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सोनू सूद बोले- एक जिंदगी बदलने की कोशिश कीजिए, हजार कब बदल देंगे पता नहीं चलेगा

एक्टर सोनू सूद ने कहा- खुद में दूसरों की मदद करने का जज्बा जगाएं, साथ कौन-कौन है इससे फर्क नहीं पड़ता

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भोपाल

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Manish Geete

Jan 25, 2021

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भोपाल। जब मैं 18 साल का था तब एक्टर बनने मुंबई आ गया। कई फिल्में की, अपना बेस्ट दिया। मेरा नाम भी हुआ। मुझे लगा कि मैंने जिंदगी में बहुत कुछ अचीव कर लिया है। कोरोनाकाल ने मुझे बताया कि मैं गलत था, जीवन का असल किरदार मैंने लॉकडाउन में निभाया। मेरे लिए इस पूरे एपिसोड का डायरेक्टर ऊपर वाला था। मुझे नहीं मालूम था मैं यह काम कैसे पूरा कर पाऊंगा। मैंने तो बस शुरू किया और काम होता गया।

लोगों तक पहुंचता गया। इस काम से मुझे एक सीख मिली, जो मैं सभी से शेयर करना चाहता हूं। उस समय मैं किसी भी डॉक्टर, एनजीओ या अन्य किसी को नहीं जानता था। मेरे साथ एक सोच थी जिसके दम पर आगे बढ़ता गया। मैं सभी से यही कहूंगा कि एक जिंदगी बदलने की कोशिश कीजिए, हजार कब बदल देंगे, आपको खुद पता नहीं चलेगा। यह कहना है एक्टर सोनू सूद का। वे एक निजी कार्यक्रम में शामिल होने के लिए रविवार को भोपाल आए थे।

सोनू ने कहा कि भोपाल से मेरा अलग लगाव है। मेरी पत्नी सोनाली ने 10 साल यहां बिताए हैं, यहीं से पढ़ाई की है। कुछ तो भोपाल के लिए अपनों का दामाद भी लगता हूं। मेरी फिल्म 'एक विवाह ऐसा भी' की भी शूटिंग यहां हुई थी। मैंने अपने मैनेजर से कहा है भोपाल इतना खूबसूरत शहर है, यहां एक फिल्म की और शूटिंग की जानी चाहिए। मुझे यहां आकर अलग ही सुकून मिलता है।

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लॉकडाउन में 7.5 लाख लोगों की मदद कर पाया

सोनू ने कहा कि जब कोरोना का दौर शुरू हुआ तो और लोगों की तरह मैं भी यही सोच रहा था कि जल्द ही सब कुछ खत्म हो जाएगा। हम भी फिर से एक नई जिंदगी शुरू करेंगे। अन्य लोगों की तरह मैंने भी राशन बांटना शुरू किया। एक दिन जब मैं खाना बांट रहा था, मुझे बहुत सारे प्रवासी भाई-बहन जाते दिखे। एक प्रवासी भाई ने कहा कि दस दिन का खाना पैक कर दीजिए क्योंकि हम मुंबई से बेंगलुरू जा रहे हैं। हमारे साथ छोटे-छोटे बच्चे भी हैं। मैं यह सुनकर चौंक गया। यही लफ्ज मेरी जिंदगी का टर्निंग प्वॉइंट बन गए। मैंने देखा कि माता-पिता बच्चों को झूठ बोलकर पैदल ले जा रहे हैं कि एक घंटे में घर पहुंच जाएंगे। जबकि वो जानते थे कि उन्हें पांच से दस दिनों तक तपती धूप में पैदल यात्रा करनी है। उस दिन मैंने सभी प्रवासी भाई-बहनों की मदद का संकल्प लिया। इस तरह लॉकडाउन के दौरान 7.5 लाख लोगों की मदद कर पाया।