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रहस्यमयी है यह किला, गंगू तेली से भी है इसका खास नाता

मध्य प्रदेश के ऐतिहासिक पन्नों में गौरवशाली इबारत दर्ज है...इनमें कई खूबसूरत और रहस्यमयी स्थान भी हैं, जिनकी चर्चा दुनिया भर में होती है। ऐसा ही एक टूरिस्ट स्पॉट है ग्वालियर का किला...खूबसूरत और रहस्यमयी... इस किले पर जितने भी शासक आए, उन्होंने इसे संजोया और अपनाया। यही कारण है कि यहां आज भी कई शासकों की छाप नजर आती है। अगर आप हिस्टोरिकल टूरिज्म के दीवाने हैं, कला और शिल्प आपको रास आता है, तो यहां आपका स्वागत है...

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मध्य प्रदेश के ऐतिहासिक पन्नों में गौरवशाली इबारत दर्ज है...इनमें कई खूबसूरत और रहस्यमयी स्थान भी हैं, जिनकी चर्चा दुनिया भर में होती है। ऐसा ही एक टूरिस्ट स्पॉट है ग्वालियर का किला...खूबसूरत और रहस्यमयी... इस किले पर जितने भी शासक आए, उन्होंने इसे संजोया और अपनाया। यही कारण है कि यहां आज भी कई शासकों की छाप नजर आती है। यह किला देश और दुनिया के टूरिस्ट के आकर्षण का केंद्र है। patrika.com पर आज हम आपको बता रहे हैं ग्वालियर के किले का रहस्य और इसका रोचक इतिहास...

देश के सबसे खूबसूरत किलों में से एक माना जाता है ग्वालियर का किला। माना जाता है कि यहां गणित की संख्या 0 का उपयोग किया गया था। इसका नाम आयुर्वेद के महान विशेषज्ञ ऋषि गालव के नाम पर ग्वालियर पड़ा। गालव का अर्थ है गालव ऋषि का घर यानी ग्वालियर। तीसरा सबसे पुराना किला आपको बता दें कि ग्वालियर का यह भारत का तीसरा सबसे पुराना किला है। यह लगभग 3 किलोमीटर में फैला हुआ है। इस किले का निर्माण सन 727 ईस्वी में सूर्यसेन नामक एक स्थानीय सरदार ने कराया। इस किले पर कई राजपूत राजाओं ने शासन किया। किले की स्थापना के बाद लगभग 989 वर्षों तक यह पाल वंश के राजाओं द्वारा शासित रहा। किले में बनी सुंदर मूर्तियां, दीवारों और स्तम्भों पर उकेरी गईं सुंदर कलाकृतियां पहली नजर में ही देखने वालों का मन मोह लेती हैं।

किले में जीरो का सबसे पुराना रिकॉर्ड

संख्या जीरो का दूसरा सबसे पुराना रिकॉर्ड किले के अंदर के मंदिरों में से पाया गया था। मंदिर किले के टॉप पर स्थित है। मंदिर के अंदर एक पत्थर का शिलालेख मिला, जो शून्ह चिन्ह के दूसरे सबसे पुराने रिकॉर्ड का प्रमाण है। बता दें कि यह शिलालेख लगभग 1500 साल पुराना है। किले की रक्षात्मक संरचना आपको जानकर हैरत होगी कि इस किले की संरचना रक्षात्मक है। कहने का मतलब ये है कि किला इतना मजबूत है कि अगर कोई किले पर अटैक करने की कोशिश करता है, तो किला गिरेगा नहीं, बल्कि सीधा खड़ा रहेगा।

रानी लक्ष्मीबाई के बलिदान का गवाह है ये किला

ग्वालियर किला झांसी की रानी लक्ष्मीबाई के बलिदान का भी गवाह रहा है। साथ ही आपने राजा भोज, कहाँ गंगू तेली! कहावत तो सुनी होगी। जी हां, यहां तेली का मंदिर भी मिलता है, जिसे सम्राट मिहिर भोज ने बनवाया था। इसे तेली का मंदिर इसलिए कहते हैं, क्योंकि यहां पहले भगवान विष्णु का मंदिर बनाया गया था, जिसे बाद में शिव मंदिर के रूप में तब्दील कर दिया गया।

