
Good touch and bad touch
हमें बच्चों गुड टच और बैड टच से भी जागरूक करना होगा ताकि बच्चे समझ सकें व्यक्ति हमें वात्सल्य की भावना से टच कर रहा है या वासना से। ये बात मप्र बाल अधिकार संरक्षण आयोग के पूर्व अध्यक्ष डॉ. राघवेंद्र शर्मा ने कही।
वे समन्वय भवन में मप्र राज्य बाल आयोग द्वारा आयोजित कार्यशाला को संबोधित कर रहे थे। कार्यशाला में निशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा बाल अधिकार एवं किशोर न्याय अधिनियम एवं बाल लैंगिक अपराधों के जुड़े मामलों एवं संरक्षण के कानूनों को लेकर मंथन किया गया। वहीं, विषय विशेषज्ञ विभांषू जोशी ने किशोर न्याय एवं लैंगिक अपराधों पर चर्चा की।
पॉक्सो एक्ट बच्चों का बॉडीगार्ड
विभांषू ने बताया पॉक्सो एक्ट बच्चों का बॉडीगार्ड है जो सिविल और किम्रिनल की सभी धाराओं में होता है ओवर राइडिंग इफेक्ट्स अर्थात सभी नियमों के ऊपर प्रभावी होता है। यह कानून इतना सख्त है कि इसके आगे सारी धाराएं निष्प्रभावी हो जाती हैं। लैंगिग हमला, उत्पीड़न एवं अश्लीलता के मामलों में उपचार के साथ-साथ क्षतिपूर्ति का प्रावधान है। अधिकतम सजा के आधार पर सुनावाई होती हैं।
क्या होते हैं गुड टच और बैठ टच
अच्छा स्पर्श (Good Touch) - अगर कोई आपको Touch करे और उससे आपको अच्छा लगे तो ये गुड टच होता है.
बुरा स्पर्श (Bad Touch) - जब कोई आपको इस तरह से Touch करे कि आपको उससे बुरा लगे तो ये बैड टच होता है. अगर कोई अनजान व्यक्ति प्राइवेट पार्ट्स गलत तरीके से छूने की कोशिश करे तो यह बैड टच होता है.
बच्चों को अपने शरीर का मालिक बनने दें
जब बच्चे 3–4 साल के हो जाए तो उन्हें समझाये कि उनके शरीर पर केवल उनका ही अधिकार है। अगर किसी के द्वारा उनके शरीर को छूना अच्छा न लगे तो उसका कड़ा विरोध करें और ऐसी बाते आपको आकर जरुर बताएं.
Published on:
25 Jan 2024 11:59 am
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