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मध्यप्रदेश में ‘कमल’ का रहेगा वर्चस्व, सिंधिया के बाद अब दिग्विजय को नेपथ्य में भेजने की साजिश !

ज्योतिरादित्य सिंधिया के पास मध्यप्रदेश में कोई बड़ी जिम्मेदारी नहीं है। कमलनाथ के मंत्री ने सोनिया गांधी को लेटर भी लिखा है।

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भोपाल

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Pawan Tiwari

Sep 02, 2019

मध्यप्रदेश में 'कमल' का रहेगा वर्चश्व, सिंधिया के बाद अब दिग्विजय को नेपथ्य में भेजने की साजिश !

मध्यप्रदेश में 'कमल' का रहेगा वर्चश्व, सिंधिया के बाद अब दिग्विजय को नेपथ्य में भेजने की साजिश !

भोपाल. मध्यप्रदेश में कांग्रेस अध्यक्ष के चयन के पहले गुटबाजी अब खुलकर सामने आने लगी है। प्रदेश के वन मंत्री उमंग सिंघार ने पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह पर हमला बोला है तो वहीं, कमलनाथ सरकार के मंत्री सज्जन सिंह वर्मा ने भी दिग्विजय की कार्यशैली पर सवाल उठाए हैं। वहीं, पीसी शर्मा ने दिग्विजय सिंह का बचाव किया है। ऐसे में अब मध्यप्रदेश की सियासत में यह सवाल उठने लगे हैं कि क्या ज्योतिरादित्य सिंधिया की तरह दिग्विजय सिंह को भी मध्यप्रदेश की सियासत से बाहर किए जाने की तैयारी है।

उमंग सिंघार ने क्या कहा-
प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए पहले से ही खींचतान मची है। अब कांग्रेस वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह की चिट्ठी से सरकार में खलबली मच गई है। वन मंत्री उमंग सिंघार के बयान से विवाद और बढ़ सकता है। उमंग सिंघार ने रविवार को कहा- दिग्विजय सिंह पर्दे के पीछे से सरकार चला रहे हैं। इसके साथ ही उमंग सिंघार ने कहा- दिग्विजय सिंह, मुख्यमंत्री के काम में भी दखल रखते हैं। बता दें कि भाजपा इससे पहले भी आरोप लगा रही थी कि मध्यप्रदेश में तीन सीएम हैं और दिग्विजय सिंह सुपर सीएम हैं।

बेटे को नहीं मिला पसंदीदा मंत्रालय
मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद मंत्रियों के विभागों के बंटवारे में पार्टी को काफी मशक्कत करनी पड़ी थी। इस दौरान खबरें ये भी आईं की दिग्विजय सिंह अपने बेटे के लिए वित्त मंत्रालय की मांग कर रहे थे पर सीएम कमलनाथ वित्त मंत्रालय अपने करीबी नेता को देना चाहते थे। बाद में हुआ भी ऐसा और दिग्विजय सिंह के बेटे को नगरीय प्रशासन मंत्रालय मिला जबकि 12वीं पास तरुण भनोत को प्रदेश का वित्त मंत्री बनाया गया।

डॉ गोविंद सिंह के मसले पर भी सीएम ने नहीं लिया एक्शन
प्रदेश के सहकारिता मंत्री और दिग्विजय सिंह के करीबी डॉ गोविंद के मुद्दे पर कमलनाथ ने सख्त निर्णय नहीं लिए थे। डॉ गोविंद सिंह ने अवैध रेत खनन को लेकर पुलिस अधिकारियों पर कई आरोप लगाए थे। उन्होंने कहा था कि आईजी और कलेक्टर के कहने के बावजूद अवैध तेत का खनन नहीं रुक रहा है। गोविंद सिंह ने कहा था कि भिंड और दतिया में तो आईजी स्तर के अधिकारियों की इसमें मिलीभगत है। मंत्री ने कहा कि एक-एक टीआई 50-60 लाख रुपये तक वसूल रहा है। यह पैसा ऊपर भी जाता है। इस बयान के बाद सिंधिया खेमे के मंत्री और विधायक डॉ गोविंद सिंह के खिलाफ हमलावर हो गए थे। जिसके बाद गोविंद सिंह ने सीएम से मुलाकात की बात कही थी। इस पूरे मसले में सज्जन सिंह वर्मा ने कहा- उनकी चिंता जायज है। आखिर किस अधिकारी की मजाल हो जो उनकी बात नहीं सुने, मेरे अधिकारी मेरी बात न सुनें तो मैं इस्तीफा दे दूं। वहीं, सीएम कमल नाथ ने केवल यह कहा कि मंत्री सार्वजानिक जगहों पर ऐसी बयानबाजी नहीं करें।


अजय सिंह पर भी नहीं बनी सहमति
प्रदेश अध्यक्ष को लेकर कमलनाथ और सिंधिया गुट के बाद अचानक से दिग्विजय सिंह का खेमा भी एक्टिव हुआ। इस दौरान अजय सिंह का नाम प्रदेश अध्यक्ष के लिए सुर्खियों में कहा। दिग्विजय सिंह खुद अजय सिंह से मिलने के लिए उनके आवास पर पहुंचे। इस दौरान उनके साथ डॉ गोविंद सिंह भी मौजूद थे। कई विधायक भी अजय सिंह से मिलने पहुंचे। जानकारों ने इसे प्रेशर पॉलिटिक्स का नाम दिया। लेकिन खुद अजय ने कह दिया कि वो अध्यक्ष पद की दौड़ में शामिल ही नहीं हैं।

क्या बोले सज्जन वर्मा
वहीं, इस मसले में कमलनाथ खेमे के मंत्री सज्जन सिंह वर्मा ने भी अप्रत्यक्ष तौर पर दिग्विजय सिंह पर हमला बोला। सज्जन सिंह वर्मा ने कहा- दिग्विजय सिंह वरिष्ठ नेता हैं और उन्हें चिट्ठी लिखनी की कोई जरूरत नहीं हो उनके एक फोन से भी काम हो सकता है। उन्होंने कहा कि दिग्विजय सिंह जी अपने कार्यकाल के अधूरे कामों को पूरा करवाना चाहते हैं। हालांकि अंतिम में उन्होंने ये भी कहा कि चिट्ठी लिखना तो विपक्ष का काम है।