
कांग्रेस में लगी है 'आग', कमलनाथ सरकार पर भी पहुंची आंच!
भोपाल. मध्यप्रदेश में कांग्रेस में सब कुठ ठीक नहीं चल रहा है। कथित बगावत की आंच अब कमलनाथ सरकार ( kamal nath in trouble ) को भी लपेटे में ले रही है। अभी तक मध्यप्रदेश कांग्रेस में जो गुटबाजी चल रही थी वो सार्वजनिक नहीं हुई थी। लेकिन बुधवार के दिन कैबिनेट की मीटिंग में इसकी झलक दिख गई। जब सिंधिया खेमे के मंत्री कैबिनेट बैठक में सीएम कमलनाथ से भिड़ ( clash with kamal nath and ministers ) गए।
2018 में हुए विधानसभा चुनाव के बाद से ही कांग्रेस के अंदर गुटबाजी चरम पर है। इसकी शुरुआत तब हुई, जब कांग्रेस के महासचिव ज्योतिरादित्य सिंधिया को सीएम नहीं बनाया गया। सिंधिया के समर्थक मानते हैं कि विधानसभा चुनाव में उन्होंने जमकर मेहनत की थी लेकिन इनाम किसी और को मिला। कहा जाता है कि राजस्थान के फॉर्मूले की तरह ज्योतिरादित्य सिंधिया को भी डिप्टी सीएम का ऑफर मिला था। लेकिन उन्होंने इसे स्वीकार नहीं किया।
सरकार में अपने लोगों को शामिल करवाया
जब ज्योतिरादित्य सिंधिया सीएम नहीं बने तो उन्होंने अपने लोगों को कमलनाथ सरकार में शामिल करवाया। जिसमें गोविंद सिंह, तुलसी सिवालट, इमरती देवी, प्रभुराम चौधरी और प्रद्युमन सिंह तोमर मंत्री बने। ये सभी लोग सिंधिया के पक्के समर्थक हैं। बुधवार के दिन भी प्रद्युमन सिंह तोमर की ही सीएम कमलनाथ से भिड़ंत हुई थी।
खुलकर सामने आई कलह
विधानसभा चुनाव के बाद से ही कांग्रेस अंदरूनी कलह से जूझ रही है। लोकसभा चुनाव के दौरान भी कमलनाथ और सिंधिया के समर्थकों में गुटबाजी की बात सामने आई थी। लेकिन ये सारी चीजें कभी सार्वजनिक नहीं हुईं थी। कैबिनेट बैठक में मुख्यमंत्री कमलनाथ और कांग्रेस महासचिव ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थक मंत्रियों की बहस अब खुलकर सतह पर सामने आ गई है। इस पर मुहर तब और लग गई है, जब बहस कर रहे मंत्री को कमलनाथ ने कहा कि मुझे मालूम हैं आप किसके इशारे पर कर रहे हैं।
कमलनाथ से भिड़े मंत्री
कांग्रेस के अंदर सिंधिया और कमलनाथ गुट अब लगता है, आर-पार के मूड में है। क्योंकि प्रदेश में अपनी खोई जमीन को वापस पाने के लिए सिंधिया फिर से यहां एक्टिव होना चाहते हैं। कैबिनेट बैठक के दौरान जब किसी मुद्दे पर बात चल रही थी तो कमलनाथ ने कहा कि क्या छोटी-छोटी बातों पर पड़े हैं, आगे बढ़ते हैं। इसी बीच सिंधिया खेमे के मंत्री ने कहा कि क्यों आगे बढ़े, पहले इसको सुलझाएं। इसी बीच दोनों में तीखी नोंकझोक हो गई। फिर दूसरे मंत्रियों ने शांत करवाया। कहा तो यह भी जा रहा है कि बैठक में विवाद की सारी बात सिंधिया खेमे के मंत्री फोन पर ज्योतिरादित्य को लाइव सुना रहे थे।
कमलनाथ और सिंधिया नहीं दिखे साथ
विधानसभा चुनाव के दौरान मंच पर कमलनाथ और ज्योतिरादित्य सिंधिया खूब दिखते थे। लेकिन लोकसभा चुनावों को दौरान सीएम कमलनाथ और ज्योतिरादित्य सिंधिया कभी भी एक मंच पर नहीं दिखे। सिंधिया चुनावों के दौरान मध्यप्रदेश आएं तो जरूर लेकिन खुद को अपने संसदीय क्षेत्र गुना तक ही सीमित रखा। गुटबाजी का नतीजा यह हुआ कि ज्योतिरादित्य सिंधिया गुना से चुनाव हार गए।
