29 दिसंबर 2025,

सोमवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

क्या हाथरस घटना से भी सबक नहीं लेंगे हम? दुश्कर्म के मामलों में लगातार 3 साल रहे हैं अव्वल

और कब सबक लेंगे हम?

3 min read
Google source verification
news

क्या हाथरस घटना से भी सबक नहीं लेंगे हम? दुश्कर्म के मामलों में लगातार 3 साल रहे हैं अव्वल

भोपाल/ उत्तर प्रदेश के हाथरस में युवती के साथ रेप और दुराचार की घटना ने एक बार फिर देश को नर्भया मामले की तरह शर्मसार कर दिया है। लेकिन, इन घटनाओं के बाद होता ये है, कि कुछ समाज सेवी संगठन और विपक्षी दल इसपर हो-हल्ला और राजनीति करते हैं। मीडिया भी मामला ट्रेंड में रहने तक इसपर सवाल पूछती है, लेकिन कोई दूसरा ट्रेंडी मामला सामने आने पर ये सभी लोग पिछली घटना को पूरी तरह से भूल जाते हैं। मानो जैसे पिछले मामले से किसी बेकसूर की तकलीफ जुड़ी ही न थी। मध्य प्रदेश की ही बात करें, तो एनसीआरबी की 2018 की जारी रिपोर्ट महिला सुरक्षा और बेटी बचाओ जैसे तमाम सरकारी दावों की पोल खोलती है। बालिकाओं से दुराचार के मामलों में प्रदेश अव्वल है।

पढ़ें ये खास खबर- उपचुनाव विशेष : आचार संहिता के दौरान एक आम नागरिक क्या कर सकता है-क्या नहीं, जानिए


प्रदेश की इन घटनाओं से गर्माई राजनीति

जब से हाथरस की घटना सामने आई है, तभी से मध्य प्रदेश में भी होने वाली रेप की घटनाओं को हवा मिलने लगी है। राजधानी भोपाल के बेरागढ़ की नाबालिग और खरगोन के झिरन्या की आदिवासी बच्ची के साथ हुए सामूहिक दुष्कर्म का मामले भी गरमा गए हैं। एक तरफ जहां राजधानी समेत प्रदेश के कई शहरों में समाज सेवी संस्थाएं और आमजन पीड़िता के साथ खड़े होने और दोषियों पर कार्रवाई को लेकर प्रदर्शन करते नजर आ रहे हैं। वहीं, प्रदेश के मुख्य विपक्षी दल यानी कांग्रेस भी प्रदेश सरकार पर हमलावर है। खरगोन में हुई घटना को लेकर जहां प्रदेश महिला आयोग की अध्यक्ष शोभा ओझा ने प्रदेश सरकार पर निशाना साधा, तो वहीं शहर के बेरागढ़ में नाबालिग के साथ हुए सामुहिक दुष्कर्म को लेकर कांग्रेस के कद्दावर नेता दिग्विजय सिंह ने बीजेपी विधायक पर आरोपियों को संरक्षण देने का दावा किया और पीएम मोदी, गृहमंत्री अमित शाह और बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा से घटना की जांच की भी मांग की है।

पढ़ें ये खास खबर- हाथरस गैंगरेप केस : भाजपा नेता कैलाश विजयवर्गीय ने कहा- CM योगी के प्रदेश में गाड़ी कभी भी पलट जाती है


इन सवालों के जवाब कब टटोलेंगे हम?

बड़ा सवाल ये है कि, हमें उसी समय सवाल क्यों उठाना पड़ता है, जब किसी मासूम की असमत से खिलवाड़ हो चका होता है? किसी की जिंदगी बरबाद होने के बाद ही हमारी आंखें क्यों खुलती हैं? और ट्रेंड चला जाने पर दौबारा से बंद क्यों हो जाती हैं? क्यों कोई हुकूमत पीड़ित परिवार के दुख से जुड़कर इस तरह के फैसले नहीं लेना चाहती कि, आगे किसी बहन या बेटी के साथ ऐसा दुराचार नहीं होगा? क्यों विपक्ष सरकार के सामने दोषियों के खिलाफ कड़े फैसले लेने के पूरे दम खम के साथ दबाव नहीं बनाता? लेकिन, ये भी हकीकत है कि, जब तक हम इन सवालों पर गौर नहीं करेंगे, तब तक इसी तरह हर बार किसी न किसी असमत के लुटने के बाद ही हो-हल्ला करते रहेंगे।

पढ़ें ये खास खबर- 2 दिन की बच्ची की हत्या कर मंदिर में फेंका शव, 15 दिनों में तीसरी मासूम की हत्या


चौंका देंगे एनसीआरबी के आंकड़े

एनसीआरबी द्वारा 2016-17 और 18 में जारी दुष्कर्म के मामलों में मध्य प्रदेश अव्वल रहा। हालांकि, 2019 के जारी आंकड़ों प्रदेश में थोड़ा सुधार जरूर आया, लेकिन क्या थोड़ा सुधार आना समस्या का हल होगा? आंकड़ों के मुताबिक, साल 2018 में देशभर में कुल 33,356 दुष्कर्म के मामले दर्ज हुए थे। इनमें से अगर मध्य प्रदेश में हुए दुष्कर्मों का आंकलन किया जाए तो, देश के 16 फीसदी से ज्यादा मामले सिर्फ मध्य प्रदेश में ही हुए हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2018 में यहां दुष्कर्म के 5,433 मामले दर्ज हुए हैं। इन दर्ज मामलों के हिसाब से एमपी देश का पहला राज्य है जहां इतने दुष्कर्म हुए हैं। हैरानी की बात तो ये हैं कि, इनमें से 54 मामले तो ऐसे हैं, जिसमें पीड़िता की उम्र छह साल से भी कम रही।