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शिष्य आनंद गिरि की करतूत पर खफा हो गए थे महंत नरेंद्र गिरि

आनंद को निष्काषित करने से गुरु—शिष्य संबंधों में आई कटुता

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Mahant Narendra Giri was angry with the disciple Anand Giri

Mahant Narendra Giri was angry with the disciple Anand Giri

भोपाल. निरंजनी अखाड़ा के सचिव और अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि की संदिग्ध मौत के बाद संत समाज में रोष है. इस मामले में उनके शिष्य आनंद गिरि को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। अपने शिष्य आनंद गिरि से महंत नरेंद्र गिरि बहुत दुखी थे. हालांकि शिष्य से उनका काफी पुराना विवाद था लेकिन मध्यप्रदेश के उज्जैन में हुई एक घटना से इसे और हवा मिली और दोनों के संबंध काफी खराब हो गए थे।

बाघंबरी गद्दी संभाल रहे नरेंद्र गिरि के शिष्य आनंद ने उनपर 400 करोड़ रुपए में गद्दी की जमीन बेचने का आरोप लगाया था। इतना ही आनंद ने महंत नरेंद्र गिरी पर अखाड़े के सचिव की हत्या करवाने तक का आरोप भी लगाया था। हालांकि बाद में आनंद गिरि ने अपने गुरु से इन बयानों व आरोपों के लिए क्षमा मांग ली थी. वे बाकायदा स्वामी नरेंद्र गिरि के पैरों में गिर गए थे और माफी मांग ली थी।

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आनंद ने तब कहा था कि मैं अपने कृत्यों के लिए ईश्वर से भी माफी मांग रहा हूं। मेरे द्वारा स्वामीजी पर जो भी आरोप लगाए या बयान जारी किए गए उन्हें मैं वापस लेता हूं। इस माफीनामे के बाद महंत नरेंद्र गिरि ने शिष्य आनंद गिरि का माफ कर दिया और दोनों में समझौता भी हो गया था। महंत नरेंद्र गिरि ने भी आनंद पर लगाए गए आरोपों को वापस ले लिया था.

गुरु—शिष्य का यह विवाद दरअसल उज्जैन में भडका था. आनंद गिरि उज्जैन सिंहस्थ में अपने परिवार को लेकर आ गए थे. इसका महंत नरेंद्र गिरि ने विरोध किया. उनका मानना था कि यह सन्यास की परंपरा के खिलाफ है. इसके अलावा उनका यह भी कहना था कि जिस क्षेत्र में सिंहस्थ लगता है, वह आवासीय नहीं होना चाहिए।

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आनंद गिरि राजस्थान के भीलवाडा के एक गांव के रहनेवाले हैं. उज्जैन सिंहस्थ में उन्होंने अपने माता—पिता सहित परिजनों को बुला लिया था. इस पर महंत नरेंद्र गिरि ने नाराजगी जताई. उन्होंने कहा कि माता—पिता का पूरा सम्मान किया जाना चाहिए पर अखाड़ा की परंपरा और मर्यादा सर्वोपरि है. इस घटना के बाद उन्होंने आनंद गिरि को निष्काषित कर दिया जिससे गुरु—शिष्य संबंधों में कटुता आ गई थी.