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सामने आया कि चंबल परियोजना के अधिकारी प्रतिदिन शहर को 50 लाख लीटर पानी कम दे रहे थे जबकि दावे बराबर के बता रहे। इससे चम्बल व जलदाय अधिकारियों में विवाद बढ़ गया। दोनों इसे एक-दूसरे की जिम्मेदारी बता रहे हैं। उधर, विवाद का खमियाजा शहरवासी भुगत रहे हैं। प्रतिदिन 50 लाख लीटर पानी कम मिलने से शहर में बराबर जलापूर्ति नहीं पा रही। विभाग को मजबूरी में ककरोलिया का सहारा लेकर आपूर्ति करनी पड़ रही है।
सामने आया कि चंबल परियोजना के अधिकारी प्रतिदिन शहर को 50 लाख लीटर पानी कम दे रहे थे जबकि दावे बराबर के बता रहे। इससे चम्बल व जलदाय अधिकारियों में विवाद बढ़ गया। दोनों इसे एक-दूसरे की जिम्मेदारी बता रहे हैं। उधर, विवाद का खमियाजा शहरवासी भुगत रहे हैं। प्रतिदिन 50 लाख लीटर पानी कम मिलने से शहर में बराबर जलापूर्ति नहीं पा रही। विभाग को मजबूरी में ककरोलिया का सहारा लेकर आपूर्ति करनी पड़ रही है।
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विभाग का मानना है कि जो पानी की कटौती की जा रही उस पानी को गांवों में टेस्टिंग में बहाया जा रहा है। इससे शहर को पानी कम मिल रहा। उधर, चम्बल अधिकारियों का कहना है कि दो-तीन दिन बिजली सप्लाई पूरी नहीं मिलने से कुछ समय जरूर समस्या आई थी।
विभाग का मानना है कि जो पानी की कटौती की जा रही उस पानी को गांवों में टेस्टिंग में बहाया जा रहा है। इससे शहर को पानी कम मिल रहा। उधर, चम्बल अधिकारियों का कहना है कि दो-तीन दिन बिजली सप्लाई पूरी नहीं मिलने से कुछ समय जरूर समस्या आई थी।
इसलिए शुरू हुई पानी पर रार गर्मी के कारण शहर के कई इलाकों में समय पर जलापूर्ति नहीं हो पाई। समय पर टंकी नहीं भर पाने पर विभाग ने कोटा रोड पर विद्या निकेतन के पीछे हैड वक्र्स टंकी के मीटर की जांच की। रीडिंग पर नजर रखने से सामने आया कि जितना पानी आना परियोजना अधिकारी बता रहे है। उसका साढ़े बारह प्रतिशत पानी कम मिला। विभाग का माना है कि साढ़े चार करोड़ लीटर पानी रोज आना चाहिए।पर 50 लाख लीटर पानी कम मिल रहा।
दावा सही तो ककरोलिया की क्या जरूरत चम्बल परियोजना के अधिकारी जलदाय विभाग की रीडिंग को सही नहीं बता रहे। उनका मानना है कि पूरा पेयजल आरोली से आ रहा है। विभाग का कहना है कि पूरा पानी आता तो ककरोलिया घाटी से 50 से 60 लाख लीटर पानी लेकर सप्लाई की नौबत नहीं आती। अभी मेजा बांध से 60 से 70 लाख लीटर पानी लिया जा रहा है। इसे लेकर विभाग ने परियोजना अधिकारियों को पत्र लिखकर भी स्थिति से अवगत कराया।
पर्याप्त बिजली नहीं मिलने से पड़ा असर
चम्बल परियोजना में पूरा पानी सप्लाई कर रहे हैं। पिछले दिनों बारिश के कारण पर्याप्त बिजली नहीं मिल पाने से जलापूर्ति पर कुछ असर पड़ा था। लेकिन अब हमने इसमें सुधार कर लिया। जलदाय विभाग ने पानी का मेजरमेंट सही नहीं किया। यह बात पूरी तरह गलत है कि हम विभाग को 50 लाख लीटर पानी कम दे रहे हैं। चंबल आने के बाद शहर में जलापूर्ति सुधरी है।
डीके मित्तल, अधीक्षण अभियंता, चम्बल परियोजना