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यार्न में तेजी, कपड़ा उत्पादन पर अब लागत का संकट

कपड़ा व्यापारी डेढ साल में तीसरी बार संकट में हैं

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Yarn speed in bhilwara

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भीलवाड़ा।
कपड़ा व्यापारी डेढ साल में तीसरी बार संकट में हैं। नवम्बर 2016 में नोटबंदी और एक जुलाई 2017 में वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) लगाने के बाद लंबे समय तक उद्योग पर खासा असर पड़ा था। उद्यमियों को आन्दोलन तक करना पड़ा। जीएसटी से बड़ा झटका लगा क्योंकि इसकी पालना मुश्किल हो गई थी।

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कपड़े की लागत भी बढ़ गई थी। बीते एक माह में पॉलिएस्टर धागे की कीमतें 10 से 12 प्रतिशत तथा तीन माह में लगभग 30 फीसदी के बीच बढ़ गईं। अन्य लागत के साथ कपड़े की लागत में 30 प्रतिशत से अधिक का इजाफा हुआ है।

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यह ऐसे समय में हो रहा है कि जब कपड़े की मांग कम है। स्कूली ड्रेस का सीजन निकल गया है। अधिमास के कारण त्योहार एक महीने की देरी से शुरू होंगे। कपड़ा व्यापारियों का कहना है कि जीएसटी के बाद उत्पादन में काफी गिरावट आई है। कई ने उत्पादन घटा दिया। अब धागे की बढ़ती कीमतों ने उत्पादन कम करने को मजबूर कर दिया। यार्न व्यापारी का कहना है कि यार्न कीमतों में वृद्धि के पीछे मुख्य कारण कच्चे तेल की कीमतें लगातार बढऩा है।

इसके फलस्वरूप विभिन्न पेट्रो रसायनों की कीमतें भी बढ़ रही हैं। इनका बड़े पैमाने पर उपयोग होने वाले पॉलिएस्टर धागे का उत्पादन करने का कच्चा माल है। इसी वजह से ऐसे समय में कि जब अधिमास लागू हो गया इसमें कपड़े की मांग कम रहेगी। ऐसी स्थिति में कपड़ा व्यापारियों ने कपड़े का उत्पादन फिलहाल करने का निर्णय किया है। कपड़े पर पांच प्रतिशत जीएसटी है, लेकिन धागे पर 12 प्रतिशत जीएसटी लगता है। इसका मतलब यह है कि कपड़ा बेचते समय वे धागे के लिए किए गए भुगतान पर पूरे जीएसटी का दावा नहीं कर सकेंगे।

कपड़ा कारोबार पर इस तरह आ रहा संकट
8 नवम्बर 2016 को नोटबंदी का असर
1 जुलाई 2017 को जीएसटी लागू
यार्न पर जीएसटी 18 प्रतिशत था तब सस्ता था
यार्न पर जीएसटी 12 प्रतिशत होने पर महंगा हो गया
कपड़े की लागत बढ़ रही है, लेकिन मिल नहीं रही