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भोपाल को जल्द मिलने वाली है मेट्रो की सौगात, लोकार्पण से पहले पसोपेश में अफसर, क्या होगा…?

Bhopal Metro: मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के लोगों को सीएम मोहन यादव जल्द ही मेट्रो की सौगात देने जा रहे हैं, तैयारियां जोरों पर है, लेकिन फिर भी अफसरों को सता रही एक बड़ी चिंता...

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CM Mohan Yadav announces inauguration of Bhopal Metro from December 21

भोपाल में 21 दिसंबर से मेट्रो- पत्रिका: (फोटो: सोशल मीडिया)

Bhopal Metro: भोपाल में मेट्रो को एम्स से सुभाष ब्रिज तक दौड़ाने की तैयारियां जोरों पर है। कमिश्रर मेट्रो रेल सेफ्टी यानी सीएमआरएस का ग्रीन सिग्रल मिलने के बाद 15 अक्टूबर तक मेट्रो को चलाने की योजना है। सीएमआरएस निरीक्षण से पहले इंदौर मेट्रो में घट रही यात्री संख्या ने भोपाल के अफसरों को चिंतित कर दिया है।

अगस्त में इंदौर में महज 388 यात्री ही रोजाना सवार हुए, जबकि जुलाई में ये औसत 700 का था। सितंबर में ये संख्या और कम होने की संभावना है। इंदौर की तरह ही भोपाल की स्थिति है और यहां मेट्रो के लिए यात्री कहां से लाएंगे? ये बड़ा सवाल है। हैरानी ये कि मेट्रो रेल कॉरपोरेशन के अफसर इस चिंता को जाहिर कर रहे हैं और न ही यात्रियों के मेट्रो स्टेशन तक पहुंचने की कोई योजना नहीं बना पा रहे हैं। गौरतलब है कि इंदौर में मेट्रो ट्रेन की राइडरशीप शुरुआत में रोजाना 25 हजार थी।

बिना यात्री भी 12 से 15 लाख रुपए रोजाना का खर्च

मेट्रो ट्रेन संचालन में इस समय 132 कर्मचार की टीम है। 6.22 किमी के एम्स से सुभाष ब्रिज तक के ट्रैक पर प्रतिकिमी प्रतिदिन दो लाख का औसत खर्च होगा। इसका एक बड़ा हिस्सा अभी से शुरू हो गया है। इंदौर में बिजली का बिल प्रतिमाह 50 लाख बन रहा, वह यहां भी रहेगा। प्रतिवर्ष देखें तो 5 से 8 करोड़ रुपए प्रतिवर्ष प्रतिकिमी का खर्च होगा। इसमें 30 फीसदी बिजली, 33 फीसदी स्टॉफ के वेतन भत्ते व बाकी अन्य खर्च है।

इंदौर में मेट्रो से क्यों दूर यात्री

इंदौर में 5.8 किमी लंबाई का अधूरा और छोटा रूट होने से शहर के मुख्य भीड़भाड़ वाले इलाकों को नहीं जोड़ता है। छोटी दूरी के लिए मेट्रो का किराया महंगा लग रहा है। कई यात्री निजी वाहन, ऑटो और बस को सुविधाजनक मानते हैं। मेट्रो सुबह 10 बजे से शाम 6 बजे तक ही चलती है और वीकेंड को छोड़कर हर 1 घंटे में एक ट्रेन मिलती है।

यह समय उन लोगों के लिए सुविधाजनक नहीं है जो, दफ्तर या कॉलेज जाने के लिए मेट्रो का उपयोग करना चाहते हैं। मेट्रो स्टेशन मुख्य आवासीय और व्यावसायिक क्षेत्रों से दूर हैं। यात्रियों को स्टेशन जाने के लिए ऑटो या बस का सहारा लेना पड़ता है, इससे समय और लागत दोनों बढ़ जाती है।

इंदौर से अलग नहीं भोपाल की स्थिति

भोपाल में एम्स से सुभाष ब्रिज तक महज 6.22 किमी का रूट बना है। इसमें अन्य क्षेत्रों से कनेक्टिविटी की परेशानी है। मौजूदा रूट भीड़भाड़ वाले क्षेत्र में नहीं है। एम्स से सुभाष नगर ब्रिज तक कॉलोनियों से भी स्टेशन काफी दूर है। मेट्रो स्टेशन व्यावसायिक की बजाय आवासीय क्षेत्रों से लगा है, इससे कार्यालयों या अन्य प्रतिष्ठानों तक पहुंच नहीं है।

बस ज्यादा किफायती

एम्स से एमपीनगर, सुभाषनगर तक बस का किराया 14 रुपए है। प्रतिकिमी दो रुपए की दर है। भोपाल मेट्रो का किराया 20 रुपए जबकि अधिकतम 30 रुपए तय किया है। बस किराए से दोगुना है।

टीम इस पर काम कर रही है

हमने वर्कआउट किया है। इसलिए ही बड़े व्यवसायिक प्रतिष्ठानों से लेकर रेलवे स्टेशन और एम्स के अंदर तक स्काईवॉक बनाकर स्टेशन तक सीधी एप्रोच दी है। टीम इस पर काम कर रही है। पार्किंग को लेकर भी प्लान कर रहे।

-चैतन्य एस कृष्णा, एमडी, मेट्रो रेल