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Hariyali Teej: पूजा में जरूर रख लें ये जरूरी चीजें, यहां देखें पूजन सामग्री की पूरी लिस्ट और शुभ मुहूर्त और कथा भी

इसी दिन देवी पार्वती की कठोर तपस्या से प्रसन्न होकर शिव जी ने मां गौरी के 108वें जन्म के बाद उन्हें पत्नी स्वीकार किया था। माना जाता है कि इस दिन यदि विधि-विधान से पूजा-व्रत किया जाए तो, हर मनोकामना पूरी होती है। 19 अगस्त 2023 को हरियाली तीज व्रत रखा जाएगा, ऐसे में पूजा के लिए आज ही सामग्री एकत्रित कर लें ताकि, पूजा करते समय आपको कोई बाधा न आए...

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हरियाली तीज का व्रत सुहागिन महिलाओं के लिए बेहद खास माना जाता है। सुहागिने अपने पति की लंबी उम्र, उसकी रक्षा, उन्नति और खुशहाली के लिए इस तिथि पर अपने सुहाग की रक्षा, उन्नति और खुशहाली के लिए इस दिन महिलाएं निर्जला व्रत रखती हैं। वे शिव-पार्वती की पूजा करती हैं। इसी दिन देवी पार्वती की कठोर तपस्या से प्रसन्न होकर शिव जी ने मां गौरी के 108वें जन्म के बाद उन्हें पत्नी स्वीकार किया था। माना जाता है कि इस दिन यदि विधि-विधान से पूजा-व्रत किया जाए तो, हर मनोकामना पूरी होती है। 19 अगस्त 2023 को हरियाली तीज व्रत रखा जाएगा, ऐसे में पूजा के लिए आज ही सामग्री एकत्रित कर लें ताकि, पूजा करते समय आपको कोई बाधा न आए।

हरियाली तीज 2023 मुहूर्त

- सावन शुक्ल हरियाली तृतीया तिथि शुरू - 18 अगस्त 2023 को रात 08 बजकर 1 मिनट पर

- सावन शुक्ल हरियाली तृतीया तिथि समाप्त - 19 अगस्त 2023 को रात 10 बजकर 19 मिनट पर

- पूजा का मुहूर्त - सुबह 7 बजकर 47 मिनट से सुबह 9 बजकर 22 मिनट तक।

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यहां पढ़ें हरियाली तीज की पूजन सामग्री

- गंगाजल, पूजा की चौकी, तांबे और पीतल का कलश, दूध, दही, घी

- शहर, शक्कर, पान, सुपारी, जनेऊ, कपूर, आक का फूल, कपूर, दूर्वा

- जटावाल नारियल, बेलपत्र, अबीर, चंदन, मौली, इत्र, गुलाल, अक्षत, धूप

- दीपक, शमी का पत्ता, धतूरे का फल, हल्दी, भांग, धतूरा, भस्म,

- पांच प्रकार के फल, मिठाई, पांच पल्लव, दक्षिणा, व्रत की पुस्तक

माता पार्वती को चढ़ाने के लिए सुहाग सामग्री

- हरियाली तीज में माता पार्वती को चढ़ाने के लिए 16 शृंगार का सामान खरीदें

- इस सामान में कुमकुम, मेहंदी, बिंदी, सिंदूर, बिछिया, काजल, चूड़ी, कंघी, माहौर, साड़ी

हरियाली तीज व्रत कथा

पौराणिक कथा के अनुसार, माता सती ने हिमालय राज के घर माता पार्वती के रूप में पुनर्जन्म लिया। माता पार्वती ने बचपन से ही भगवान शिव को पति रूप में पाने की कामना कर ली थी। विवाह योग्य होने पर उनके पिता पार्वती के लिए वर की तलाश करने लगे। उन्होंने विष्णु जी को सुयोग्य वर चुना लेकिन माता पार्वती चिंतित हो गईं क्योंकि उन्होंने भगवान शंकर को पति रूप में पाने की कामना पहले से ही कर रखी थीं। देवी पार्वती एकांत जंगल में जाकर तपस्या करने लगीं और भूखे-प्यासे रोजाना शिव की पूजा करतीं। सालों तक कठोर तप के बाद देवी पार्वती की फलस्वरूप भगवान शिव पति के रूप में मिले। हरियाली तीज के दिन ही शिव ने देवी पार्वती को अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार किया। इसके बाद दोनों का विवाह रचाया गया।


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