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विवादों में घिरीं डॉ. अरुणा कुमार बनी डीएमई, जूनियर डॉक्टरों ने जताई आपत्ति

MP News: वर्ष 2023 में गांधी मेडिकल कॉलेज की गायनिक विभाग की एक पीजी छात्रा बाला सरस्वती की आत्महत्या के बाद डॉ. अरुणा चर्चा में आईं थीं। क्योंकि डॉक्टर ने अपने सुसाइड नोट में विभाग की एचओडी डॉ. अरुणा कुमार और अन्य सीनियर डॉक्टरों पर प्रताड़ित करने का आरोप लगाया था।

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Dr. Aruna Kumar

Dr. Aruna Kumar

MP News: स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग ने डायरेक्टर मेडिकल एजुकेशन के पद से डॉ. अरुण कुमार श्रीवास्तव(Dr. Aruna Kumar) के सेवानिवृत्त होने के बाद वर्ष 2023 से विवादित रहीं डॉ. अरुणा कुमार की नियुक्ति कर दी है। विभाग ने गुरुवार को आदेश जारी कर दिया है।

वर्ष 2023 में गांधी मेडिकल कॉलेज की गायनिक विभाग की एक पीजी छात्रा बाला सरस्वती की आत्महत्या(Bala Saraswati Suicide Case) के बाद डॉ. अरुणा चर्चा में आईं थीं। क्योंकि डॉक्टर ने अपने सुसाइड नोट में विभाग की एचओडी डॉ. अरुणा कुमार और अन्य सीनियर डॉक्टरों पर प्रताड़ित करने का आरोप लगाया था। इसके बाद जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन ने डॉ. अरुणा को बर्खास्त करने की मांग को लेकर हड़ताल शुरू की थी। जूडा की हड़ताल के बाद डॉ. अरुणा को एचओडी पद से हटा दिया गया था। इसके बाद वर्ष 2024 में विभाग ने उन्हें गांधी मेडिकल कॉलेज का डीन बना दिया था। उनकी नियुक्ति होते ही फिर जूडा ने हड़ताल का ऐलान कर दिया था। इसके बाद 24 घंटे में ही विभाग को आदेश वापस लेना पड़ा था। इसके बाद से वे विभाग में संचालक पद पर काम कर रही थीं।

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जूडा ने मुख्यमंत्री को लिखा पत्र

जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन ने डॉ. अरुणा कुमार को डीएमई बनाए जाने के आदेश पर पुनर्विचार के लिए उप मुख्यमंत्री को पत्र लिखा है। जूडा ने इस निर्णय को छात्र तथा चिकित्सकों के हित में नहीं बताया। साथ ही आरोप लगाए कि डॉ. अरुणा का पूर्व कार्यकाल विवादों में रहा है तथा उनके कार्यकाल में कॉलेज परिसर में लगातार असंतोष और प्रशासनिक अव्यवस्थाएं भी थीं। इससे शैक्षणिक वातावरण प्रभावित होने से छात्रों के भविष्य पर भी संकट बना। जूडा ने लिखा - डॉ. अरुणा की छवि एक विवादित अधिकारी के रूप में रही है तथा उनका कार्यकाल निष्पक्षता और पारदर्शिता से दूर रहा है।

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इस पृष्ठभूमि में उनकी नियुक्ति डीएमई जैसे महत्वपूर्ण पद पर किया जाना उचित नहीं है। इससे मेडिकल शिक्षा प्रणाली की निष्पक्षता और गुणवत्ता पर प्रश्नचिह्न खड़ा होता है। डॉ. अरुणा के विभागाध्यक्ष के तौर पर कार्यकाल में मानसिक प्रताड़ना से पीड़ित एक महिला जूनियर डॉक्टर ने खुदकुशी की थी। जूडा ने छात्र हित और चिकित्सा शिक्षा की गरिमा को ध्यान में रखते हुए इस नियुक्ति पर विचार करने की मांग की है।