
देवी दुर्गा का बड़ा और भव्य मंदिर
भोपाल. मध्यप्रदेश में यूं तो देवी के अनेक विख्यात मंदिर हैं पर इनमें एक मंदिर सबसे अनूठा है. प्रदेश की राजधानी भोपाल में स्थित इस मंदिर को कर्फ्यू वाली माता के मंदिर के रूप में जाना जाता है. यह मंदिर शहर ही नहीं अन्य स्थानों के श्रद्धालुओं के भी आस्था का प्रमुख केंद्र है। खास बात यह है कि अमृतसर के स्वर्णमंदिर की तरह ही इस दुर्गा मंदिर में भी शिखर पर सोने का कलश लगा है.
देश का यह संभवत: पहला ऐसा मंदिर है, जो कर्फ्यू वाली माता के नाम से प्रसिद्ध है। इस मंदिर का नाम कर्फ्यू वाली माता क्यों पड़ा, इसके पीछे भी रोचक कहानी है। मंदिर की स्थापना के लिए कुछ विवाद हुए और ऐसे में प्रशासन ने एहतियातन कर्फ्यू लगा दिया. यही कारण है कि जब मंदिर पूर्ण रूप से बन गया और माता की प्रतिमा स्थापित कर दी गई तो इसे कर्फ्यू वाली माता कहा जाने लगा.
इस मंदिर की स्थापना १९८१ में हुई थी। तब मंदिर के सामने माताजी की स्थापना की गई थी, लेकिन प्रशासन ने यहां मूर्ति की स्थापना नहीं होने दी और प्रतिमा जब्त कर ले गए। जब्त की गई प्रतिमा को शीतलदास की बगिया के पास रख दिया गया. इसके बाद विरोधस्वरूप शहर के लोग एकत्रित हो गए और उग्र प्रदर्शन करने लगे। लोगों का आक्रोश देखकर प्रशासन को कर्फ्यू लगाना पड़ा और कई दिनों तक कर्फ्यू लगा रहा।
लोगों के जबर्दस्त विरोध के बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुनसिंह को आखिरकार झुकना पड़ा. उन्होंने जहां प्रतिमा की स्थापना की गई थी, उसके सामने ही पट्टा दे दिया और प्रतिमा भी प्रशासन ने वापस की। इसके बाद प्रतिमा को यहां लाकर विधि विधान से यहां माता दुर्गा की मूर्ति की स्थापना की गई। मान्यता है कि इस मंदिर में जो भक्त सच्ची श्रद्धा के साथ पूजा अर्चना करता है, उसकी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
इस मंदिर के प्रति श्रद्धालुओं में अटूट श्रद्धा है। भक्तों की मदद से ही मंदिर का लगातार विस्तार हो रहा है। दुर्गा देवी का यह देवी मंदिर अब वस्तुत: स्वर्ण मंदिर बन गया है. सबसे पहले मंदिर के शिखर पर स्वर्ण कलश का आरोहण किया गया। इसके बाद २०१८ में अश्विन नवरात्र में ही मंदिर में सोने का गर्भगृह बनाया गया। इतना ही नहीं मां दुर्गा जिस सिंहासन पर विराजमान हैं, वह भी सोने का ही है.
Published on:
07 Oct 2021 08:32 am
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