7th pay scale: सातवां वेतनमान पाने को तरस रहे अनुदान प्राप्त कॉलेजों के प्राध्यापकों को मिली राहत, हाईकोर्ट (mp high court) ने सरकार को फटकार लगाते हुए तय समय में भुगतान का दिया आदेश।
7th pay scale:मप्र हाईकोर्ट (mp high court) ने राज्य सरकार को कहा है कि अनुदान प्राप्त महाविद्यालयों के प्राध्यापकों (college professors) को भी सातवें वेतन आयोग का लाभ प्रदान किया जाए। जस्टिस विवेक जैन की सिंगल बेंच ने कहा कि 31 मार्च 2000 के पहले नियुक्त प्राध्यापकों को 1 जनवरी 2016 से प्रभावी सातवें वेतनमान के अनुसार वेतन व अन्य लाभ प्रदान किए जाएं। आगामी चार माह के भीतर याचिकाकर्ताओं को 25 प्रतिशत एरियर का भुगतान किया जाए। साथ ही सेवानिवृत्त प्राध्यापकों को शेष एरियर का भुगतान आगामी 9 माह के भीतर किया जाए।
इसके अलावा जो प्राध्यापक अभी सेवा में हैं, उन्हें आगामी 12 माह के भीतर शेष एरियर (arrears) का भुगतान करना होगा। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि उक्त समयावधि में भुगतान नहीं होने की स्थिति में 6 प्रतिशत ब्याज का भुगतान भी करना होगा।
जबलपुर निवासी मप्र अशासकीय महाविद्यालयीन प्राध्यापक संघ के प्रांताध्यक्ष डॉ. जानेंद्र त्रिपाठी व डॉ. शैलेश जैन की ओर से याचिका दायर की गई थी। इसमें कहा गया था कि राज्य सरकार ने 27 फरवरी 2024 को अशासकीय अनुदान प्राप्त महाविद्यालयों के प्राध्यापकों को सातवें वेतनमान का लाभ देने से इनकार कर दिया है। जबकि सातवें वेतनमान की अनुशंसा के बाद राज्य सरकार ने 18 जनवरी 2019 को परिपत्र जारी कर शासकीय महाविद्यालयों के प्राध्यापकों को पुनरीक्षित वेतनमान का लाभ देने के आदेश जारी किए थे। इस पर फिर याचिका दायर की गई।
हाईकोर्ट में पूर्व में दायर याचिका की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने अशासकीय अनुदान प्राप्त महाविद्यालयों के प्राध्यापकों को सातवें वेतनमान का लाभ देने के आदेश जारी किए थे। सरकार द्वारा आदेश का पालन नहीं किए जाने पर अवमानना याचिका दायर की गई थी। जिसके बाद सरकार ने उक्त आदेश के खिलाफ अपील दायर की थी। अपील खारिज होने के बावजूद सरकार ने आदेश का पालन नहीं होने पर यह याचिका दायर की गई।