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एमपी में जबर्दस्त जल संकट, कई जिलों में नहीं मिल रहा पीने का पानी

Massive water crisis in many districts of MP मध्यप्रदेश में अभी जब ठंड का मौसम चल रहा है तब भी जल संकट की आहट सुनाई देने लगी है।

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Massive water crisis in many districts of MP

Massive water crisis in many districts of MP

मध्यप्रदेश में अभी जब ठंड का मौसम चल रहा है तब भी जल संकट की आहट सुनाई देने लगी है। प्रदेश के कई जिलों में लोगों को पीने के पानी के लिए जबर्दस्त जद्दोजहद करनी पड़ रही है। प्रदेश के दमोह, गुना जैसे जिलों में स्थिति गंभीर होती जा रही है। दमोह जिले के पथरिया और हटा तहसीलों के 250 गांवों में सीतानगर डैम से पेयजल आपूर्ति की बात कही गई थी लेकिन यह संभव नहीं हो सका है। अभी कई गांवों में पाइपलाइन ही नहीं बिछाई जा सकी है। इधर गुना जिले में महीनेभर में भू-जलस्तर 20 फीट जा गिरा जिससे 119 हैंडपंप और नलकूप सूख गए। लोग पानी के लिए तरस रहे हैं।

एमपी में लाखों ग्रामीणों को इन गर्मियों में भीषण जल संकट का सामना करना पड़ेगा। दमोह जिले के सीतानगर डैम से पेयजल आपूर्ति की महत्वाकांक्षी योजना फिलहाल कागजों तक ही सीमित है। 250 गांवों में पानी पहुंचाने के लिए पाइपलाइन बिछाई जानी थी, लेकिन अब तक सिर्फ 70 गांवों में ही यह काम पूरा हो सका है। बाकी 180 गांव अभी भी पानी की राह देख रहे हैं।

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सूख रहे हैंडपंप, तालाबों में नाममात्र का पानी
अभी से ही कई जगहों पर हैंडपंप सूख चुके हैं और तालाबों में नाममात्र का पानी बचा है। इस बार गर्मी अधिक पड़ने की आशंका जताई जा रही है, जिससे जल संकट और गहरा सकता है। इधर जल निगम महाप्रबंधक गौरव सराफ का कहना है कि दिसंबर 2025 तक सभी 250 गांवों में पाइपलाइन बिछा दी जाएगी। एजेंसी को कार्य में तेजी लाने के निर्देश दिए हैं।

गुना जिले का भी कुछ ऐसा ही हाल है। पर्याप्त बारिश के बाद भी इस बार अभी से भू- जल स्तर तेजी से नीचे गिर रहा है। खेतों में खड़ी रबी सीजन की फसलों की सिंचाई शुरू होने से यह स्थिति बन रही है। नदी और तालाबों का पानी तेजी से कम हो रहा है। स्थिति यह है कि जिले के कई गांवों में महीनेभर में जलस्तर गिरकर 15 से 20 फीट तक नीचे चला गया है। ऐसे में हैंडपंप साथ छोडऩे लगे हैं। हैंडपंप व ट्यूबवेल सूखने की सबसे ज्यादा शिकायतें बमोरी और राघौगढ़ ब्लॉक के गांवों में सामने आ रही हैं।

बमोरी के कई गांवों में औसत भू- जल स्तर 180 फीट से नीचे पहुंच गया है। वहीं चांचौड़ा में औसत भू- जल स्तर 130 से 145 फीट तक बना हुआ है। राघौगढ़ में 140 से 160, गुना में 135 से 150 और आरोन में 60 से 90 फीट औसत भू- जल स्तर बना हुआ है।

118 हैंडपंप सूखे
पीएचई के अनुसार जिले में कुल 8046 हैंडपंप हैं। वाटर लेवल गिरने से इनमें से 118 सूख गए हैं। वहीं जिले में 266 नल- जल योजनाएं हैं जिनमें से सिर्फ एक ही बंद है।

पीएचई गुना के कार्यपालन यंत्री मुकुल भटनागर बताते हैं कि जिले के कुछ गांवों में 10 से 20 फीट तक भू- जल स्तर गिर गया है। उनका कहना है कि सिंचाई शुरू होने से वाटर लेवल गिरा है। हालांकि कार्यपालन यंत्री का कहना है कि जल संकट जैसी स्थिति ज्यादा नहीं है।