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चीतों की लगातार मौत पर विदेशी Cheetah Experts की सरकार को सलाह, 2024 में भारत लाए जाएंगे शॉर्टलिस्ट किए दक्षिण अफ्रीका के 10 युवा चीते

Kuno Cheetah Project Report on continous death of Cheetah: Experts ने यह भी बताया कि दक्षिण अफ्रीका में चीता प्रोजेक्ट एक या दो बार नहीं बल्कि 9 बार फेल होने के बाद सफल हुआ। जानें Kuno National Park में Cheetah Project पर और क्या-क्या बोले South Africa Cheetah Experts, पढ़ें पूरी खबर...

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Kuno Cheetah Project Report on continous death of Cheetah: प्रदेश के प्रोजेक्ट चीता पर चीतों की लगातार मौत कलंक बन रही है। अब तक कूनो नेशनल पार्क में दक्षिण अफ्रीका से लाए गए 6 चीतों समेत 9 की मौत हो चुकी है। इनमें वे तीन शावक भी शामिल हैं, जिनका जन्म कूनो में ही हुआ था। लेकिन चीतों की लगातार मौत होने से प्रोजेक्ट चीता पर सवालिया निशान लग रहे हैं। इसके बाद राज्य सरकार ने और सरकार से केंद्र सरकार ने भी इसकी रिपोर्ट मांगी है। आपको बता दें कि चीतों की हर एक्टिविटी उनके खान-पान पर कूनो वन प्रबंधन के साथ ही विदेशी Cheetah Experts की टीम भी नजर रख रही है। ऐसे में Cheetah Experts ने अब रिपोर्ट देने के साथ ही सरकार को कई सुझाव भी दिए हैं। Experts ने यह भी बताया कि दक्षिण अफ्रीका में चीता प्रोजेक्ट एक या दो बार नहीं बल्कि 9 बार फेल होने के बाद सफल हुआ। जानें Kuno National Park में Cheetah Project पर और क्या-क्या बोले South Africa Cheetah Experts, पढ़ें पूरी खबर...

दरअसल, केंद्र सरकार के प्रोजेक्ट चीता में शामिल विदेशी विशेषज्ञों ने शुरुआती अनुभवों के आधार पर सरकार को हाल ही में एक स्टेटस रिपोर्ट सौंपी है। इस रिपोर्ट में उन्होंने इस बात पर जोर दिया है कि युवा चीते अपने नए वातावरण के लिए ज्यादा अनुकूल होते हैं और बूढ़े चीतों की तुलना में उनकी जीवित रहने की दर भी ज्यादा होती है। इसलिए भारत को अगली खेप में अगर देश में चीते लाने हैं तो युवा चीतों को भारत लाया जाना चाहिए।

यहां पढ़ें रिपोर्ट के अहम हिस्से

- South Africa Cheetah Experts ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि युवा नर चीते अन्य जीवों के प्रति कम आक्रामकता दिखाते हैं, जिससे जानवरों से आपसी लड़ाई-झगड़े का जोखिम कम हो जाता है।

- बाड़े में छोड़े जाने के बाद युवा चीतों के जीवित रहने की संभावना और प्रजनन क्षमता अधिक होती है।

- युवा चीतों को वाहनों और पैदल चलने वाले मनुष्यों के प्रबंधन की आदत भी होती है। इससे उनके स्वास्थ्य संबंधी मामलों पर निगरानी आसानी से हो जाती है।

- इससे यह भी लाभ होता है कि पशु चिकित्सक भी आसानी से इनकी जरूरत का हर इलाज इन्हें दे सकते हैं।

- इन कुछ चीतों में रेडियो कॉलर के कारण हुए संक्रमण के मामले देखते हुए ऐसा किया जाना बेहद जरूरी है।

- इसके अलावा ऐसे चीतों के आने से पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा।

- Experts ने कहा कि नामीबिया और दक्षिण अफ्रीका से कूनो लाए गए चीतों को देखने के लिए लोग उत्साहित हैं।

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- आपको बता दें कि Africa Cheetah Experts ने 19 महीने से 36 महीने की उम्र के 10 युवा चीतों को भी शॉर्टलिस्ट किया है।

- इन्हें 2024 की शुरुआत में भारत लाया जा सकता है।

- उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि कूनो नेशनल पार्क में दर्ज की गई चीतों की मौत बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। लेकिन इसके साथ ही Experts ने यह भी बताया कि कूनो में चीतों को फिर से बसाने के लिए सामान्य मापदंडों का ध्यान रखा गया है।

- इस साल मार्च से अब तक अफ्रीका से कूनो में शिफ्ट किए गए 20 वयस्क चीतों में से छह की मौत हो गई है।

- वहीं कूनो में जन्मे 4 शावकों में से तीन की भी मौत हो चुकी है।

दक्षिण अफ्रीका में 9 बार फेल हुआ था Cheetah Project

- South Africa Cheetah Experts ने शिवराज सरकार और केंद्र सरकार की चिंता को देखते हुए उनका ध्यान दक्षिण अफ्रीका में चीताें के रीप्रोडक्शन प्रयासों के दौरान आने वाली शुरुआती कठिनाइयों की ओर आकर्षित किया।

- उन्होंने सरकार को बताया कि यहां चीता प्रोजेक्ट 9 बार फेल हुआ और 10 वीं बार में अनुभवों के आधार पर सही दिशा में प्रयास करने पर सफलता मिली।

- इस मामले पर अफ्रीकी वन्यजीव विशेषज्ञ विंसेंट वैन डेर मेरवे का कहना है कि दक्षिण अफ्रीका में, हमें चीतों के रीप्रोडक्शन में 8-10 नहीं बल्कि 26 साल लगे। इस पूरी अवधि में दक्षिण अफ्रीका ने 279 चीतों को खोया था।

- अफ्रीकी वन्यजीव विशेषज्ञ विंसेंट वैन डेर मेरवे ने यह भी कहा कि हम उम्मीद नहीं कर सकते कि केवल 20 चीतों के साथ भारतीय जमीन पर फिर से चीते बस जाएंगे। हालांकि भारत में दक्षिण अफ्रीका जैसे नुकसान की कोई आशंका नहीं है। प्रोजेक्ट चीता के जरिए कम से कम नुकसान के साथ चीतों को यहां फिर से बसाया जाएगा।

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