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धीरेंद्र शास्त्री का चौंकाने वाला दावा, ‘भूतों पर कई लोगों ने की PhD, मैं भी करूंगा’, जानें सच्चाई

dhirendra shastri shocking statement: मध्य प्रदेश के बागेश्वरधाम के पीठाधीश्वर ने किया चौंकाने वाला दावा, दुनिया में कई यूनिवर्सिटी कराती हैं भूतों पर PhD...क्या सच में होती है भूतों पर पढ़ाई?

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Dhirendra Shastri Shocking Statement

Dhirendra Shastri Shocking Statement: आखिर किस युनिवर्सिटी में होता है भूतों पर कोर्स, धीरेंद्र शास्त्री के दावे में कितनी सच्चाई?

dhirendra shastri shocking statement: बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री एक बार फिर सुर्खियों में हैं। इस बार उन्होंने ऐसा बयान दिया है, जिसने लोगों को चौंका दिया। धीरेंद्र शास्त्री ने नया दावा करते हुए कहा है कि 'बहुत लोगों ने भूतों पर PhD की है' और अब वे स्वयं भी भूत-प्रेत और अलौकिक विषयों पर शोध कर PhD करने की योजना बना रहे हैं।

पढ़ें पूरा बयान जिस पर उठे सवाल

हाल ही में एक बातचीत के दौरान धीरेंद्र शास्त्री से जब पूछा गया कि भविष्य में वे किस विषय पर रिसर्च करना चाहेंगे। इस पर उनका जवाब चौंकाने वाला था। उन्होंने कहा कि 'मैं भूतों पर PhD करना चाहता हूं। लोग मजाक उड़ाते हैं कि भूतों पर PhD कौन करता है? लेकिन बहुत लोगों ने की है। ऑक्सफोर्ड और कैम्ब्रिज जैसे विश्वविद्यालयों में इस विषय पर रिसर्च होती है।'

धीरेंद्र शास्त्री ने आगे कहा कि भारत जैसे देश में, जहां धर्म, अध्यात्म और परालौकिक मान्यताओं की गहरी जड़ें हैं, वहां इस विषय पर अकादमिक अध्ययन को मान्यता मिलनी चाहिए।

धीरेंद्र शास्त्री का ये बयान क्यों बना मुद्दा?

धीरेंद्र शास्त्री के इस बयान के बाद सोशल मीडिया पर बहस छिड़ गई है। कुछ लोग इसे शास्त्री का आध्यात्मिक आत्मविश्वास बता रहे हैं। वहीं, आलोचकों का कहना है कि यह सिर्फ सुर्खियां बटोरने का तरीका है।
वहीं कई लोगों ने व्यंग्य करते हुए लिखा कि 'भूतों पर PhD तो मिल गई, अब तो आत्माओं का इंटरव्यू भी हो जाना चाहिए।'

यह बयान किस ओर इशारा करता है?

एक्सपर्ट्स की मानें तो धीरेंद्र शास्त्री का यह बयान सिर्फ 'आध्यात्मिक शोध' की बात नहीं है, बल्कि यह कई संकेत भी देता है-

-- वे लोकप्रियता बनाए रखना चाहते हैं: असामान्य दावे करने से वे लगातार मीडिया और जनता की नजर में बने रहते हैं।

-- धर्म और विज्ञान की टकराहट: जब धार्मिक नेता किसी वैज्ञानिक दायरे से बाहर के विषय पर रिसर्च की बात करते हैं, तो यह बहस को नया मोड़ देता है।

-- राजनीतिक और धार्मिक छवि: उन्होंने बयान के दौरान यह भी कहा कि 'हमें गजवा-ए-हिंद नहीं, भगवा-ए-हिंद चाहिए।' यानी आध्यात्मिक विमर्श को वे सामाजिक और राजनीतिक संदर्भों से जोड़कर पेश करते हैं।

    क्या सच में भूतों पर PhD होती है?

    यहां सबसे अहम सवाल यही है कि क्या वाकई दुनिया की किसी यूनिवर्सिटी में 'भूतों पर PhD' होती है। तथ्य यह है कि सीधे तौर पर 'Ghost Studies' या 'Bhooton par PhD' नाम से कोई मान्यता प्राप्त विषय नहीं है। हां लेकिन, Parapsychology (पैरा-साइकोलॉजी) नामक विषय पर कई विश्वविद्यालयों में शोध जरूर किए जाते हैं। जिनमें टेलीपैथी, आत्मा, परालौकिक गतिविधियों और अलौकिक दावों पर वैज्ञानिक अध्ययन शामिल है। ब्रिटेन और अमेरिका की कुछ यूनिवर्सिटीज में ऐसे रिसर्च सेंटर हैं, लेकिन यह विषय अभी भी विवादित और सीमित हैं।

    एडिनबरा यूनिवर्सिटी में 50 साल से किया जा रहा है शोध

    इसका एक उदाहरण है एडिनबरा यूनिवर्सिटी का कोस्टलर पराइकोलॉजी यूनिट। जो परासाइकोलॉजी के कई पहलुओं पर शोध करता है। इसमें शरीर से बाहर के अनुभव, भूत-प्रेत या अलौकिक घटनाओं के अनुभव, सपनों पर अध्ययन, साइको क्षमता जैसे अन्य विषय शामिल हैं। यहां पिछले 50 साल से शोध किया जा रहा है। स्टूडेंट्स यहां से कोर्स भी कर सकते हैं। दुनिया के कई विश्वविद्यालय में इस तरह का कोर्स करवाते हैं।

    कल्चरल एंथ्रोपोलॉजी पढ़कर भी धीरेंद्र शास्त्री पूरा कर सकते हैं सपना

    इसके अलावा कल्चरल एंथ्रोपोलॉजी यानी सांस्कृतिक मानवशास्त्र वह विषय है जिसमें मानव समाज, उसकी परम्पराओं, रीति-रिवाज और धर्म, सामाजिक व्यवहार आदि का अध्ययन किया जाता है। इसके लिए हार्वर्ड यूनिवर्सिटी, ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी, यूनिवर्सिटी ऑफ कैंब्रिज और स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी में कोर्स किया जा सकता है।

    धीरेंद्र शास्त्र के इस बयान का क्या हो सकता है असर?

    बता दें कि भारतीय समाज में पहले से ही धर्म और अलौकिक मान्यताओं को लेकर लोग बेहद संवेदनशील है। धीरेंद्र शास्त्री का यह बयान उनके अनुयायियों को और उनकी संवेदनशीलता को और मजबूत कर सकता है। क्योंकि वे उनके बयान को 'धार्मिक सत्यापन' मान सकते हैं। दूसरी ओर, शिक्षाविद और वैज्ञानिक समुदाय ऐसे दावों को 'अंधविश्वास बढ़ाने वाला' कह सकते हैं। तो वहीं उनका यह बयान युवा पीढ़ी में जिज्ञासा और भ्रम दोनों ही स्थितियां पैदा करने वाला हो सकता है।