
Surrogacy
Surrogacy: ऐसे निसंतान दंपती जो टेस्ट ट्यूब बेबी और आइवीएफ के जरिए भी संतान सुख पाने में असफल रहे उन्हें सरकार ने बड़ी राहत दी है। सरोगेसी, जिसे आम भाषा में किराए की कोख कहा जाता है, इसके नियमों में बदलाव किया गया है। अब यदि पति-पत्नी में से कोई एक भी शुक्राणु या एग देने में सक्षम है तो वे सरोगेसी का लाभ उठा सकते हैं।
सरोगेसी यानी बच्चा पैदा करने के लिए जब कोई कपल किसी दूसरी महिला की कोख निशुल्क किराए पर लेता है, तो इस प्रक्रिया को सरोगेसी कहा जाता है।
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नियम बदलने के साथ आवेदनों पर जल्द फैसला भी आएगा। 8 जनवरी से पहले तक इन आवेदनों पर स्टेट एआरटी बोर्ड से मंजूरी लेनी होती थी। इसमें अध्यक्ष के रूप में स्वास्थ्य मंत्री समेत 4 टेक्निकल सदस्य (विशेषज्ञ), सांसद समेत कुल 20 लोग शामिल हैं। यह बोर्ड बनाने वाले मध्य प्रदेश पहला राज्य है। हालांकि बीते एक साल में कई बैठकें हुईं, जिसमें 25 कपल को सरोगेसी की अनुमति प्रदान की गई, वहीं कई वेटिंग में हैं। इस वेटिंग को ही खत्म करने के लिए इस बोर्ड के अधीन एप्रोप्रियेट अथॉरिटी बनाई गई है।
● जिला अस्पताल से मेडिकल सर्टिफिकेट
● स्त्री रोग विशेषज्ञ से मेडिकल और साइकोलॉजिकल फिटनेस सर्टिफिकेट
● बच्चे के जन्म के बाद कपल उसे अपने बच्चे के रूप में स्वीकार करने की नोटरी
● सरोगेसी के लिए उधार की कोख देने वाली महिला यह अपनी इच्छा और बिना किसी पैसे के लालच के कर रही है। इसका सर्टिफिकेट भी अनिवार्य है
नियमों में बदलाव से सरोगेसी का लाभ ज्यादा निसंतान दंपती उठा सकेंगे। सरकार का यह कदम निसंतान दंपती के लिए बड़ी सौगात है। डॉ. मोनिका सिंह, सदस्य, एप्रोप्रियेट अथॉरिटी व आइवीएफ
Published on:
19 Jan 2025 11:51 am
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