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MP News: मध्यप्रदेश में 2020 से अब तक लोकायुक्त पुलिस ने राज्य प्रशासनिक सेवा के 18 अफसरों को ट्रैप कर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मामले दर्ज किए। इस दौरान किसी भी भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) अफसर के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई। लोकायुक्त ने पांच साल में भ्रष्टाचार के 1325 मामले दर्ज किए। सबसे ज्यादा मामले राजस्व विभाग के कर्मचारियों के खिलाफ दर्ज किए गए। ज्यादातर में जांच ही चल रही है।
ईओडब्ल्यू (EOW) ने 472 अपराध दर्ज किए। इनमें से 82 का निराकरण हुआ। 383 में कार्रवाई जारी है। यह जानकारी विधानसभा के सत्र में विधायक महेश परमार के सवाल के लिखित जवाब में सरकार ने दी गई। हालांकि सरकार ने यह नहीं बताया कि सामान्य प्रशासन विभाग ने लोकायुक्त और ईओडब्ल्यू की समीक्षा कब-कब, किन अफसरों और जनप्रतिनिधियों ने की।
ब्योरे में स्पष्ट है कि पटवारियों के खिलाफ ट्रैप के 60 से ज्यादा केस बने। पंचायत सचिव से लेकर सरपंच तक को ट्रैप किया गया। इसके अलावा एसआइ, डॉक्टर, डिप्टी रेंजर, विभिन्न विभागों के इंजीनियर से लेकर बीआरसी, प्राचार्य शामिल हैं।
राज्य प्रशासनिक सेवा के अपर कलेक्टर अशोक कुमार ओहरी, एसडीएम वरुण अवस्थी, दीपक चौहान, मनीष कुमार जैन के खिलाफ भ्रष्टाचार के प्रकरण दर्ज किए गए।
लोकायुक्त पुलिस ने केस तो दर्ज किए, लेकिन जांच में कई आरोपी अधिकारी और कर्मचारियों को दोषी नहीं पाया। पांच साल में ऐसे 50 कर्मचारियों के प्रकरण खात्मा लगाकर बंद किए गए। कुछ मामलों में जांच पूरी कर कोर्ट में चालान पेश किए गए हैं। इन प्रकरणों में अदालत में सुनवाई चल रही है।
तहसीलदार रविशंकर शुक्ल, लक्ष्मण प्रसाद, सुधाकर तिवारी, चंद्रमणि सोनी एवं नायब तहसीलदार उमेश तिवारी, भगवान दास तम्खानिया, बाल्मीक प्रसाद साकेत पर भी कार्रवाई हुई। इसके साथ ही एसएन पाठक डीएमपी, अपर आयुक्त ननि भोपाल कमलेश सिंह परिहार, सीएमओ जनपद पंचायत बड़वानी रवि मुवेल, सीएमओ हरसूद मिलन पटेल, सीएमओ जनपद पंचायत सेंधवा रविकांत उइके, कृपाल सिंह सीएमओ चित्रकूट एवं सीएमओ नपा मैहर लालजी ताम्रकार भी शामिल हैं।
Published on:
01 Sept 2025 09:11 am
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