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6वीं बार बाघों की गिनती के लिए तैयार हम, 5 राज्यों के एक्सपर्ट्स ने कहा MP सबसे बेस्ट

MP News: 2022 में मिले थे 785 बाघ, अभी 1000 से ज्यादा टाइगर, 5 राज्यों के एक्सपर्ट्स ने बताया टाइगर स्टेट बाघों के लिए सबसे बेस्ट, छठी बार होने वाली गिनती से फिर बढ़ी उम्मीद...

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MP News: देश के 5 राज्यों के एक्सपर्ट के बयान के बाद, फिर बढ़ी उम्मीद... 2026 में शुरू होगी बाघों की गणना। क्या एमपी फिर बनेगा टाइगर स्टेट। (फोटो: सोशल मीडिया)

MP News: टाइगर स्टेट मप्र अब 6वीं बार बाघों की गिनती (अखिल भारतीय बाघ आकलन) के लिए तैयार है। उसके पहले विशेषज्ञों का अनुमान है कि प्रदेश में 1000 से अधिक बाघ है। यदि अनुमान सही साबित होता है तो मप्र टाइगर स्टेट का दर्जा बचाने में सफल होगा और कर्नाटक जैसे राज्यों को और मेहनत करनी पड़ सकती है। अभी प्रदेश में 785 बाघ है, यह संया वर्ष 2022 में हुए अखिल भारतीय बाघ आकलन रिपोर्ट में सामने आई थी। अब यह आकलन वर्ष 2026 में होना है।

पांच राज्यों के विशेषज्ञों ने पेंच में किया मंथन

बाघों का आकलन करने से पहले देशभर में इसकी तैयारी की जा रही है। राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण इसका नेतृत्व कर रहा है। उसी के नेतृत्व में वन्यजीव संस्थान देहरादून में बीते महीने राष्ट्रीय स्तर की बैठक हो चुकी है। इसके बाद मध्यप्रदेश के पेंच टाइगर रिजर्व में कार्यशाला हुई है, जिसमें पांच राज्यों के विशेषज्ञ जुटे थे। इनके बीच बाघों के आकलन से जुड़ी तैयारियों को लेकर बिंदुवार चर्चा हुई और तैयारियों में की जाने वाली सुधारात्मक प्रक्रिया पर बातचीत हुई।

2026 में शुरू होगी बाघों की गिनती

बाघों (Tigers in MP) का आकलन 2026 में होगा। यह रिपोर्ट काफी अध्ययन व सत्यापन के बाद ही जारी होती है। ताकि आंकड़ों में कोई दोहरा व छूट न हो। इस पूरी प्रक्रिया को करने में लंबा समय लग जाता है। साक्ष्यों से मिलान के बाद ही फाइनल रिपोर्ट का प्रकाशन शासन के द्वारा किया जाता है।

2027 में आएगी रिपोर्ट

बाघ आकलन 2026 की रिपोर्ट एक साल बाद जुलाई 2027 में आएगी, जो विश्व बाघ दिवस पर जारी की जाएगी। हर बार इस दिन रिपोर्ट जारी की जाती रही है। हालांकि तब प्राथमिक रिपोर्ट ही जारी होगी, विस्तृत रिपोर्ट आने में और एक से डेढ़ वर्ष लग जाएंगे। वनाधिकारियों का कहना है कि बाघ आंकलन की प्रक्रिया बहुत जटली है, इसमें कई स्तर पर साक्ष्य जुटाने पड़ते हैं। सभी साक्ष्यों का अध्ययन बड़ी चुनौतीपूर्ण प्रक्रिया होती है, फिर उसे दूसरे अन्य साक्ष्यों से मिलान करना पड़ता है।

मप्र में सबसे अच्छे रहवास स्थल

प्रदेश में बाघों के लिए सबसे अच्छे और अनुकूल रहवास स्थल है। इसमें बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के जंगल सबसे आगे रहे हैं, जिसकी पुष्टि भारतीय वन्यजीव संस्थान देहरादून भी अपनी विभिन्न रिपोर्टों में कर चुका है। रिजर्व की संया भी बढ़ी है। कुछ सामान्य वन क्षेत्रों में भी बाघों की मौजूदगी दिखाई दे रही है। इन सबकुछ आधार पर कहा जा सकता है कि 2022 में जब 785 बाघ थे तो इनकी संया अब तक बढ़कर 1000 तक पहुंच जानी चाहिए।

- आरके दीक्षित, वन्यप्राणी विशेषज्ञ