किले से रहा साधु-संतों का जुड़ाव

इतिहास की मानें, तो राजा सूर्यसेन कुष्ठ रोग से पीड़ित था। उस समय गालव नाम के एक ऋषि ने उन्हें एक पवित्र तालाब से पानी लाकर दिया था। वह पानी पीने के बाद राजा पूरी तरह से ठीक हो गए। इसलिए सूरजसेन ने उनके नाम पर किला बनवाने का फैसला किया।

किलेे में है सास-बहू मंदिर

किले के अंदर एक मंदिर है, जिसे सास बहू मंदिर के नाम से जाना जाता है। 9वीं शताब्दी में शाही सास और बहू के बीच विवाद हुआ कि किस देवता की पूजा करनी चाहिए। इस प्रकार उन्हें संतुष्ट करने के लिए यह अनेाखा मंदिर बनाया गया, जिसमें भगवान विष्णु और भगवान शिव दोनों की पूजा की जाती है।

ग्वालियर किले में जेल

अकबर के काल में ग्वालियर किले का उपयोग जेल के रूप में भी होता था। यह अकबर ही थे, जिन्होंने 1858 में इस किले को एक जेल में बदल दिया था। कई शाही लोगों को यहां कैद किया गया था। अकबर के चचेरे भाई को यहां कैद करके रखा गया था, वहीं उनके भतीजों को भी किले में मार दिया गया था।

कैसे पहुंचे यहां

हवाई जहाज से

ग्वालियर में हवाई अड्डा भी है जो शहर के बीच से सिर्फ 8 किलोमीटर की दूरी पर है। यहां से आपको कई स्थानीय टैक्सियां और बसें मिल जाती हैं। अगर आपको हवाई अड्डे पर जाना है तो, आप टैक्सियों और बसों की सहायता से पहुंच सकते हैं। ग्वालियर से आपको दिल्ली, आगरा, इंदौर, भोपाल, मुंबई, जयपुर और वाराणसी के लिए फ्लाइट मिल जाएगी। ग्वालियर से लगभग 321 किमी दूर दिल्ली अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा है। यह दूसरे देशो से ग्वालियर फोर्ट घूमने आने वाले यात्रियों के लिए सबसे अच्छा हवाई अड्डा है।

सड़क मार्ग से ग्वालियर किला कैसे पहुंचे

आगरा के पास का एक मुख्य पर्यटक स्थल होने के वजह से ग्वालियर की सड़क परिवहन बहुत अच्छी है। जो आपको एक अच्छा और एक आरामदायक यात्रा का अनुभव कराएगी। ग्वालियर के लिए आपको निजी डीलक्स बस और राज्य की सरकारी बसों दोनों की सुविधा मिल जाएगी। ग्वालियर के पास कुछ खास पर्यटन स्थल हैं जहां से आपको यहां के लिए डायरेक्ट बस मिल सकती है। इन पर्यटन स्थलों के नाम है नई दिल्ली (321 किलोमीटर), दतिया (75 किलोमीटर), आगरा (120 किलोमीटर), चंबल अभयारण्य (150 किलोमीटर), जैसे सड़क मार्ग से आसानी से जा सकते है।

ट्रेन से ग्वालियर किला कैसे पहुंचे

ग्वालियर दिल्ली-चेन्नई और दिल्ली-मुंबई रेल लाइन का एक प्रमुख रेल जंक्शन है। यहां पर भारत के लगभग सभी महत्वपूर्ण शहरों और पर्यटन स्थलों से ट्रेन आती है। दक्षिण भारत और पश्चिमी भारत से आने वाली ट्रेनें ग्वालियर शहर से होकर गुजरती और रुकती भी हैं। जो भी लोग ग्वालियर किला घूमने का प्लान बना रहे हैं उन्हें दिल्ली, आगरा, चित्तौडग़ढ़, अजमेर, भरतपुर, मुंबई, जबलपुर, इंदौर, बैंगलोर, हैदराबाद, चेन्नई, नागपुर, भोपाल, आदि से सीधी ट्रेन मिल जाएगी।