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बड़ी खबर: किसान आंदोलन को लेकर टेंशन में सरकार, संतुलन के लिए मैदान में उतारे पाटीदार मंत्री और नेता!

किसान आंदोलन को लेकर टेंशन में सरकार, संतुलन के लिए मैदान में उतारे पाटीदार मंत्री और नेता!...

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बड़ी खबर: किसान आंदोलन को लेकर टेंशन में सरकार, संतुलन के लिए मैदान में उतारे पाटीदार मंत्री और नेता!

भोपाल। प्रदेश में किसान आंदोलन की सुगबुगाहट के बीच भले ही सरकार ने काफी सारी तैयारी कर लेने के साथ ही इंटेलिजेंस को भी सजग रहने के लिए कह दिया है। लेकिन इसके बावजूद प्रदेश में किसानों का आंदोलन का रूप लेकर आएगा अभी तक यह कहा जाना मुश्किल है।

इस बीच गांवों में कई जगह लिखे नारों को लेकर सरकार और ज्यादा दबाव में आ गई है! इसके लिए गांव गांव में पुलिस व इंटेलिजेंस के आदमी तक तैनात कर दिए गए हैं। लेकिन अब तक कोई बढ़ा सुराग किसी के हाथ नहीं आया है।

ज्ञात हो पिछले साल मंदसौर के किसान आंदोलन के गोलीकांड की पहली बरसी पर आयोजित कांग्रेस की सभा और किसानों के 10 दिन के गांव महोत्सव को शांतिपूर्वक निपटाने के लिए प्रशासन ने रात दिन एक कर दिए हैं। कलेक्टर और एसपी सहित निचले स्तर तक के अधिकारी गांवों में चौपाल लगा रहे हैं।

भाजपा ने भी पाटीदार नेताओं को मैदान में उतार दिया है, सीएम शिवराज सिंह चौहान भी मनासा में पाटीदार नेता के घर पहुंचे। वहीं नीमच और मंदसौर पाटीदार पटेल बाहुल्य और रतलाम में धाकड़ बाहुल्य करीब 350 गांवों पर प्रशासन की सीधी नजर हैं। बैठकों में इन्हीं गांवों और इन्हीं जातियों पर विशेष जोर दिया जा रहा है।

जिन लोगों को बांड ओवर किया गया है उनमें 70 फीसदी इन्हीं जातियों से जुड़े लोग हैं। कांग्रेस ने भी आंदोलन को लेकर बैठकें तेज कर दी हैं, हर हाल में राहुल की सभा को सफल बनाने का आह्वान किया जा रहा है। गोलीकांड में पटेल पाटीदार समाज के चार किसान मारे गए थे। जबकि एक धाकड़ और गायरी समाज का युवक था।

इन नेताओं को मिला जिम्मा...
भाजपा की ओर से खुद सीएम शिवराजसिंह चौहान किसान हड़ताल से पहले रतलाम, मंदसौर और नीमच का दौरा कर रहे है। सीएम ने अपने दौरे में मनासा में भाजपा नेता जनकल्याण प्रकोष्ठ के जिला संयोजक प्रेमसुख पाटीदार के यहां भी पहुंचे।
भाजपा के राज्य कृषक आयोग अध्यक्ष ईश्वारलाल पाटीदार को मंदसौर भेजा गया है तो मंत्रिमंडल मेंं शामिल पाटीदार नेता बालकृष्ण पाटीदार मालवा-निमाड़ के किसानों से संवाद की टीम में शामिल है। सत्ताधारी दल के विधायक और सांसद भी इन्हीं जातियों के साथ बैठकें कर रहे हैं।

मंदसौर गोलीकांड की बरसी पर किसान महासंघ ने एक से 10 जून तक गांव बंद महोत्सव (किसान हड़ताल) का आव्हान किया है। हड़ताल की तैयारी ने सरकार और इंजलीजेंस की नींद उड़ा रखी है। गृह विभाग ने अपनी ताजा रिपोर्ट में रतलाम, मंदसौर और नीमच में हड़ताल के प्रभाव का आंकलन कर तीनों ही जिलों को संवदेनशील श्रेणी में रखा है।

इस रिपोर्ट के बाद प्रशासन और पुलिस ने पाटीदार-पटेल और धाकड़ समाज की बहुलता वाले 350 गांव पर फोकस कर दिया है। राजनीतिक दल भी इन समाजों को साधने में जुट गए हैं।

