बता दें कि, बैठक के दौरान विधायकों से सामान्य सवाल ही किये गए थे। पंचायत से लेकर विधानसभा चुनाव तक की तैयारी से जुड़े सवाल भी इस दौरान चर्चा का विषय रहे। हालांकि, खास ये रहा कि, बैठक में शामिल हुए अधिकतर विधायकों ने जवाब देने से पहले या बाद में अपने दर्द भी बयान किये। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, ग्वालियर-चंबल संभाग के विधायकों का कहना था कि, सरकार में काम नहीं होते। जनता के बीच जाने का मजबूत आधार उनके काम होना होता है, लेकिन अफसर इन कामों पर तवज्जो नहीं देते। एक विधायक ने तो यहां तक कहा कि, प्रमुख सचिव और कलेक्टर विधायकों की सुनते तक नहीं। इसी तरह महाकौशल के विधायकों ने कहा कि, इस अंचल से सरकार में प्रतिनिधित्व होना चाहिए।
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क्यों बदल गया बैठक का समय
भाजपा नेताओं में जारी चर्चा पर गौर करें, तो विधायकों की बैठक दोपहर में होनी थी, लेकिन अचानक इसका समय शाम 5 बजे कर दिया गया। जबकि सभी विधायक सुबह 11 बजे BJP दफ्तर पहुंच चुके थे। विधायकों से वन-टू-वन चर्चा भी देर से शुरू हुई। दोपहर करीब 12 बजे विधायकों को बताया गया कि, 6 संभागों की संयुक्त बैठक शाम को होगी। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान प्रदेश से बाहर थे, उनके आने के बाद बैठक शुरू हुई।
उठ रहे हैं सवाल
बता दें कि, विधायकों की बैठक 24 और 25 नवंबर के लिए पहले से प्रस्तावित थी। इसे 6 दिन पहले ही संगठन स्तर पर सुनिश्चित कर भाजपा कार्यालय से विधिवत विधायकों को सूचित भी कर दिया गया था। ऐसे में मुख्यमंत्री का 24 नवंबर को तमिलनाडु धार्मिक यात्रा पर जाने को लेकर संगठन पर सवाल खड़े हो रहे हैं। BJP में इसको लेकर भी चर्चा है कि विधायकों की बैठक का समय बदलने की एक वजह मुख्यमंत्री का मौजूद नहीं होना था।
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