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एमपी में बड़ा फैसला, महंगी किताबें बैन, प्राइवेट स्कूलों को कुल 1200 रुपए तक की पुस्तकों की ही मंजूरी

bhind DM books order मध्यप्रदेश में प्राइवेट स्कूलों में महंगी किताबों से निजात दिलाने के संबंध में बड़ा फैसला सामने आया है।

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भिंड

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deepak deewan

Sep 08, 2024

bhind DM books order

bhind DM books order

Bhind Collector Sanjeev Srivastava fixed the rates of books in private schools मध्यप्रदेश में प्राइवेट स्कूलों में महंगी किताबों से निजात दिलाने के संबंध में बड़ा फैसला सामने आया है। इसी के साथ प्राइवेट स्कूलों की मनमानी पर नकेल कसते हुए किताबों पर कमीशन खोरी बंद करने की कोशिश की गई है। प्रदेश के भिंड जिले में कलेक्टर ने इस संबंध में सख्त कदम उठाते हुए प्राइवेट स्कूलों में किताबों की दरें SCHOOL BOOK RATES निर्धारित कर दी हैं।

भिंड कलेक्टर संजीव श्रीवास्तव ने जिले के प्राइवेट स्कूलों में किताबों के रेट तय कर दिए हैं। यहां पहली क्लास से लेकर आठवीं क्लास तक की किताबों का कुल खर्च SCHOOL BOOK RATES 800 रुपए से लेकर 1200 रुपए तय कर दिया है। भिंड कलेक्टर ने इस संबंध में सभी स्कूलों को आदेश भी जारी कर दिया है।

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कलेक्टर के इस आदेश के बाद जहां प्राइवेट स्कूलों की मनमानी रुकेगी वहीं महंगी किताबों से अभिभावकों पर पड़ रहा आर्थिक बोझ कुछ कम हो जाएगा। भिंड में अब प्राइवेट स्कूलों की फीस और ड्रेस को लेकर भी सख्त आदेश जारी किए जाने की बात कही जा रही है। आदेश में साफ कर दिया गया है कि कोई भी स्कूल संचालक निर्धारित रेट से ज्यादा महंगी किताबें खरीदने के लिए पाठकों को मजबूर नहीं कर सकेगा।

ऐसे तय हुई किताबों की कीमत
कलेक्टर संजीव श्रीवास्तव द्वारा जारी आदेश के अनुसार भिंड के सभी स्कूलों में पहली और दूसरी क्लास में अधिकतम 800 रुपए की किताबें खरीदी जाएंगी। क्लास 3 और क्लास 4 के लिए किताबों के लिए अधिकतम खर्च सीमए 900 रुपए तय की गई है जबकि क्लास 5 के लिए यह सीमा 1000 रुपए निर्धारित की। क्लास 6 से क्लास 8 तक अधिकतम 1200 रुपए की किताबें खरीदी जा सकेंगी।

भिंड कलेक्टर संजीव श्रीवास्तव ने 23 अगस्त को इस संबंध में कलेक्ट्रेट में बैठक बुलाई थी। बैठक में प्राइवेट स्कूलों में पहली से आठवीं क्लास के लिए किताबों की दरों पर सहमति बनी। इसके बाद कलेक्टर ने जनहित में आदेश जारी कर दिया।
प्राइवेट स्कूलों को यह चेतावनी भी दी गई है कि निर्धारित रेट से ज्यादा राशि खर्च होने पर पालक को स्कूलों को यह रकम चुकानी होगी।