गांव बंद महोत्सव को नियंत्रित रखने के लिए उज्जैन संभाग में अलर्ट जारी कर दिया गया है। विशेषकर रतलाम, मंदसौर, नीमच सहित धार, शाजापुर और आगर-मालवा में प्रशासन और पुलिस के बड़े अफसर लगातार नजर रख रहे है।
आइजी राकेश गुप्ता और संभागायुक्त एमबी ओझा को हर दिन की गतिविधियों से अवगत कराया जा रहा है। गृह विभाग ने भी इंटलीजेंस आइजी मकरंद देऊस्कर को सोशल प्लेटफॉर्म पर विशेष नजर रखने के लिए कहा है।

पुलिस की तैयारी...
मंदसौर, नीमच, रतलाम सहित कुछ अन्य जिलों की पुलिस को “किसान आंदोलन” के मद्देनज़र पुलिस मुख्यालय द्वारा लगभग 10 हज़ार डंडे और हेलमेट दिए गए।

वहीं दूसरी ओर राष्ट्रीय किसान मजदूर महासंघ के अध्यक्ष शिवकुमार शर्मा (कक्का जी) का कहना है कि एक से 10 जून तक किसान आंदोलन के दौरान गांव बंद रहेगा। इस दौरान गांव का किसान शहर नहीं आएगा।


बीते साल आंदोलन में रही थी भूमिका...
वहीं रतलाम के 41 गांव में धाकड़ और पाटीदार समाज की बहुलता है। इन गांव में बीते वर्ष किसान आंदोलन के दौरान बड़े स्तर पर गतिविधियां चली थी। वहीं, मंदसौर और नीमच जिले में 300 से ज्यादा गांवों मे पटेल-पाटीदार- धाकड़ समाज का दबदबा है। किसान महासंघ के पहली पंक्ति के नेताओं में भी इन समाजों के लोग हैं तो राजनीतिक दलों की सरगर्मी में भी पाटीदार-पटेल और धाकड़ नेताओं को साथ लिया जा रहा है।

संगठन के निर्देश पर मंदसौर और नीमच का दौर किया है। किसानों के साथ ही सभी प्रतिनिधियों से चर्चा की जा रही है।
- ईश्वर लाल पाटीदार, अध्यक्ष राज्य कृषक आयोग

आंदोलन की खास बातें...
1 से 10 जून तक गांव बंद रहेंगे। 6 जून को शहादत दिवस के रूप में व 8 जून को असहयोग दिवस के रूप में मनाया जाएगा। वहीं 10 जून को भारत बंद किया जाएगा।
ये हैं किसानों की प्रमुख मांगे -
1. सभी किसानों का कर्ज माफ किया जाए।
2. सभी फसलों पर लागत के आधार पर डेढ़ गुना लाभकारी मूल्य दिया जाए।
3. सभी किसानों की आय सुनिश्चित की जाए।
4. फल-सब्जी एवं दूध को भी लागत के आधार पर डेढ़ गुना लाभकारी समर्थन मूल्य पर तय किया जाए।
राष्ट्रीय किसान मजदूर महासंघ के अध्यक्ष शिवकुमार शर्मा (कक्का जी) ने कहा कि सरकार किसानों को अनावश्यक परेशान कर रही है।
उनसे बाण्ड भरवाए जा रहे हैं। किसानों से आग्रह किया गया है कि वे किसी भी प्रकारके बाण्ड न भरें। किसानों को डरने की जरूरत नहीं है। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि सरकार हठधर्मिता पर अड़ी रही तो इसके गंभीर परिणाम होंगे।


आंदोलन को फेल करने में लगा है प्रशासन...
वहीं कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी की किसानों के समर्थन में पिपलियामंडी,रतलाम में आयोजित होने वाली सभा को लेकर रविवार को मोरवन में कार्यकर्ताओं की बैठक किसी भी स्थिति में डेढ़ लाख की भीड़ जुटाने का आह्वान किया गया। प्रदेश प्रभारी संजय कपूर, कार्यकारी अध्यक्ष रामनिवास रावत, राऊ विधायक जीतू पटवारी, पूर्व सांसद मीनाक्षी नटराजन सहित आसपास के जिलों के नेता भी बैठक में शालिम हुए।

