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शमशान घांटों पर लगने लगा है अस्थि कलश का ढेर, बस अब इस इंतेजार में हैं मृतक के परिजन

शमशान घाटों पर लगने लगा अस्थि कलश का ढेर, लॉकडाउन खुलने के इंतेजार में मृतक के परिजन

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शमशान घांटों पर लगने लगा है अस्थि कलश का ढेर, बस अब इस इंतेजार में हैं मृतक के परिजन

भोपाल/ कोरोना वायरस का असर जिंदा लोगों के जीवन पर तो पड़ ही रहा है। साथ ही, ये लोगों को मरने के बाद भी सुकून नहीं लेने दे रहा है। ये बात हम इस लिए कह रहे हैं कि, संक्रमण के चलते अस्थियों को भी विसर्जन का इंतजार करना पड़ रहा है। राजधानी भोपाल के विश्राम घाटों पर लॉकडाउन लगने से लेकर अब तक दर्जनों की संख्या में अस्थि कलश जमा हो गए हैं। मृतकों के परिवारों को इंतजार है कि, लॉकडाउन खत्म हो तो वो अपने खास का अस्थि विसर्जन कर सकें।

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25 मार्च को जब लॉकडाउन लागू हुआ, तब से लेकर 22 मई तक, शहर में सोकड़ों लोगों की मृत्यु हो चुकी है। जो हिंदू थे उनका शहर के विभिन्न श्मशान घाटों पर अंतिम संस्कार तो विधिवत रूप से कर दिया गया। उसके बाद अस्थि संचय कर लिया गया। हालांकि, लॉकडाउन के चलते उनकी अस्थियों का विसर्जन नहीं हो पा रहा। शहर के सुभाषनगर विश्राम घाट में आम दिनों में अस्थि कक्ष पूरी तरह खाली रहता था। लेकिन लॉकडाउन में इस कमरे की तस्वीर बदल गई है. इस कमरे में 180 अस्थि कलश रखने की गुंजाइश है। इससे पहले कभी भी अस्थि कक्ष में वेटिंग की स्थिति नही रही। लेकिन यहां के सभी 180 लॉकर भर गए, तो अस्थियां रखने के लिए नया कमरा तैयार किया गया। ये हाल शहर के हर एक विश्राम घाट का है। एक विश्राम घाट में अभी 250 से ज्यादा अस्थि कलश विसर्जन के इंतजार में रखे हैं।

ऐसा पहली बार हो रहा है

सुभाष नगर विश्राम घाट के प्रबंधक शोभराज के मुताबिक, वो बीते काफी सालों से यहां हैं। लेकिन इससे पहले उन्होंने न ही ऐसी स्थिति देखी और न सुनी है। जब अस्थि विसर्जन के लिए परिवार को इंतजार करना पड़ा हो। अब तक कभी भी इतने अस्थि कलश यहां एक साथ नहीं रखे गए। भोपाल में सुभाष नगर, चांदबड़, भदभदा, हथाईखेड़ा, कोलार बैरागढ़, छोला सहित आठ विश्राम घाट हैं। इन सभी विश्राम घाटों पर करीब 250 अस्थि कलश पिछले 51 दिनों से रखे हुए हैं।

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अब तक सिर्फ दो कलश ही हुए विसर्जित

शोभराज के मुताबिक, अकसर लोग अपने मृतक की अस्थियां गंगा में विसर्जित करने की इच्छा रखते हैं। लेकिन, लॉकडाउन के चलते फिलहाल ये संभव नहीं है। पिछले दो दिन में दो कलश नर्मदा में विसर्जन के लिए होशंगाबाद ले जाए गए, बाकी यहीं रखे हैं। एक मृतक के परिजन का कहना है कि, उनकी इच्छा थी कि, अपने मृतक की अस्थियां इलाहाबाद जाकर गंगा में विसर्जित करें। लेकिन लॉकडाउन के कारण ये संभव नहीं हो सका। फिर सोचा कि, उज्जैन की क्षिप्रा में विसर्जन कर आएं। लेकिन उज्जैन भी रेड जोन में होने के कारण वहां जाने की भी परमिशन नहीं मिली। इसलिए अब अगर परमिशन मिल गई तो होशंगाबाद जाकर नर्मदा में ही अस्थि विसर्जन कर आएंगे।