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सीएस के करीबी पर केस की अनुशंसा करने पर हुआ आईएएस नेहा मारव्या का ट्रांसफर!

आईएएस मारव्या ने वन विभाग के रिटायर्ड पीसीसीएफ ललित बेलवाल को भर्ती में फर्जीवाड़ा करने पर उनके खिलाफ आपराधिक केस दर्ज करने की अनुशंसा कर दी थी

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भोपाल. मध्यप्रदेश की आईएएस नेहा मारव्या एक बार फिर चर्चा में हैं। राज्य सरकार ने हाल ही में 2011 बैच की आईएएस मारव्या का तबादला किया है। उन्हें मप्र राज्य रोजगार गारंटी परिषद के एडीशनल सीईओ पद से हटाकर राजस्व विभाग में उप सचिव बना दिया गया। अब उनके ट्रांसफर की इनसाइड स्टोरी सामने आई है। सूत्रों के मुताबिक आईएएस मारव्या ने वन विभाग के रिटायर्ड पीसीसीएफ ललित बेलवाल के भर्ती में फर्जीवाड़ा करने के मामले में उनके खिलाफ आपराधिक केस दर्ज करने की अनुशंसा कर दी थी। बेलवाल की जांच में उन्होंने शिकायत को सही पाया था. और तो और, इस मामले में आए अनेक दबावों के बाद भी वे नहीं मानीं। यही उनके ट्रांसफर की असली वजह बनी। गौरतलब है कि बेलवाल को राज्य के मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैस का बेहद करीबी माना जाता है।

आनन-फानन में क्यों किया ट्रांसफर
सामान्य प्रशासन विभाग के उप सचिव की ओर से 7 जुलाई की शाम उन्हें कॉल किया गया। इसमें बताया गया कि उनका तबादला कर उन्हें राजस्व विभाग में उप सचिव बनाया गया है। ट्रांसफर सूची में उनका इकलौता नाम था. इतना ही नहीं, जब उनका ट्रांसफर किया गया तब राज्य में नगरीय और पंचायत चुनावों की आदर्श आचार संहिता लागू थी। यानि बेहद आपात स्थिति में उनका ट्रांसफर किया गया. सवाल ये है कि उन्हें हटाने के लिए सरकार इतनी आतुर क्यों थी! ट्रांसफर के बाद मारव्या का सीएम शिवराजसिंह चौहान के प्रमुख सचिव मनीष रस्तोगी के साथ विवाद भी हुआ था. आईएएस मारव्या ने उनपर प्रताड़ना का आरोप लगाया था।

बेलवाल बने वजह
दरअसल मारव्या को वन विभाग के पीसीसीएफ पद से रिटायर हुए ललित बेलवाल पर सख्त रूख दिखाने की वजह से आननफानन में हटाया गया। बेलवाल के खिलाफ भर्ती में फर्जीवाड़ा करने की शिकायत की उन्होंने जांच की थी. जांच में इस शिकायत को सही पाया था. इसके बाद आईएएस मारव्या ने बेलवाल के खिलाफ आपराधिक केस दर्ज करने की अनुशंसा कर दी। इस पर राज्य सरकार को बेलवाल के खिलाफ कार्रवाई करनी थी लेकिन इसकी बजाए मामले की जांच करने वाली अफसर को ही हटा दिया गया. बेलवाल को बचाने के लिए नेहा मारव्या पर खूब दबाव डाला गया लेकिन वे डिगी नहीं।

जांच रिपोर्ट में धूल में
मारव्या ने अपनी जांच रिपोर्ट में बेलवाल के फर्जी तौरतरीकों का स्पष्ट तौर पर उल्लेख किया है। रिपोर्ट में उन्होंने लिखा है कि बेलवाल सुषमा रानी शुक्ला पर पूरी तरह मेहरबान थे। उन्होंने सुषमा रानी के दर्जनभर परिजनों, रिश्तेदारों आदि को पूर्णतः गलत तरीके से नियुक्ति दी. नियुक्ति के बाद मनमाने तरीके से वेतन भी बढ़ाते रहे। सुषमा रानी के पति देवेन्द्र मिश्रा, उनकी बहन अंजू शुक्ला, आकांक्षा पांडे आदि को भी नौकरी दी गई। यह जांच रिपोर्ट अब राज्य के पंचायत एवं ग्रामीण मंत्री महेन्द्र सिंह सिसोदिया के आवास पर धूल खा रही है।

कौन हैं बेलवाल
बेलवाल मूलतः वन विभाग के थे लेकिन एक दशक से ज्यादा समय तक पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग में पदस्थ रहे। वे 2019 में रिटायर हो गए. 2020 में भाजपा सरकार आते ही बेलवाल पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग में ओएसडी के पद पर वापस आ गए थे।