सभा में भीड़ जुटाने को लेकर जिम्मेदारियां दी गई। कांग्रेस पार्टी देश में संविधान पर भरोसा करने वाली पार्टी है। कांग्रेस विषम परिस्थितियों में किसानों के साथ खड़ी रही है। प्रशासनिक स्तर पर किसान आंदोलन को फेल करने को कोशिश हो रही है। इस सभा को हमें किसी भी स्थिति में सफल बनाना है।


आम आदमी पार्टी का समर्थन...
इसी बीच जो जानकारी सामने आ रही है उसके अनुसार आम आदमी पार्टी भी किसानों के समर्थन में कूद गई है। साथ ही वह किसानों के 10 दिन के बंद का समर्थन करेगी। दरअसल आम आदमी पार्टी ने शाहजहानी पार्क में अनिश्चितकालीन अनशन के तीसरे दिन किसान संगठनों के गांव बंद कार्यक्रम का समर्थन किया है।

पार्टी के प्रदेश संयोजक आलोक अग्रवाल ने कहा कि गांव बंद कार्यक्रम किसानों की अपनी ताकत दिखाने का जरिया है। उन्होंने कहा है कि आम आदमी पार्टी के सभी कार्यकर्ता इस शांतिपूर्ण तरीके के जरिये किसानों के साथ अपनी एकता प्रदर्शित करते हुए गांव बंद कार्यक्रम को पूरी तरह से सफल बनाएंगे।

रणनीति में बदलाव का अंदेशा...
वहीं दूसरी ओर जानकारों का मानना है कि किसान आंदोलन की रणनीति में कुछ बदलाव किया जा सकता है। कहा जा रहा है कि पहले इस आंदोलन की शुरुआत मंदसौर से करने का प्लान था। सरकार के रूख को देखते हुए सूत्रों का कहना है कि इसमें कुछ बदलाव किया गया है।

प्रदेश में अलर्ट :
दरअसल 6 जून को मंदसौर में किसानों की बरसी को देखते हुए कई दिग्गज नेता वहां इक्ट्ठे होने जा रहे हैं। इसी सब को देखते हुए 1 जून से 10 जून तक हाई अलर्ट रखा गया है। अभी तक जो सूचना थी उसके अनुसार किसान आंदोल 6 जून से मंदसौर से ही शुरू करना था, लेकिन अब जो बातें सामने आ रहीं हैं उनके मुताबिक इसमें अब बदलाव कर दिया गया है। वहीं कहा जा रहा है कि इन बदलावों से अभी इंटेलिजेंस भी अनिभिज्ञ है।

ये हुआ आंदोलन की रणनीति में बदलाव!...
कहा जा रहा है कि सरकार की तैयारियों को देखते हुए किसानों में आंदोलन को तुरंत दबा दिए जाने का संदेह है। इसी को देखते हुए कुछ परिवर्तन किए गए हैं। सूत्रों का कहना है कि चर्चा है कि रएानीति में बदलाव के चलते 6 जून को सारे नेता तो मंदसौर में ही इक्ट्ठे होंगे। लेकिन किसान या तो इस दौरान आपने ग्रामों में ही जमा होकर कई टुकड़ियों में आंदोलन को शुरू करेंगे। या 6 जून के बाद अपने अपने ग्रामों में पहुंचकर हर जिले के गांवों से गुट बनाकर आंदोलन शुरू करेंगे।

माना जा रहा है ऐसा करने से सरकार एक ही साथ आंदोलन को दबा नहीं पाएगी और चुकिं हर जगह से निकलने वाले गुट आगे बढ़कर अपने क्षेत्र के दूसरे गुटों से जुड़ते जाएंगे, जिससे उनका व्यापक असर हो। ऐसी स्थिति में काफी मशक्कत के बाद भी इस आंदोलन को दबाया नहीं जा सकेगा।

कुल मिलाकर कहा जा रहा है कि एक जिले से ही करीब 10 से 15 किसानों के समुह निकलेंगे जो आगे बढते हुए आपस में जुडकर एक समुह का रूप ले लेंगे। इनके इस ग्रुप से चलने के कारण पुलिस भी कई भागों में बट जाएगी और पुलिस के लिए किसानों पर प्रेशर बनाना मुश्किल हो जाएगा।