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मध्यप्रदेश सरकार देगी साढ़े चार लाख पेंशनर्स को बड़ा तोहफा, छत्तीसगढ़ सरकार ने अटकाया पेंच

मध्यप्रदेश से अलग हुआ छत्तीसगढ़ राज्य आज भी मध्यप्रदेश के शासकीय कर्मचारियों, पेंशनर्स की तरक्की में बाधा बन रहा है। इस बार भी ऐसा ही हुआ। मध्यप्रदेश

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भोपाल

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Manish Geete

Feb 21, 2018

7th

भोपाल। मध्यप्रदेश से अलग हुआ छत्तीसगढ़ राज्य आज भी मध्यप्रदेश के शासकीय कर्मचारियों, पेंशनर्स की तरक्की में बाधा बन रहा है। इस बार भी ऐसा ही हुआ। मध्यप्रदेश सरकार साढ़े चार लाख से अधिक पेंशनर्स का महंगाई भत्ता बढ़ाकर देना चाहती है, लेकिन छत्तीसगढ़ सरकार ने इसे अटका रखा है।

मध्यप्रदेश की सरकार हर बार जो भी फैसला लेती है इसमें छत्तीसगढ़ सरकार की सहमति नही मिलने से मामला अटक जाता है। क्योंकि संयुक्त मध्यप्रदेश के सेवानिवृत्त कर्मचारियों के मामले में कोई भी फैसला दोनों सरकार मिलकर ही लेती हैं।

तीन फीसदी बढ़ेगा भत्ता
मध्यप्रदेश सरकार छठा वेतनमान वालों को तीन प्रतिशत महंगाई भत्ता बढ़ाकर देगी, वहीं सातवें वेतनमान वाले कर्मचारियों को 1 फीसदी महंगाई भत्ता बढ़ाकर देगी। मध्यप्रदेश के पेंशनर्स के लिए 136 प्रतिशत महंगाई भत्ता मिल रहा है। अब इसमें तीन प्रतिशत का इजाफा किया जाना है। पिछले साल 30 नवंबर 2017 को इस पर फैसला हो चुका है।

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केंद्र सरकार की तर्ज पर एमपी सरकार
केंद्र सरकार ने अपने कर्मचारियों के लिए महंगाई भत्ते में इजाफा किया था। इसके बाद से ही मध्यप्रदेश में भी महंगाई भत्ता बढ़ाने की कवायद तेज हो गई थी। इससे पहले सातवें वेतनमान पर भी ऐसा ही फैसला मध्यप्रदेश सरकार ले चुकी है।


यह है रुकावट का कारण
-पिछले साल 30 नवंबर को सरकार ने तीन प्रतिशत डीए देने का निर्णय लिया था।
-इस बढ़े हुए महंगाई भत्ते को देने का सहमति देने का पत्र भी रमन सरकार को भेजा गया था।
-वित्त विभाग के प्रमुख सचिव पंकज अग्रवाल भी रमन सरकार के सचिवों से चर्चा कर चुके हैं, लेकिन सहमति नहीं मिल सकी।
-मध्यप्रदेश में फिलहाल छठवें वेतनमान के मुताबिक ही पेंशन मिल रही है।
-ये सभी पेंशनर्स 1 जनवरी 2016 से पहले सेवानिवृत्त हुए।
-माना जा रहा है कि राज्य सरकार अपने बजट सत्र में पेंशनर्स को 7वें वेतनमान का लाभ मिल सकता है।

दोनों सरकारों के बीच एक उलझन
जब छत्तीसगढ़ अलग राज्य नहीं बना था तो अविभाजित मध्यप्रदेश मे एक ही नियम चलता था। जब पृथक छत्तीसगढ़ राज्य बन गया तो कई कर्मचारियों को बंटवारे में यह छूट दी गई थी कि जो जिस राज्य में रहना चाहते हैं वे वहां जा सकते हैं। इसके बाद कुछ मुद्दों पर दोनों ही सरकारों को मिलकर निर्णय लेना पड़ता है। मसलन, विभाजन से पहले सेवानिवृत्त हुए कर्मचारियों के मामले में दोनों ही सरकारों को निर्णय लेना होता है। छत्तीसगड़ के पेंशनर्स को 7वां वेतनमान के अनुसार पेंशन दी जा चुकी है लेकिन उसका यह प्रस्ताव मध्यप्रदेश सरकार के पास अटका है। इसी वजह से जब तक मध्यप्रदेश सरकार अपने पेंशनर्स को 7वें वेतनमान के अनुसार पेंशन नहीं देने का फैसला नहीं ले लेती या सहमति नहीं दे देती, रमन सरकार भी अपने पेंशनर्स को बढ़ी हुई पेंशन का लाभ नहीं दे पाएगी।

यह थी शर्तें
जब छत्तीसगढ़ अलग राज्य बना था तो राज्य पुनर्गठन आयोग ने कुछ शर्तों के तहत अनुशंसा की थी। उसमें कर्मचारियों और पेंशनर्स के हितों का जब भी कोई फैसला छत्तीसगढ़ या मध्यप्रदेश सरकारें लेंगी, तो दोनों ही राज्यों को एक दूसरे से सहमति लेना अनिवार्य होगा।


वित्तमंत्री बोले- छत्तीसगढ़ से दोबारा कहेंगे

मध्यप्रदेश के वित्त मंत्री भी पेंशनर्स को तीन प्रतिशत महंगाई राहत देने की सरकार की इ्च्छा कई बार जता चुके हैं। उन्होंने इस बार भी कहा है कि छत्तीसगढ़ सरकार की सहमति मिलते ही प्रदेश के पेंशनर्स को 3 प्रतिशत महंगाई राहत दे दी जाएगी। इस बारे में छत्तीसगढ़ से पुन: आग्रह किया जाएगा।

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