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MP कांग्रेस में भूचाल! मीडिया प्रभारी मुकेश नायक ने दिया इस्तीफा, जीतू पटवारी ने दिखाई सख्ती

MP Congress: एमपी कांग्रेस की कलह फिर आई सामने, मुकेश नायक के इस्तीफे से सियासी गलियारों में हलचल बढ़ी, लेकिन जीती पटवारी ने दिया बड़ा संदेश...

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MP Congress

MP Congress : जीतू पटवारी के पास बैठे कांग्रेस मीडिया प्रभारी मुकेश नायक। (Photo: Facebook)

MP Congress: मध्य प्रदेश कांग्रेस में जारी आंतरिक कलह के बीच बड़ा अपडेट सामने आया है। खबर आ रही थी कि मीडिया प्रभारी मुकेश नायक ने प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी को इस्तीफा दे दिया है। वहीं अभी-अभी इस खबर पर नई जानकारी सामने आ रही है कि जीतू पटवारी मुकेश नायक के इस्तीफे पर सख्त नजर आए। फिलहाल उन्होंने नायक के इस इस्तीफे को स्वीकार नहीं किया है। बता दें कि प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने इस्तीफा नामंजूर कर यह स्पष्ट कर दिया है कि पार्टी इस समय किसी भी तरह की आंतरिक टूट-फूट बर्दाश्त नहीं करेगी।

दरअसल, मीडिया प्रभारी मुकेश नायक ने संगठन के भीतर चल रही असहमति और विभागीय मतभेदों को लेकर अपना इस्तीफा सौंपा था। इस खबर के सामने आते ही सियासी गलियारों में हलचल तेज हो गई और इसे जीतू पटवारी के नेतृत्व के लिए बड़ा झटका माना गया। लेकिन अब खुद जीतू पटवारी ने हस्तक्षेप करते हुए इस्तीफा स्वीकार करने से इनकार कर दिया है।

पटवारी का बड़ा संदेश, संगठन ही सर्वोपरि

सूत्रों के मुताबिक जीतू पटवारी ने मुकेश नायक से बातचीत कर उन्हें संगठन में बने रहने को कहा है। पटवारी का मानना है कि मतभेद बातचीत से सुलझाए जा सकते हैं और पार्टी को इस समय एकजुटता की सबसे ज्यादा जरूरत है। उन्होंने स्पष्ट संकेत दिया है कि व्यक्तिगत असंतोष के बजाय संगठनात्मक मजबूती पर फोकस किया जाएगा।

पुराने घाव फिर हुए हरे

बता दें कि 2023 विधानसभा और 2024 लोकसभा चुनावों में करारी हार के बाद कांग्रेस संगठन को मजबूत करने के दावे कर रही थी। लेकिन नवंबर 2025 में प्रदेश प्रभारी हरीश चौधरी ने जिला संगठन मंत्रियों की नियुक्तियां रद्द कर दी थीं, जिससे पार्टी में असंतोष खुलकर सामने आने लगा था। इसे पटवारी समर्थकों ने अपमान बताया था, जबकि कमलनाथ और दिग्विजय सिंह खेमे ने इसे संगठनात्मक सुधार करार दिया था।

मीडिया विभाग में मतभेद की बात स्वीकार

वहीं पार्टी सूत्रों का कहना है कि मीडिया विभाग में नियुक्तियों, रणनीति और समन्वय को लेकर मतभेद जरूर हैं, लेकिन इस्तीफा स्वीकार न किया जाना यह संकेत देता है कि फिलहाल हाईकमान और प्रदेश नेतृत्व टकराव को थामने की कोशिश में है।

पार्टी के लिए आगे की राह चुनौतीपूर्ण

गौरतलब है कि एमपी में 2027 के निकाय चुनाव और 2028 विधानसभा चुनाव से पहले यह घटनाक्रम कांग्रेस के लिए बड़ी चेतावनी माना जा रहा है। इस्तीफा नामंजूर होने से फिलहाल संकट टला है, लेकिन सवाल अब भी बरकरार है, क्या कांग्रेस अंदरूनी मतभेदों को सुलझा पाएगी या यह कलह फिर सिर उठाएगी?