बीते माह जून में सामने आए हेल्थ बुलेटिन के आंकड़ों पर गौर करें तो करीब 1878 लोग प्रदेशभर में संक्रमित हुए थे। इनमें से 55 की हालत अधिक खराब होने की वजह से इन्हें अस्पताल में भर्ती करना पड़ा था। इस दौरान 7 लोगों की मौत भी हुई। चिंताजनक बात ये है कि, इनमें से अधिकतर जान गवाने वाले लोग उम्रदराज हैं। यानी 50 प्लस एज के ग्राफ में आने वालों को पिछले दौर की तरह इस बार भी संक्रमण से जान जाने का अधिक खतरा है। जद में आने से जिन सात मरीजों की मौतें हुई, उनमें से 4 की उम्र 70 से ज्यादा थी, जबकि बाकि तीन भी 50 प्लस ही थे।
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लापरवाही भी बढ़ा रही खतरा
स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों पर गौर करें तो पिछले एक महीने में सामने आए संक्रमितों में से 186 तो ऐसे भी हैं, जिन्होंने वैक्सीन का एक भी डोज नहीं लगवाया था। 44 पॉजिटिव ऐसे हैं, जिन्हें सिर्फ एक डोज ही लगा था। अब तेजी से मरीज बढ़ रहे हैं। ऐसे में नॉन वैक्सीनेटेड ग्रुप को गंभीर खतरा भी बढ़ रहा है।
बूस्टर डोज के लिए गंभीर नहीं हो रहे लोग
केंद्र सरकार ने 18 से 59 साल की उम्र के लोगों को अब पेड बूस्टर डोज लगाने की अनुमति दे दी है। लेकिन, लोग पैसे देकर प्राइवेट हॉस्पिटल्स में बूस्टर डोज लगवाने नहीं पहुंच रहे। प्रदेश में 18 से 59 साल के उम्र के अब तक सिर्फ 28 हजार लोगों को ही बूस्टर डोज लग पाया है। भोपाल जैसे बड़े शहर में बूस्टर डोज लगाने के लिए एक-दो निजी अस्पतालों में ही व्यवस्था है।
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