
writer akash vijayvargiya
भोपाल.कैलाश विजयवर्गीय के बेटे आकाश विजयवर्गीय ( Aakash vijayvargiya ) ने इंदौर नगर निगम के अधिकारियों की बल्ले से पिटाई की है। उसके बाद इंदौर में वे अपने समर्थकों के पोस्टर ब्वॉय बन गए हैं। इंदौर ( Indore ) में अभी तक आकाश विजयवर्गीय ( writer akash vijayvargiya ) की छवि एक शांत और धार्मिक प्रवृत्ति के युवक के रूप में थी। लेकिन अचानक आकाश के उग्र रूप को देखकर कई तरह की चर्चाएं शुरू हो गई हैं।
दरअसल, आकाश विजयवर्गीय धार्मिक कार्यों में ज्यादा संलिप्त रहते थे। अभी तक इंदौर में आकाश की राजनीति पिता कैलाश के अक्श के नीचे ही थे। राजनीति के जानकार मानते हैं कि अब आकाश अपने पिता के अक्श बाहर निकलना चाहते हैं। इसीलिए वे हाथ में बल्ला उठाए हैं। निगम अधिकारियों की बल्ले से पिटाई के बाद आकाश को एक नई पहचान मिल गई है।
लेखक हैं आकाश
कहा जाता है कि आकाश विजयवर्गीय एक धार्मिक ट्रस्ट चलाते हैं। उसका नाम देव से महादेव वेलफेयर सोसाइटी है। इसी सोसाइटी के तहत उन्होंने एक किताब लिखी है, जिसका नाम है देव से महादेव। बुक धार्मिक है और आकाश विजयवर्गीय की पुरानी छवि भी यही है।
'2020' पर है निशाना
इंदौर की राजनीति को समझने वाले आकाश विजयवर्गीय को 'बल्लेमार' बनने के पीछे की कहानी कुछ और समझ रहे हैं। बल्ले के जरिए आकाश ने निगम के अधिकारियों को नहीं मिशन '2020' पर निशाना लगाया है। दरअसल, 2020 में इंदौर में नगर निगम के चुनाव होने हैं। कयास लगाए जा रहे हैं कि आकाश की नजर उसी चुनाव के जरिए महापौर की कुर्सी पर है।
पॉलिटिक्स के 'एंग्रीमैन' हैं कैलाश
आकाश विजयवर्गीय के पिता कैलाश विजयवर्गीय की पहचान भी पॉलिटिक्स एंग्रीमैन के रूप में हैं। उनकी छवि भी एक आक्रामक राजनेता के रूप में है। 1994 में एक प्रदर्शन के दौरान कैलाश विजयवर्गीय ने भी एक अधिकारी पर जूता निकाल लिया था। इसके साथ ही अपने विरोधियों पर भी भाषाई फायर करते रहते हैं।
राष्ट्रीय स्तर पर मिली पहचान
कैलाश विजयवर्गीय की पहचान भी राष्ट्रीय राजनीति में फायर ब्रांड लीडर के रूप में ही हैं। साथ ही बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह के करीबियों के रूप में उनकी पहचान है। कैलाश विजयवर्गीय बीजेपी के महासचिव हैं, साथ ही वे पश्चिम बंगाल के प्रभारी हैं।
कैलाश ने ऐसे शुरू की थी राजनीति
कैलाश विजयवर्गीय की छवि भी इंदौर में जमीन से जुड़े नेता के रूप में है। कैलाश ने भी छात्र राजनीति से अपनी पॉलिटिक्स की शुरुआत की थी। फिर निगम के पार्षद बने। उसके बाद वे राजनीति में अपने तीखे तेवरों के लिए जाने जाते रहे। साथ ही अपने विरोधियों से वे अलग ही अंदाज में निपटते हैं।
आकाश कभी एग्रेसिव नहीं रहे
आकाश इंदौर की राजनीति में पिछले करीब दस सालों से पिता का काम देखते हैं। लेकिन कभी विवादों में उनका नाम नहीं आया। बैटकांड से पहले महू में एक ब्रिज के लिए प्रदर्शन के दौरान उनपर रेल रोकने का मामला दर्ज हुआ था। इसके अलावे उनपर कोई केस नहीं था। लेकिन बैटकांड के बाद यही कहा जा रहा है कि वे अब पिता कैलाश के अक्श से बाहर निकलना चाहते हैं।
Updated on:
28 Jun 2019 05:27 pm
Published on:
28 Jun 2019 04:33 pm
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