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नगर निगम की चेतावनी, 700 मकानों को खाली करने का नोटिस जारी

MP News: नगर निगम ने शहर भर में 1,200 से अधिक ऐसे मकानों की पहचान की है, जो कभी भी ढह सकते हैं।

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Municipal corporation (फोटो सोर्स: पत्रिका)

Municipal corporation (फोटो सोर्स: पत्रिका)

MP News: एमपी के भोपाल शहर में एक बार फिर मॉनसून की दस्तक से पहले मौत का साया मंडरा रहा है। नगर निगम ने शहर भर में 1,200 से अधिक ऐसे मकानों की पहचान की है, जो कभी भी ढह सकते हैं। इनमें से 700 जर्जर मकानों को तुरंत खाली करने की नोटिस दी गयी है। लेकिन 'खतरे के खिलाड़ी' बन चुके रहवासी अपनी जान हथेली पर रखकर इन जर्जर इमारतों में रहने की जिद पर अड़े हैं। पुराने शहर और ऐशबाग की स्थिति सबसे ज्यादा खराब है।

क्यों नहीं हट रहे लोग

नगर निगम के वरिष्ठ अधिकारियों का कहना है कि उनका लक्ष्य बारिश के मौसम में किसी भी दुर्घटना को रोकना है, इसलिए अग्रिम सूचनाएं दी जा रही हैं। लेकिन जमीनी हकीकत कहीं अधिक जटिल है-

कानूनी पेंच

पुराने शहर में किरायेदारी और मालिकाना हक के विवादों के कारण डिमोलिशन रुका हुआ है।

आर्थिक मजबूरियां

कई परिवार किरायेदार हैं और उनके पास वैकल्पिक आवास के लिए पर्याप्त धन नहीं है।

राजनीतिक हस्तक्षेप

कई जाति और समुदाय विशेष के क्षेत्रों में राजनीतिक हस्तक्षेप से कार्रवाई में देरी हुई।

लापरवाही

कुछ लोग खतरे की गंभीरता को समझ नहीं पा रहे हैं या जानबूझकर अनदेखी कर रहे हैं।

ऐशबाग: यहां दोहराई जा रही त्रासदी की कहानी

ऐशबाग हाउसिंग बोर्ड क्षेत्र की स्थिति विशेष रूप से चिंताजनक है। यहां वर्षों से नोटिस दिए जा रहे हैं। पिछले साल भी निगम ने निवासियों को खाली कराने के लिए बिजली और पानी के कनेक्शन काट दिए थे। बावजूद इसके कई निवासियों ने अवैध रूप से कनेक्शन फिर से जोड़ लिए और अभी भी जोखिम भरे घरों में रह रहे हैं। यह स्थिति बीते सालों की याद दिलाती है, जब बारिश के दौरान ऐसे ही जर्जर मकानों के ढहने से कई हादसे हुए थे।

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बीते सालों का काला इतिहास

जब ढहे आशियाने और बिकी जानें- पत्रिका ने अब तक कई बार जर्जर मकानों पर निगम की धीमी कार्रवाई पर सवाल उठाए। लेकिन अब तक कुछ नहीं हुआ।

2023-जहांगीराबाद इलाके में एक पुरानी इमारत का हिस्सा ढह गया।
2022-पुराना भोपाल के मंगलवारा क्षेत्र में पुरानी दुकान की छत गिर गई।
2021-पुराने शहर में कई बड़े हादसे हुए। करीब 30 परिवार इससे प्रभावित हुए।

'मृत्यु का घर' या 'मजबूरी का निवास'

पुराने भोपाल की कई इमारतें 100 साल से भी ज्यादा पुरानी हैं। ये घनी आबादी वाले इलाकों में स्थित हैं, जहां एक मकान ढहने से आसपास की कई इमारतें भी प्रभावित हो सकती हैं। एक तरफ निगम इन्हें 'खतरनाक' घोषित कर रहा है, तो दूसरी तरफ इन घरों में रह रहे परिवारों के लिए ये सिर्फ ईंट-पत्थर का ढांचा नहीं, बल्कि उनकी पुश्तैनी विरासत और आखिरी सहारा भी हैं। यह जिंदगी और मौत के बीच का एक जटिल सामाजिक-कानूनी संघर्ष है।

पत्रिका की नागरिकों से अपील

शहरवासी अपनी सुरक्षा के लिए जर्जर मकानों को तुरंत खाली कर दें। जान है तो जहान है! लोग निगम की चेतावनी को गंभीरता से लें और किसी बड़े हादसे से पहले सुरक्षित स्थानों पर चले जाएं।

सर्वेक्षण जारी

सभी जोज में जर्जर मकानों का सर्वेक्षण जारी है। सबसे खतरनाक संरचनाओं को पहले नोटिस जारी किए जा रहे हैं। हम स्थिति पर लगातार नजर रख रहे हैं और यदि हालात बिगड़ते हैं, तो आवश्यक कार्रवाई करेंगे।- टीना यादव, अपर आयुक्त, नगर निगम