
CM Mohan yadav
CM Mohan Yadav: अपराधों पर प्रभावी नियंत्रण के लिए लागू की जाने वाली डायल-100 की नई व्यवस्था में देरी पर मुयमंत्री डॉ. मोहन यादव ने गृह विभाग और पीएचक्यू के अफसरों को जमकर फटकार लगाई। पूछा कि नई व्यवस्था लागू करने पर जब पूर्व में ही सहमति हो चुकी है तब देरी क्यों की जा रही है और जिमेदार कौन है।
फटकार पर ज्यादातर अफसर एक-दूसरे का मुंह देखने लगे। ऐसे में मुयमंत्री ने तत्काल नई व्यवस्था लागू को कहा। वे सोमवार को मंत्रालय में नए आपराधिक कानूनों के प्रावधानों को लागू करने से जुड़ी प्रगति की समीक्षा कर रहे थे। इसमें डायल-100 का विषय भी शामिल था।
नए आपराधिक कानूनों के प्रावधान बीते एक जुलाई से प्रभावी हुए हैं। इनके तहत ई-समन समेत कुछ मामलों में मध्यप्रदेश अन्य राज्यों की तुलना में आगे है, लेकिन अपराध दर्ज होने, जांच शुरू होने, आरोपियों को पकड़ने, कोर्ट में पेश करने से लेकर सुनवाई की प्रक्रिया समेत सभी चरणों को ऑनलाइन करना है, ताकि किसी भी स्तर पर प्रक्रिया न अटके और पीड़ित को जल्द न्याय मिल सके। मुयमंत्री ने अफसरों को दो टूक कहा कि कानून के सभी प्रावधान जून तक शत-प्रतिशत लागू हो जाने चाहिए। इसमें कोई कसर न छूटे, इसका ध्यान रखें, जिन स्तरों पर देरी हो रही है, उन्हें देखें और सुधार करें।
नए आपराधिक कानूनों में अचल संपत्तियों समेत आर्थिक अपराधों पर ज्यादा जोर दिया जा रहा है। खासकर ऐसे मामले जिनमें आरोपियों ने किसी न किसी अपराध का सहारा लेकर संपत्ति बनाई है। ऐसे सभी पुराने मामलों की विवेचना जल्द पूरी करने और उनमें चालान पेश करने के निर्देश हैं। सीएम ने अफसरों को छूट दी। कहा कि पुलिस को जब भी ऐसे मामलों से जुड़ी संपत्ति की जांच करनी हो, उनमें राजस्व टीम की मदद लें, क्योंकि जमीनों के मामलों में पुलिस से ज्यादा राजस्व की टीम विशेषज्ञ होती है। दो पक्षों के बीच जमीन विवाद के मामलों के निपटारे में भी राजस्व को समय से पहले पुलिस को सूचना देनी चाहिए, ताकि किसी भी तरह की संभावित अप्रिय स्थिति से निपटा जा सके।
अफसरों ने बताया कि समयावधि में चालान के लिए नवीन डैशबोर्ड उपलब्ध है। ई-साक्ष्य की प्रक्रिया भी शुरू की जा चुकी है। पुलिस थानों तक वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के लिए न्यायश्रुति सॉटवेयर तैयार कर लिया है और थानों व कंट्रोल रूम में साउंड प्रूफ कक्ष चिह्नित किए जा रहे हैं। ऑनलाइन समन/वारंट मॉड्यूल के अंतर्गत गतिविधियां प्रगति पर हैं। पिछले तीन महीने में 50 प्रतिशत से अधिक वारंट तिथि से पहले इलेक्ट्रॉनिक रूप से तामील किए गए। इनकी मॉनिटरिंग के लिए सभी जिलों में सेल गठित किए जा चुके हैं। डिजिटल इन्वेस्टिगेशन के लिए टैबलेट्स और लाइव स्कैनर थानों को उपलब्ध कराए जा रहे हैं। डिजिटल धोखाधड़ी, डेटा चोरी जैसे अपराधों के बारे में जागरूकता की दिशा में काम कर रहे हैं।
Published on:
08 Apr 2025 10:30 am
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