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कैंसर से लेकर पाइल्स तक का इलाज करने में कारगर है जिमीकंद, एक नहीं इसमें हैं अनेक गुण

मटियाले रंग की तरह दिखने वाली इस सब्जी को मध्य प्रदेश के कई क्षेत्रों में सूरन के नाम से भी जाना जाता है। जिमीकंद बवासीर से लेकर कैंसर जैसी जानलेवा बीमारियों के इलाज में भी बेहद कारगर औषधि है।

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कैंसर से लेकर पाइल्स तक का इलाज करने में कारगर है जिमीकंद, एक नहीं इसमें हैं अनेक गुण

भोपाल/ बिगड़ते खानपान और बदलती दिनचर्या के कारण आज कई लोग अलग अलग बीमारियों से ग्रस्त हैं। इनमें कई बीमारियां तो ऐसी है, जिनका किसी जमाने में लोगों नाम तक नहीं सुना होगा। भले ही आज हम नई नई तरह की बीमारियों और समस्याओं से घिर रहे हों, लेकिन इन बीमारियों से निजात पाने का इलाज हमें कुदरत ने पहले से ही दे रखा है। बस ज़रूरत है हमें उन कुदरती चीजों की समझ की। अकसर आपने सुना और देखा होगा कि, कई लोग अंग्रेजी दवाएं खाने से बचते हैं, इसकी वजह है उन दवाओं से होने वाले साइड इफेक्ट। क्योंकि, ये अंग्रेजी दवाए गर्म होती है, जो सभी को सूट नहीं होतीं। ऐसे लोग इलाज के अभाव में कुछ समय बाद अपनी पीड़ा बढ़ा लेते हैं। ऐसे लोगों के लिए ही प्रकृति ने अपनी गोद में बहुमूल्य औषधियों का खज़ाना छुपा रखा है। इन्हीं औषधियों में से एक है जिमीकंद।

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क्या है जिमीकंद?

मिट्टी के अंदर एक से पांच फिट की गहराई में पैदा होने वाला जिमीकंद प्रकृति द्वारा हमें प्रदान की गई बड़ी ही गुणकारी सब्जी है। मटियाले रंग की तरह दिखने वाली इस सब्जी को मध्य प्रदेश के कई क्षेत्रों में सूरन के नाम से भी जाना जाता है। जिमीकंद बवासीर से लेकर कैंसर जैसी जानलेवा बीमारियों के इलाज में भी बेहद कारगर औषधि है। इसमें फाइबर, विटामिन सी, विटामिन बी6, विटामिन बी1 और फोलिक एसिड के साथ, पोटेशियम, आयरन, मैग्नीशियम, कैल्शियम और फॉस्फोरस भरपूर मात्रा में पाया जाता है। आज हम आपको बताते हैं जिमीकंद के इस्तेमाल और उसके फायदों के बारे में...।

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किन लोगों को नहीं खाना चाहिए जिमीकंद

बाज़ार में आसानी से मिलने वाली इस बहुगुणी सब्जी को इसके औषधीय गुणों के कारण आयुर्वेद में एक खास स्थान प्राप्त है। जिस तरह कुछ बीमारियों और समस्याओं में इसके सेवन से फायदा होता है, उसी तरह कुछ लोगों को इसके खाने से नुकसान भी होता है। जिमीकंद की सब्जी उन लोगों को बिल्कुल भी नहीं खानी चाहिए, जिन्हें किसी तरह का चर्म रोग हो। जिमीकंद ड्राई, कसैला, खुजली करने वाला होता है। इसके अलावा गर्भवती महिलाओं को भी इसके सेवन से बचना चाहिएओ। आयुर्वेदाचार्य वी.पी सिन्हां के अनुसार, पेट से जुड़े रोगों के लिए इसका सेवन किसी रामबाण से कम नहीं है, इसके अलावा ये दिमाग के लिए भी बहुत फायदेमंद है। साथ ही, अल्जाइमर के रोगी भी इसके नियमित सेवन से अपनी पीड़ा से पार पा सकते हैं।

इन बीमारियो से लड़ने में है कारगर

इन तमाम गुणों के अलावा जिमीकंद में एंटीऑक्सीडेंट, विटामिन सी और बीटा कैरोटीन भी काफी मात्रा में होता है, जो कैंसर पैदा करने वाले फ्री रैडिकल्स को निश्क्रीय करने में कारगर होता है। इसमें मौजूद एंटी-इन्फ्लेमेटरी गुण, गठिया और अस्थमा के रोगियों को भी काफी तेज़ी से फायदा पहुंचाते हैं। जिमीकंद में पाया जाने वाला कॉपर लाल रक्त कोशिकाओं को बढ़ाकर शरीर में ब्लड के फ्लो को दुरुस्त करता है और आयरन ब्लड सर्कुलेशन को ठीक करने में कारगर होता है।

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जिमीकंद की सब्जी का नियमित सेवन करने से बवासीर, सांस रोग, खांसी, आमवात और कृमिरोगों के उपचार में किया जाता है। जिन लोगों को लीवर या यकृत में समस्या है, उनके लिए भी जिमीकंद बहुत लाभकारी सिद्ध होता है। जिमीकंद में पर्याप्त मात्रा में बी-6 होने से दिल की बीमारी का खतरा काफी हद तक कम हो जाता है। जिमीकंद में विटामिन-बी भी भरपूर मात्रा में होता है, जो बल्ड प्रेशर को नियंत्रित रखने और हृदय को स्वस्थ रखने में काफी सहायक होता है। इसमें पोटेशिम होने के कारण यह पाचन क्रिया को भी मज़बूत करता है। इसे नियमित खाने से कब्ज और कॉलेस्ट्रॉल की समस्या दूर हो जाती है।

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