
50 साल से रमजान में रोजा और नमाज पढ़ रहा है ये आस्थावान हिंदू, वजह जानकर आप कहेंगे- ये है सच्चा भारतीय
भोपाल. एक तरफ जहां देश में अलग अलग जगहों पर धार्मिक कट्टरता का माहौल देखने को मिल रहा है तो वहीं देश में कुछ लोग ऐसे भी हैं जो गंगा जमुनी तेहजीब का उदाहरण देते हुए हमे अहसास कराते हैं कि, हम एक स्वतंत्र देश के नागरिक हैं। पिछले दिनों हमने महाराष्ट्र के रहने वाले सलीम इस्माइल पठान के बारे में जाना जिनका विश्वास था कि, नर्मदा मैया ने उनकी आंखें ठीक की हैं तो वो रमजान के दिनों में रोजे की हालत में न सिर्फ पैदल नर्मदा की परिक्रमा कर रहे थे, बल्कि नर्मदा घाटों पर सुबह-शाम पूजापाठ, भजन-कीर्तन करते हुए नमाज भी पढ़ रहे थे। तो वहीं आज हम आपको एक ऐसे आस्थावान हिंदू के बारे में बताएंगे, जो बीते 50 वर्षों से लगातार पूरे नियम के साथ रोजा रख रहे हैं।
हम बात कर रहे हैं मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में रहने वाले 71 वर्षीय लक्ष्मीनारायण खंडेलवाल की, जो न सिर्फ रोजा रखते हैं बल्कि रोजे के सभी नियमों का विधिवत पालन भी करते हैं। लक्ष्मीनारायण बीते 50 वर्षों से रमजान के दिनों में सभी 30 रोजों के साथ साथ 5 वक्त की नमाज तो पढ़ते ही हैं, साथ ही साथ रमजान के महीने में पढ़ी जाने वाली विशेष नमाज तरावीह भी अकीदत के साथ पढ़ते हैं।
लक्ष्मीनारायण खंडेलवाल का कहना है कि, उनका परिवार भी रमजान के इन पावन दिनों को अकीदत के साथ मनाने में किसी तरह का एतराज नहीं करते, बल्कि परिवार के सभी लोग उनकी इस अकीदत का सम्मान करते हुए उनकी हौसला अफजाई करते हैं। इसमें सबसे खास बात ये है कि, लक्ष्मीनारायण रोजे के दौरान पांच वक्त की नमाज और तरावीह उनके घर पर नहीं, बल्कि बाकायदा पुराने शहर के लक्ष्मी टॉकीज इलाके में स्थित उनकी दुकान के सामने वाली मस्जिद में अकीदत के साथ पढ़ते हैं।
आस्था और कर्म से हैं हिंदू
जितनी अकीदत से वे रोजा रखते हैं, नमाज और तरावीह पढ़ते हैं, उतनी ही आस्था के साथ वो हिंदू धर्म के नियमों और उनमें माने जाने वाले त्योहारों को भी मनाते हैं। नवरात्रि के दिनों में पूरा 9 दिन व्रत में रहते हैं और हनुमान जयंती पर भंडारा कर शहरभर को शुद्ध घी का प्रसाद बांटते हैं।
लक्ष्मीनारायण के देशवासियों से अपील
देश में चल रहे मौजूदा हालातों पर अपनी टिप्पणी करते हुए लक्ष्मी खंडेलवाल का कहना है कि, देश के तमाम लोग आपस में भाईचारे से रहे हैं। उन्होंने देशवासियों से अपील की है कि, जो लोग देश के अमन और भाईचारे के माहौल को बिगाड़ने के प्रयास कर रहे हैं, उनकी बातों पर बिल्कुल भी ध्यान ना दें। उनका कहना है कि, कोई भी धर्म अमन और शांति का पैगाम देता है न कि नफरत और अशांति का।
एक सपना देखने के बाद आया जिंदगी में बदलाव
खंडेलवाल के अनुसार, करीब 50 साल पहले उन्होंने एक ख्वाब देखा, जिस ख्वाब में उन्होंने ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती को देखा, खंडेलवाल का कहना है कि, ख्वाब के जरिए क्वाजा ने उन्हें अजमेर आने को कहा था। खंडेलवाल के अनुसार, उस ख्वाब का असर उनपर ऐसा पड़ा कि, वो अगले ही दिन भोपाल से पैदल अजमेर की तरफ निकल गए। इस पैदल सफर में उन्हें अजमेर पहुचने में 18 दिन लगे। आखिरकार 18वें दिन वो अजमेर शहर में स्थित ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह पहुंचे और उन्हें हाजिरी दी। तभी से उनके जीवन में ये बदलाव आया है। खंडेलवाल का कहा है कि, हिंदूइजम के साथ साथ इस्लाम पर भी अकीदत वो अपने और अपने परिवार की खुशहाली के लिए करते हैं।
कई धार्मिक स्थलों पर कर चुके हैं पैदल यात्रा
खंडेलवाल के अनुसार, अजमेर स्थित ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह, दिल्ली स्थित हजरत निजामुद्दीन ओलिया की दरगाह, रायसेन की दरगाह के अलावा वैष्णो देवी और देवास स्थित चामुंडा माता मंदिर में भी पैदल दर्शन कर चुके हैं।
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Published on:
26 Apr 2022 10:33 am
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