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78 सीटों पर बदले जाएंगे प्रत्याशी, सीएम शिवराज सिंह भी भोपाल से लड़ेंगे चुनाव!

locationभोपालPublished: Oct 17, 2018 05:30:36 pm

Submitted by:

Manish Gite

78 सीटों पर बदले जाएंगे प्रत्याशी, सीएम शिवराज सिंह भी भोपाल से लड़ेंगे चुनाव!

shivraj singh chauhan

78 सीटों पर बदले जाएंगे बीजेपी के प्रत्याशी, सीएम शिवराज सिंह भोपाल से लड़ेंगे चुनाव!

भोपाल। प्रत्याशी चयन से पहले राष्ट्रीय स्वयं संघ की तरफ से बड़ी खबर आई है। संघ ने भाजपा संगठन को सलाह दी है कि इस बार 78 सीटों के उम्मीदवार बदल देना चाहिए। इसके अलावा संघ ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को भी भोपाल से चुनाव लड़ने की सलाह दी है। संघ की इस सलाह से भाजपा में पसोपेश की स्थिति बन गई है।

राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) ने बीजेपी को सलाह देकर मुश्किलें बढ़ा दी है। यदि भाजपा संघ की यह सलाह मान लेता है तो 78 सीटों पर प्रत्याशी बदल दिए जाएंगे, साथ ही मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी भोपाल की गोविंदपुरा सीट से चुनाव लड़ेंगे। इस बीच बुधवार को भोपाल में हुई रायशुमारी के दौरान गोविंदपुरा सीट से पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर ने अपना दावा पेश कर दिया, साथ ही पैनल में अपनी पुत्र बहु कृष्णा गौर के नाम का भी प्रस्ताव किया है।

भारतीय जनता पार्टी में इस समय प्रत्याशी चयन के लिए मशक्कत की जा रही है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ने सलाह दी है कि इस बार 78 सीटों पर उम्मीदवार बदल देना चाहिए। सूत्रों के मुताबिक संघ ने यह भी सलाह दी है कि मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को बुदनी सीट छोड़कर भोपाल की गोविंदपुरा सीट से चुनाव लड़ना चाहिए।

 

पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर की सीट है गोविंदपुरा
सूत्रों के मुताबिक संघ ने जिस सीट पर चुनाव लड़ने के लिए शिवराज सिंह कौ सलाह दी है, वो पारंपरिक सीट पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर की है। इस सीट से अब तक बाबूलाल गौर ही जीतते आए हैं। इधर, बुधवार को भोपाल में हुई रायशुमारी में गौर ने गोविंदपुरा सीट से चुनाव लड़ने के लिए अपना दावा पेश कर दिया है, साथ ही उन्होंने पुत्र वधु कृष्णा गौर के नाम का भी प्रस्ताव किया है। गौर के साथ उनकी बहू का नाम भी पैनल में जोड़ दिया गया है। इससे एक दिन पहले ही गोविंदपुरा सीट को लेकर वंशवाद को लेकर भी प्रदर्शन किया था। यह प्रदर्शन असंतुष्ट गुट की तरफ से हुआ था। वे नहीं चाहते थे कि गौर के बाद उनकी बहू को यहां से टिकट दी जाए।

shivraj

दो दिग्गजों में हो सकता है मनमुटाव
भाजपा में पिछले कई दिनों से दरकिनार कर दिए गए उम्रदराज नेता बाबूलाल गौर कई बार इसी सीट से चुनाव लड़ने की बात कह चुके हैं। इसके अलावा वे अपनी पार्टी से भी नाराज होकर कई बार विपक्षी दल कांग्रेस के कार्यक्रमों में भी शिरकत कर चुके हैं। राजनीतिक जानकारों की माने तो यदि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान इस सीट से चुनाव लड़ते हैं तो वर्तमान विधायक बाबूलाल गौर की नाराजगी से संगठन को नुकसान हो सकता है। क्योंकि गौर चाहते हैं कि वे ही इसी सीट से चुनाव लड़ें। इसके अलावा उनकी पुत्र-वधु कृष्णा गौर भी गोविंदपुरा विधानसभा सीट से चुनाव लड़ने की इच्छुक हैं। वे काफी समय से इसी क्षेत्र में सक्रिय भी हैं। माना जाता है कि बाबूलाल गौर यदि चुनाव नहीं लड़ते हैं तो उनकी बहु पूर्व महापौर कृष्णा गौर को यहां से लड़वा सकते हैं। इसके अलावा यदि शिवराज सिंह चौहान यहां से लड़ेंगे तो दोनों ही दिग्गजों में मनमुटाव और नाराजगी काफी बढ़ सकती है।

 

इस बार कट सकता है 30 फीसदी का टिकट
भाजपा के भीतर प्रत्याशी चयन के लिए मशक्कत का दौर जारी है। वहीं बीजेपी इस बार अपनी रणनीति बदल सकती है। सूत्रों के मुताबिक इस बार 30 फीसदी विधायकों के टिकट कांटे जा सकते हैं। यह वे विधायक हो सकते हैं, जिनका परफार्मेंस ठीक नहीं रहा। मध्यप्रदेश में जीत को बरकरार रखने के लिए बीजेपी इस बार कुछ सांसदों को भी विधायक के टिकट पर चुनाव लड़ाने की तैयारी में है।


अगले सप्ताह तय हो जाएगी टिकट
भारतीय जनता पार्टी की केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक 20 अक्टूबर को या उसके आसपास होने वाली है। इसी बैठक में मध्यप्रदेश समेत बाकी राज्यों के प्रत्याशियों के नाम जारी कर दिए जाएंगे।

इस बार है ज्यादा चुनौती
भाजपा के रणनीतिकार भी जानते हैं कि इस बार बीजेपी के लिए ज्यादा चुनौती है। क्योंकि बीजेपी शासित राज्यों में रकार विरोधी माहौल बन रहा है, जिससे निपटना बड़ी चुनौती है।


इन विधायकों की स्थिति ठीक नहीं
मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में 15 सालों से सत्ता में काबिज बीजेपी को कमजोर परफार्मेंस वाले विधायकों की स्थिति से भी निपटना है। क्योंकि कई सर्वे और संगठन की गुप्त रिपोर्ट और आकलन के अनुसार तीन राज्यों में 30 प्रतिशत विधायकों की स्थिति अच्छी नहीं कही जा सकती है। यह लोग चुनाव हार सकते हैं, इसलिए बीजेपी का केंद्रीय संगठन यह चाहता है कि यहां से जिताऊ उम्मीदवार खड़ा किया जाएगा।सबसे ज्यादा खराब स्थिति राजस्थान की बताई जाती है। इसलिए बीजेपी के लिए तीनों राज्य काफी अहम है, क्योंकि इन राज्यों में सरकारें होने के साथ ही यहां ज्यादातर लोकसभा सीटें भी बीजेपी के पास है। ऐसे में यहां के नतीजों का असर निश्चित ही अगले साल 2019 में होने वाले लोकसभा चुनावों पर भी पड़ेगा।

सांसद भी चाहते हैं लड़ना
खबर है कि कुछ सांसदों ने भी विधानसभा चुनाव लड़ने की इच्छा जताई है। इसके अलावा पार्टी भी कुछ सांसदों को आजमा सकती है, क्योंकि चुनाव जीतने के लिए यह उसके लिए सहारा बन सकते हैं। सांसदों के बारे में फैसला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह मिलकर लेंगे, क्योंकि सांसद संसदीय दल से जुड़े होते हैं।

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