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तेजी से बढ़ रहा तापमान : पराली जलाने से जमीन का तापमान बढ़कर हो जाता है 60 से 65 डिग्री

रात के अंधेरे में इसे जलाने वाले ये नहीं जानते हैं पराली जलाने से उनके खेत तो साफ हो जाएंगे, लेकिन जमीन और वातावरण में जो तपिश उनके द्वारा घोली जा रही है, उसका असर रात से ही दिखने लगता है।

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तेजी से बढ़ रहा तापमान : पराली जलाने से जमीन का तापमान बढ़कर हो जाता है 60 से 65 डिग्री

भोपाल. राजधानी भोपाल के बावड़ियाकला, कोलार, रतनपुर, जाटखेड़ी, रिंग रोड, परवलिया सड़क, बैरसिया, सीहोर रोड, रायसेन रोड व अन्य स्थानों पर खेतों पर पराली जलाने की जानकारी मिल रही है। रात के अंधेरे में इसे जलाने वाले ये नहीं जानते हैं पराली जलाने से उनके खेत तो साफ हो जाएंगे, लेकिन जमीन और वातावरण में जो तपिश उनके द्वारा घोली जा रही है, उसका असर रात से ही दिखने लगता है।

साइंटिस्ट सुभाष सी पांडे बताते हैं कि, एक वर्ग किमी क्षेत्र के एक हेक्टेयर में पराली जलाने से तापमान में दो डिग्री से ज्यादा की बढ़त होती है। वहीं, कृषि विभाग का कहना है कि, जिस स्थान पर पराली जलाई जाती है, उस जमीन का तापमान 60 से 65 डिग्री हो जाता है। कृषि विभाग के संयुक्त संचालक बीएल बिलैया ने बताया कि पराली जलाने से मिट्टी में पाए जाने वाले लाभदायक जीवाणु एवं मित्र कीट आदि नष्ट हो जाते हैं।

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1.46 लाख हेक्टेयर रकबे में बोयी फसल

इस वर्ष भोपाल के किसानों ने 1.46 लाख हेक्टेयर में फसल बोई है। पिछले वर्ष की तुलना में ये .5 फीसदी ज्यादा है। वर्ष 2021-22 में ये रकबा 1.41 लाख हेक्टेयर था। इसमें से 15 फीसदी रकबे की पराली भी किसानों ने जलाई तो भोपाल ही नहीं आस-पास के जिलों के प्रदूषण पर इसका असर पड़ेगा। विदिशा में 3.58 लाख हेक्टेयर, सीहोर में 198 लाख हेक्टेयर तो रायसेन में 276 लाख हेक्टेयर है। हर जिले में 15 से 20 फीसदी पराली जली तो स्थिति चिंताजनक हो सकती है।

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