विवाद सलटाने की कोई कोशिश
कमलनाथ के सीएम बनते ही कांग्रेस आलाकमान को यह समक्ष में आ गया था कि अब मध्यप्रदेश कांग्रेस में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है। इस विवाद को शांत करने के लिए ज्योतिरादित्य सिंधिया को मध्यप्रदेश की राजनीति से निकालकर राष्ट्रीय राजनीति में प्रवेश दिलाया गया। ज्योतिरादित्य सिंधिया को पश्चिमी उत्तर प्रदेश का प्रभारी बनाया गया। लेकिन लोकसभा चुनाव में न तो कांग्रेस और न ही ज्योतिरादित्य सिंधिया कोई करिश्मा दिखा पाए। ऐसे में धीरे-धीरे फिर से वे मध्यप्रदेश की राजनीति में वापसी चाहते हैं।
प्रदेश अध्यक्ष बनाने की उठी मांग
मध्यप्रदेश में सीएम के साथ-साथ प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष की जिम्मेवारी कमलनाथ ही निभा रहे हैं। लोकसभा चुनावों में मिली करारी हार के बाद कमलनाथ ने अध्यक्ष पद से इस्तीफे की पेशकश की। मगर पार्टी ने अभी तक स्वीकार नहीं किया। इधर सिंधिया के समर्थक और उनके खेमे के मंत्री यह मांग करने लगे कि ज्योतिरादित्य सिंधिया को प्रदेश अध्यक्ष बनाया जाए। इसी बीच कमलनाथ के समर्थकों ने गृह मंत्री बाला बच्चन का नाम उछाल दिया।
सिंधिया गुट की मीटिंग
कमलनाथ से भिड़ंत के बाद सिंधिया गुट के मंत्रियों की परिवहन मंत्री गोविंद सिंह राजपूत के आवास पर बैठक हुई। जिसमें स्वास्थ्य मंत्री तुलसी सिवालट, महिला एवं बाल विकास मंत्री इमरती देवी, स्कूल शिक्षा मंत्री प्रभुराम चौधरी और खाद्यय मंत्री प्रद्युमन सिंह तोमर शामिल हुए। सूत्रों के अनुसार बैठक में यह सहमति बनी कि उनके विभागों में उनके अनुसार ही अफसरों की तैनाती हो।
समय तो देना चाहिए
सिंधिया खेमे के मंत्री गोविंद सिंह राजपूत ने कहा कि विधायक हो या मंत्री, उसका नेता सीएम होता है, सीएम व्यस्त रहते हैं, ये हम समझते हैं। लेकिन जब विधायक या मंत्री समय मांगे तो सीएम को देना चाहिए।
मंत्रियों की कर सकते हैं छुट्टी
बताया जा रहा है कि सिंधिया गुट के मंत्रियों से कमलनाथ खासे नाराज हैं। ऐसे में कहा जा रहा है कि कमलनाथ कभी दो मंत्रियों की छुट्टी कर सकते हैं। सीएम से भिड़ने वाले मंत्री प्रद्युमन सिंह तोमर ने कहा कि हमें पता है कि अफसर किसके इशारे पर हमें तवज्जो नहीं दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि सीएम की कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी से हर गुट के दो मंत्रियों के इस्तीफे के लिए जाने के बारे में क्या बात हुई, ये वो नहीं जानते।
जाहिर है इन तमाम विवादों की वजह से कमलनाथ सरकार की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। इसका असर सरकार के कामकाज पर पड़ेगा। हालांकि इस पूरे विवाद पर अभी तक ज्योतिरादित्य सिंधिया की तरफ से कोई बयान नहीं आया है।
Updated on:
21 Jun 2019 03:53 pm
Published on:
21 Jun 2019 03:00 pm
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