
नॉन स्टिक बर्तनों में खाना बनाना कैंसर को देता है न्योता, ये गलतियां कर सकती है गंभीर बीमार
भोपाल/ जैसे जैसे हम आधुनिकता की ओर बढ़ रहे हैं, वैसे वैसे हमारी रोजमर्रा की चीजों के इस्तेमाल बदलते जा रहे हैं। लेकिन, जहां एक तरफ इस बदलाव के कई फायदे हैं तो वहीं, दूसरी तरफ इसके कई नुकसान भी हैं। जैसे, पहले के ज़माने में आमतौर पर हर घर में चूले पर खाना बनाया जाता था, लेकिन जब से हम पक्के मकानों में रहने लगे हैं, तब से हमारे घर के किचन भी व्यवस्थित और इस्तेमाल की चीजें बदल गई हैं। अब हम अगर किचन में इस्तेमाल होने वाले बर्तनों की ही बात करें तो, आज शायद ही कोई ऐसा घर होगा, जिनमें खाना बनाने के लिए नॉन स्टिक बर्तनों का इस्तेमाल ना किया जा रहा हो। लेकिन, क्या आपको पता है कि, इन नॉन स्टिक बर्तनों का इस्तेमाल हमें जानलेवा बीमारियों की ओर धकेल रहा है।
इसलिए बढ़ा इन बर्तनों का चलन
आसानी से साफ हो जाने और बर्तन पर आग के धुएं और खाने के निशान ना लगने के चलते आज आमतौर पर हमारे किचन में नॉन स्टिक बर्तन का इस्तेमाल खाना बनाने में हो रहा है। इन बर्तनों में खाना तेज़ी से बनाया जा सकता है। लेकिन, अगर आपसे ये कहा जाए कि, इन बर्तनों में खाना पकाना आपकी सेहत को नुकसान पहुंचा रहा है, तो शायद आपको यकीन नहीं होगा, लेकिन ये बात सौ फीसदी सच है। ऐसा हम नहीं बल्कि, एक्सपर्ट्स दावा कर रहे हैं। हालही में हुए एक शोध में तो ये बात तक सामने आई है कि, नॉन-स्टिक बर्तनों में खाने बनाने से कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी का खतरा भी काफी बढ़ जाता है।
स्टडीज़ में बताया सेहत का दुश्मन
दरअसल, इन बर्तनों में एक खास तरह की पॉलीटेट्राफ्लूरोएथिलिन (PTFE) कोटिंग का इस्तेमाल किया जाता है, जिसके कारण इन बर्तनों में कम से कम घी या तेल में खाना बनाया जा सकता है और इस्तेमाल के दौरान इनमें खान चिपकता भी नहीं है। हालांकि, शोध में माना गया है कि, इन बर्तनों में इस्तेमाल होने वाली PTFE कोटिंग से सेहत को काफी नुकसान पहुंचता है। स्टडीज में तो इसे सेहत का दुश्मन भी बताया गया है।
इसलिए नॉन हानिकारक है नॉन स्टिक
आम तौर पर पॉलीटेट्राफ्लूरोएथिलिन को टेफ्लॉन कहा जाता है। इसको PFOA ( perfluorooctanoic acid ) से बनाया जाता है, जो एक जहरीला और प्रदूषक पदर्थ होता है। इसका संबंध थायरॉइड डिसऑर्डर, क्रॉनिक किडनी डिजीज, लिवर डिजीज और भी कई बीमारियों से पाया गया है। इस वजह से टेफ्लॉन के निर्माण में PFOA के दूसरे केमिकल GenX का इस्तेमाल होने लगा है। बर्तन खरीदी के दौरान कई बार आपने ध्यान भी दिया होगा कि, नॉन-स्टिक बर्तनों की पैकिंग पर PFOA-फ्री लिखा होता है, जिसके ज़रिये बताया जाता है कि, इस बर्तन की कोटिंग PFOA से नहीं की गई है।
अक्सपर्ट ने कहा-'स्लो पॉइजन'
हेल्थ एक्सपर्ट प्रवीण जैन के मुताबिक, लोगों को नॉनस्टिक बर्तनों के इस्तेमाल से बचना चाहिए। उन्होंने सवाल करते हुए कहा कि, जब हमारा भोजन सादे बर्तन में भी बन जाता है तो हमें इन ब्तनों के इस्तेमाल की ज़रूरत ही क्यों पड़ती है। उन्होंने कहा कि, भले ही, नॉनस्टिक बर्तन PFOA-फ्री हो, लेकिन फिर भी उसपर कोटिंग करने के लिए दूसरे केमिकल का इस्तेमाल तो किया ही जाता है। इसके अलावा एक काम की बात ये भी है कि, अगर नॉन-स्टिक बर्तन पर स्क्रैच पड़ जाएं, तो उसे बिल्कुल भी इस्तेमाल नहीं करना चाहिए क्योंकि स्क्रैच से आतंरिक परत में मौजूद टेफ्लॉन खाने के जरिए हमारे शरीर में जाता है, जो शरीर के लिए स्लो पॉइजन का काम करता है।
नॉन स्टिक बर्तन पर खाना बनाने से पहले इन बातों का रखें ध्यान
-नॉन स्टिक बर्तनों को इस तरह रगड़कर ना धोएं, जिससे उसकी परत घिसे।
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Published on:
05 Sept 2019 01:20 pm
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