने वैन से धुआं देख वाहन को दूर ले जाने में मदद की। दो साथी अग्निशमन यंत्र लेकर आए और आग पर काबू पाया। रविवार को दिन का पारा 43 डिग्री तो शाम का पारा ३० था। एेसे में तापमान आग में घी का काम करता।


एक पल फूले हाथ-पैर, दूसरे पल जुटाई हिम्मत
वैन चालक बाबूलाल ने बताया कि वैन में लपटें देखकर एक बार तो मेरे हाथ-पैर फूल गए। लेकिन दूसरे पल हिम्मत जुटाई और तेजी से वैन को मोड़ते हुए दूर सुरक्षित स्थान पर ले गया। इस दौरान दिमाग में एक ही बात थी। कहीं जनहानि ना हो जाए।


पीछे रेलवे टे्रक था तो आगे भारी भीड़
गनीमत रही हादसा नहीं हुआ। अन्यथा इस दौरान क्षेत्र में वाहनों की रेलमेपल के साथ ही बड़ी संख्या में आसपास की दुकानों व केबिनों पर मौजूद थे। यहीं नहीं पम्प के पीछे रेलवे टे्रक पर विद्युतीकरण के लिए आई अतिआधुनिक मशीनें भी काम कर रही थी।