
भोपाल। गैमन इंडिया के सीबीडी प्रोजेक्ट को लेकर रेरा में बड़ा खुलासा हुआ है। सरकारी जमीन पर तैयार हुए इस प्रोजेक्ट में अनुबंध के अनिवार्य नियम को ही दरकिनार कर दिया गया। स्थिति ये है कि डेढ़ से दो करोड़ रुपए के फ्लैट बिना किसी अनुबंध के बेच दिए गए। सीबीडी में पजेशन मिलने में हो रही देरी पर रेरा ट्रिब्यूनल में इस मामले का खुलासा हुआ। सबको सीबीडी ने आवंटन पत्र दिए हुए हैं, जबकि रजिस्टर्ड अनुबंध होने चाहिए थे, जिस पर दोनों पक्ष समेत गवाह के हस्ताक्षर होते, लेकिन एेसा कुछ नहीं हुआ।
और मांगा समय :
सीबीडी ने आवंटियों को पजेशन के लिए 2019 से 2022 तक की समय सीमा दी है। सीबीडी का तर्क है कि कंस्ट्रक्शन लिंक्ड प्लान है, जिससे जैसे पैसा मिलेगा, वैसे निर्माण करेंगे। स्थिति ये है कि आवंटियों ने अपने हिस्से का 90 से 95 फीसदी पैसा दे दिया है।
इस आधार पर उनके फ्लैट का काम भी 90 से 95 फीसदी हो जाना चाहिए। वकील सिद्धार्थ राधेलाल गुप्ता का कहना है कि आवंटियों को जो पत्र दिया गया है उसमें आवंटन की तारीख उल्लेखित नहीं है। इसलिए रेरा को इसे मान्य करना चाहिए।
एग्रीमेंट महत्वपूर्ण :
रियल एस्टेट रेग्युलेटरी (रेरा) ने ऑनगोइंग प्रोजेक्ट के लिए बनाए नियमों में एग्रीमेंट को सबसे महत्वपूर्ण माना है। एडवोकेट अजय गुप्ता के अनुसार आवंटियों के साथ डेवलपर अनुबंध के आधार पर ही मामले की सुनवाई होती है। देखा जाता है, अनुबंध की किन शर्तों का उल्लंघन हुआ है। किसी एग्रीमेंट में कोई गलत शर्त है तो उसे रद्द करने का रेरा को अधिकार है।
इधर, मंडी समिति दे रही दुकान, व्यापारी प्लॉट पर अड़े :
करीब 100 साल पुराना हनुमानगंज-जुमेराती मार्केट जल्द ही करोद मंडी में शिफ्ट हो जाएगा। मंडी समिति ने इसका सर्वे करा लिया है। व्यापारी चाहते हैं कि उन्हें अलग प्लॉट दिए जाएं, निर्माण खुद कर लेंगे। वहीं, मंडी समिति, मंडी प्रांगण में कॅमर्शियल हब बनाकर बाजार विस्थापित करना चाहती है।
व्यापारियों ने मंडी बोर्ड के प्रबंध संचालक, कलेक्टर आदि को आवेदन दिया है। हनुमानगंज-जुमेराती में किराना, दाल-चावल, तेल शक्कर, चायपत्ती, आटा-मैदा आदि का थोक कारोबार होता है। यहां दूरदराज से भी लोग खरीदारी करने आते हैं। बढ़ते अतिक्रमण से यहां की सड़कें गलियों में तब्दील हो गई हैं। वाहनों का आना-जाना मुश्किल हो गया है। इससे कारोबार प्रभावित हो रहा है। भोपाल किराना व्यापारी महासंघ के उपाध्यक्ष शीलचंद लचकिया ने बताया कि हम मंडी में प्लाट चाहते हैं, ताकि अपने हिसाब से निर्माण करके व्यवसाय शुरू कर सकें।
हमने थोक बाजार को करोंद मंडी में शिफ्ट करने की मांग रखी है। मंडी में प्लॉट मिल जाए तो निर्माण हम लोग ही कर लेंगे। कॅमर्शियल कॉम्पलेक्स में कारोबार करना हमें मंजूर नहीं है।
- कूंदन भूरानी, अध्यक्ष, भोपाल किराना व्यापारी महासंघ
मंडी समिति का प्रयास है कि पुराने शहर के थोक बाजारों को अगले छह माह में शिफ्ट कर दें। इसके लिए व्यापारियों से बातचीत चल रही है। यहां आने से उनका कारोबार भी बढ़ेगा।
- विवेक प्रकाश पटैरिया, मंडी सचिव, भोपाल
Published on:
25 Sept 2017 09:45 am
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