
खंडवा स्थित अपने पैतृक घर को वेनिस जैसे घर का लुक देना चाहते थे किशोर कुमार।
Kishore Kumar Birthday: जिसके गाने जुबां पर आते ही चेहरे पर मुस्कुराहट आ जाती है। जिसकी दीवानगी नया जमाने के युवाओं के भी सिर चढ़कर बोलती है। ऐसे हरफनमौला कलाकार किशोर कुमार (kishore kumar) का आज जन्म दिन है। मध्य प्रदेश में खंडवा के रहने वाले थे किशोर कुमार। इनके कई किस्से आज भी मशहूर हैं। इन किस्सों को लोग आज भी शिद्दत से याद करते हैं।
खंडवा में 4 अगस्त 1929 को जन्में किशोर कुमार का कर्मस्थली मुंबई में निधन हो गया था। लेकिन उनका अंतिम संस्कार उनके जन्म स्थान खंडवा में ही किया गया था। उनकी यह अंतिम इच्छा तो पूरी हो गई, लेकिन कई ख्वाहिशें थीं जो अधूरी रह गईं। इनमें से एक थी अपने घर को वेनिस जैसा बनाना चाहते थे, लेकिन खुदाई में मिले कंकाल ने उनके इस सपने को तोड़ दिया। इस ख्वाहिश को दिल में लिए ही वे दुनिया को अलविदा कर गए।
दरअसल जिंदादिली और खुशमिजाजी से जीने वाले किशोर कुमार की यह इच्छा थी कि खंडवा में अपनों के बीच और मालवा की संस्कृति के बीच बसना है। लेकिन, यह नहीं हो पाया। किशोर के चाहने वाले आज भी कहते हैं कि यदि वे यहां होते तो बात ही कुछ और होती।
आज भी खंडवा स्थित उनके बंगले को देखने लोग पहुंच जाते हैं। इस बंगले का नाम है गांगुली सदन। जर्जर हो चुके इस बंगले में प्रवेश करते ही ऐसा आभास होता है कि किशोर यहीं-कहीं है और गुनगुना रहे हैं। हालांकि अब यह बंगला बेच दिया गया है। किशोर दा के बचपन से जुड़ी चीजें आज भी बंगले में रखी हुई हैं।
जिस कमरे में किशोर दा का जन्म हुआ था, वह पलंग आज भी रखा हुआ है। जो धूल खा रहा है। प्रथम तल पर जाने के लिए लकड़ी की सीढ़ियां बनी थी, जो क्षतिग्रस्त हो गई है। बंगले के आसपास के दुकानदार खराब सामान यहीं पटक जाते हैं। हालांकि किशोर कुमार का यह बंगला अब बेच दिया गया है।
किशोर कुमार (Kishore Kumar) की लाइफ स्टाइल सबसे अलग थी। लव, ट्रेजडी, ड्रामा, एक्शन हर एक अंदाज उनकी जिंदगी से अंत समय तक जुड़ा रहा। किशोर दा का एक सपना था। वह अपने पैतृक शहर खंडवा में वेनिस जैसा एक घर (Wanted to Build A home like Venice) बनाना चाहते थे।
उन्होंने मजदूरों को बंगले के चारों तरफ एक नहर खोदने को भी कह दिया था, यह खुदाई महीनों तक होती रही, लेकिन बीच में एक कंकाल का डरावना हाथ मिलने से हड़कंप मच गया था, तब मजदूर वहां से भाग खड़े हुए और किशोर दा का यह सपना टूट गया।
मायानगरी मुंबई में जरूर किशोर बस गए थे, लेकिन उनका दिल खंडवा आने के लिए ही धड़कता रहता था। यहां के दही बड़े और पोहे और दूध-जलेबी खाने के लिए हमेशा उत्सुक रहते थे। क्योंकि मालवा-निमाड़ क्षेत्र में पौहे-जलेबी हर घर और गली मोहल्ले में मिल जाती है।
नगर निगम के रिकॉर्ड में किशोर कुमार का बंगला उनके पिता कुंजीलाल गांगुली के नाम पर है। बंगले पर करीब 44 साल से चौकीदारी करने वाले बुजुर्ग सीताराम बताते हैं कि कई बार मुंबई मे रहने वाले किशोर के परिजनों को बंगले का रखरखाव करने के लिए सूचना दी गई, लेकिन किसी ने भी इस तरफ इंट्रेस्ट नहीं दिखाया।
पिछले साल भी जब बंगले की दीवार गिरने की सूचना भेजी गई थी, तब भी वहां से कहा गया कि गिर जाने दो। बांबे बाजार स्थित किशोर कुमार का ये बंगला 7655 वर्ग फीट में बना हुआ है।
Updated on:
04 Aug 2024 08:52 am
Published on:
03 Aug 2024 04:19 pm
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