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MP Election 2023: आधी आबादी का सच, महिलाओं को टिकट देने में पीछे भाजपा-कांग्रेस

गुना-अशोकनगर में आधी आबादी का सच, महिलाओं को टिकट देने में पीछे भाजपा-कांग्रेस, चंदेरी सीट पर किसी भी दल ने स्त्री को नहीं दिया मौका

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भोपाल

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Manish Geete

Oct 25, 2023

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Reservation for Women in Politics

भाजपा और कांग्रेस महिला आरक्षण की हमेशा वकालत करती रही है, लेकिन चुनावी समर में असलियत कुछ और ही नजर आती है। गुना और अशोकनगर जिले में भाजपा और कांग्रेस ने गुना विधानसभा सीट को छोड़कर बाकी जगह टिकट का वितरण कर दिया है। इसमें इन दोनों जिलों की सातों सीटों में से केवल एक चांचौड़ा विधानसभा सीट से अब तक भाजपा ने महिला उम्मीदवार को चुनाव मैदान में उतारा है। कांग्रेस दोनों जिलों में एक भी सीट पर महिला प्रत्याशी नहीं बना पाई है।

अशोकनगर जिले की चंदेरी एक ऐसी सीट है जहां से अभी तक हुए चुनाव में कभी न तो पार्टियों ने महिला प्रत्याशी को उतारा और न ही कोई महिला प्रत्याशी निर्दलीय होकर चुनाव लड़ी। पिछले विधानसभा चुनावों के आंकड़ों पर नजर डालें तो गुना जिले की विस क्षेत्र गुना, चांचौड़ा, बमोरी और राघौगढ़ से और अशोकनगर जिले की अशोकनगर, चंदेरी और मुंगावली सीट से अभी तक मात्र 15 महिला प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतरीं, जिनमें एक यानि चांचौड़ा से सन् 2013 के चुनाव में ममता मीना विजयी होकर विधानसभा पहुंची थीं, बाकी महिला प्रत्याशी को हार स्वीकारना पड़ा था।

गुना विधानसभा

गुना विधानसभा सीट से 2018 के चुनाव में भाजपा और कांग्रेस ने किसी महिला प्रत्याशी को चुनाव में नहीं उतारा। सोशलिस्ट यूनिटी सेन्टर ऑफ इंडिया ने सीमा राय को प्रत्याशी बनाया था। कांग्रेस ने 2008 के चुनाव में संगीता मोहन रजक को प्रत्याशी बनाया था, वहीं 1977 में सुशीला देवी आर्य निर्दलीय चुनाव लड़ीं। गुना विधानसभा में अभी तक मात्र तीन महिला प्रत्याशी चुनाव लड़ चुकी हैं।

बमोरी विधानसभा

गुना के परिसीमन के बाद अस्तित्व में आई बमोरी विधानसभा सीट का इतिहास रहा है, यहां से न तो भाजपा और न ही कांग्रेस ने आरक्षण का पालन न कर किसी महिला प्रत्याशी को चुनाव मैदान में उतारा। यहां से सन् 2018 के चुनाव मे सीपीआई ने सुमन देवी को चुनाव लड़ाया था। इसी चुनाव में निर्दलीय गुड्डी बाई लोधा ने भी चुनाव लड़ा। इस सीट से अभी तक दो महिला प्रत्याशी चुनाव लड़ चुकी हैं।

चांचौड़ा विधानसभा

गुना जिले की चांचौड़ा विधानसभा सीट एक ऐसी है जहां 2018 के चुनावी आंकड़े बताते हैं कि ममता के नाम की तीन महिला प्रत्याशी चुनाव लड़ी थीं। जिसमें भाजपा उम्मीदवार ममता मीना हार गई थीं। 2013 के चुनाव में भाजपा उम्मीदवार बनीं ममता मीना फिर 2008 में भाजपा ने दोबारा ममता मीना को ही प्रत्याशी बनाया था। इसके बाद 2003 में पूजा बाई किन्नर चुनाव में उतरीं जिसको 3 हजार 399 वोट मिले थे। चांचौड़ा से 4 महिलाएं चुनाव लड़ चुकी हैं।

राघौगढ़ विधानसभा

गुना जिले की और पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह की गृह विधानसभा सीट पर नजर डालें तो यहां 1977 से अभी तक हुए विधानसभा चुनाव में तीन महिलाएं चुनाव मैदान में उतरीं थीं। उनमें 2018 में राष्ट्रीय लोक समता पार्टी से रंजना कुशवाह जिनको 957 वोट मिले थे, 2003 में अनीता जैन निर्दलीय थीं इनको 1376 वोट मिले थे। सन् 1990 में अंजू जनता पार्टी से चुनाव मैदान में उतरीं थीं जिनको मात्र 392 वोट मिल पाए थे। राघौगढ़ के चुनावी इतिहास में अभी तक मात्र तीन महिलाएं चुनाव लड़ चुकी हैं।

चंदेरी विधानसभा

इसी तरह अशोकनगर जिले की तीन विधानसभा सीटें जिनमें चंदेरी, अशोकनगर और मुंगावली शामिल हैं। यहां हुए चुनावी आंकड़े बताते हैं कि चंदेरी एक ऐसी विधानसभा सीट है जहां से अभी तक एक भी महिला चुनाव मैदान में नहीं उतरी है।

अशोकनगर विधानसभा

अशोकनगर जिले की अशोकनगर विधानसभा सीट के लिए हुए पिछले चुनावों केे आंकड़ों पर नजर डालें तो अशोकनगर में 2020 में हुए विधानसभा के उपचुनाव में कांग्रेस ने आशा दोहरे को भाजपा प्रत्याशी जसपाल सिंह जज्जी के खिलाफ चुनाव लड़ाया था। वे भाजपा प्रत्याशी से 14 हजार 630 वोटों से चुनाव हार गई थीं। इसी चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी राज बाई ने 345 वोट हासिल किए थे। जिले की सीट से दो महिलाएं चुनाव लड़ चुकी हैं।

मुंगावली विधानसभा

अशोकनगर जिले की मुंगावली विधानसभा सीट के चुनावी आंकड़ें बताते हैं कि यहां न तो कांग्रेस ने किसी महिला को प्रत्याशी बनाया और न ही भाजपा ने। मगर निर्दलीय प्रत्याशी बनकर चुनाव लड़ने में महिला नेत्रियां पीछे नहीं रहीं। 2020 के उपचुनाव में सावित्री लोधी, 2018 के चुनाव में कल्पना सिंह, 2008 में सपा से सावित्री लोधी ने चुनाव लड़ा था। इससे पूर्व 1985 के चुनाव में सोमा चुनाव लड़ चुकी हैं। मुंगावली में चार बार महिला प्रत्याशी प्रत्याशी चुनाव लड़ चुकी हैं।

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