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एमपी के स्कूलों में 3.30 करोड़ का बड़ा घोटाला, पत्रिका का चौंकाने वाला खुलासा

MP News: मध्य प्रदेश के श्रमोदय स्कूलों का चौंका देने वाला मामला, कंपनी का मैनेजर बना मालिक, और किया 3.30 करोड़ का बड़ा घोटाला, पत्रिका का चौंकाने वाला खुलासा

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MP News: राजधानी भोपाल और इंदौर में चल रहे श्रमोदय स्कूलों में 3.30 करोड़ की गड़बड़ी सामने आई है। यह भुगतान एक ऐसी फर्म व उसके मालिकों को किया, जिन्होंने इन दोनों स्कूलों में बच्चों को खाना ही नहीं परोसा। जब इन स्कूलों में खाना परोसने वाली वास्तविक कंपनी के खाते में भुगतान नहीं हुआ, तब कंपनी के डायरेक्टर व अन्य ने पड़ताल की तो पता चला कि भुगतान तो उनकी कंपनी के नाम से मिलती-जुलती किसी दूसरी फर्म के खाते में कर दिया गया है। प्राथमिक तौर पर दोनों स्कूलों के प्राचार्य और डीपीआइ के कुछ अधिकारियों की मिलीभगत से करोड़ों के भुगतान फर्जी तरीके से करने की बात सामने आई है। अब अधिकारी फर्जीवाड़ा करने वालों के खिलाफ एफआइआर दर्ज कराने से बच रहे हैं।

कंपनी के मैनेजर ने नाम बदलकर किया खेल, अफसरों ने दिया साथ

एमपी के भोपाल, इंदौर के स्कूलों में कनका फूड मैनेजमेंट सर्विस प्राइवेट लिमिटेड को भोजन परोसने का टेंडर मिला था। कंपनी के डायरेॉक्ट जगदीश शेट्टी का कहना है कि दोनों स्कूलों में जुलाई 2024 से मार्च 2025 तक भोजन परोसा। 3.30 करोड़ के बिल लगाए, लेकिन भुगतान नहीं मिला। कहा जाता रहा कि सरकारी भुगतान है हो जाएगा। जब नहीं हुआ तो 17 सितंबर 2025 को श्रम विभाग को शिकायत की। जहां से स्कूल शिक्षा आयुक्त शिल्पा गुप्ता को पत्र लिखे गए। जांच में पता चला कि दोनों प्राचार्यों व डीपीआइ के अधिकारियों ने मिलकर कनका फूड मैनेजमेंट सर्विस को 9 भुगतान किए, जो गौरव शर्मा के नाम पर दर्ज है।

प्राचार्य ने भी नहीं दिया ध्यान

भोपाल और इंदौर के प्राचार्य इसलिए कठघरे में हैं, क्योंकि इन स्कूलों के संचालन में आने वाले खर्च का भुगतान इन्हीं के साइन से होता है। इन प्राचार्यों को गौरव शर्मा की फर्म कनका फूड मैनेजमेंट सर्विस के खातों में भुगतान करने से पहले कनका फूड मैनेजमेंट सर्विस प्रा. लि. के डायरेक्टर से अनुमति लेनी थी। ऐसा करते तो फर्जी भुगतान होने से रोका जा सकता था।

श्रम विभाग के थे स्कूल, अब स्कूल शिक्षा विभाग कर रहा संचालन

जानकारी के अनुसार श्रम विभाग के ये चार स्कूल राजधानी भोपाल, इंदौर के अलावा जबलपुर और ग्वालियर में स्थित हैं। वर्ष 2022 में ही श्रम विभाग इन्हें स्कूल शिक्षा विभाग को दे चुका है, लेकिन अभी भी खर्च श्रम विभाग उठा रहा है। यही वजह है कि भोजन पर आने वाले खर्च का भुगतान भी श्रम विभाग करता है। यह भुगतान स्कूल शिक्षा विभाग के जरिए किया जाता है। श्रम विभाग पहले स्कूल शिक्षा को राशि देता है, उसके बाद प्राचार्य की ओर से फर्म को भुगतान किया जाता है।

पहले कंपनी में मैनेजर था

मूल कंपनी के डायरेक्टर जगदीश शेट्टी का कहना है कि गौरव शर्मा उनकी मूल कंपनी में मैनेजर थे, जिन्होंने उनकी असली कंपनी के नाम से मिलती-जुलती फर्म बनाई और भुगतान ले लिया। इसमें प्राचार्यों व अधिकारियों की मिलीभगत (mp news) है।

श्रमोदय स्कूलों का जिम्मा शिक्षा विभाग के पास

श्रमोदय स्कूलों का जिम्मा स्कूल शिक्षा विभाग को दे दिया है इसलिए श्रम विभाग सीधे किसी को भी भुगतान नहीं करता, स्कूल शिक्षा विभाग के जरिए ही करता है। गड़बड़ी संबंधी शिकायत मिली थी, जिसकी जांच के लिए आयुक्त स्कूल शिक्षा को पत्र लिखा है, अब तक जवाब नहीं आया।

-बसंत कुर्रे सचिव, श्रम विभाग