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शारदीय नवरात्रि 2019 का 5वां व 6वां दिन: समस्त इच्छाएं पूर्ति के साथ ही मोक्ष सहित चारों फलों की प्राप्ति के लिए देवी मां की करें अराधना

Navratri Puja Vidhi : देवी मां का पांचवा (पंचमी) रूप : मां स्कंदमाता...देवी मां का छठा (षष्ठी‌) रूप : मां कात्यायनी...

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शारदीय नवरात्रि 2019 का 5वां व 6वां दिन: समस्त इच्छाएं पूर्ति के साथ ही मोक्ष सहित चारों फलों की प्राप्ति के लिए देवी मां की करें अराधना

शारदीय नवरात्रि 2019 का 5वां व 6वां दिन: समस्त इच्छाएं पूर्ति के साथ ही मोक्ष सहित चारों फलों की प्राप्ति के लिए देवी मां की करें अराधना

भोपाल। श्राद्ध या पितृ पक्ष के खत्म होते ही रविवार, 29 सितंबर से देवी उपासना का महापर्व शारदीय नवरात्र ( shardiya navratri ) आरंभ हो गया है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार नवरात्र ( navratra ) का बहुत बड़ा महत्व है। नौ दिनों तक चलने वाले इस पर्व में माता के नौ रूपों ( 9 Goddess) की पूजा होती है।

वहीं खास बात यह है कि इस बार नवरात्रों में बेहद दुर्लभ शुभ संयोग बन रहा है। बता दें, इस बार नवरात्र में सर्वार्थसिद्धि योग ( Sarvaarthasiddhi Yoga ) और अमृत सिद्धि योग ( Amrit Siddhi Yoga ) एक साथ बन रहे हैं।

इसके अलावा नवरात्रि में पांच ग्रह एक राशि में योग बना रहे हैं। दरअसल 29 सितंबर को कन्या राशि में सूर्य, मंगल, बुध, शुक्र और चंद्रमा का योग बन रहा है।

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इसके अलावा 12 साल के बाद गुरु नवरात्रि के शुरुआत में वृश्चिक राशि में रहेगा और शनि-केतु की युति धनु राशि में होगी। ज्योतिष नजरिए से ग्रहों का ऐसा संयोग इस नवरात्रि विशेष फलदायी रहने वाली होगी।

इसमें ज्योतिषशास्त्र ( jyotish shastra ) के अनुसार इस सर्वसिद्धि योग को बेहद शुभ माना जा रहा है। ऐसे में आइए जानते हैं नवरात्रि के पूरे 9 दिनों में किस दिन किस देवी की अराधना करने से मनचाहे फल की प्राप्ति होती है।

पंडित सुनील शर्मा के अनुसार देवी मां के इन नौ रूपों में हर देवी मां का अलग स्वरूप,पूजा विधि, भोग, मंत्र व आशीर्वाद होता है, ऐसे में आइये जानते हैं कि नवरात्रि में देवी मां के पांचवें रूप मां स्कंदमाता व छठे (षष्ठी‌) रूप मां कात्यायनी देवी की किस प्रकार पूजा अर्चना करनी चाहिए। साथ ही इनके मंत्र, भोग व आशीर्वाद के बारे में भी जानते हैं...

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5th Day : Devi Skandamata- नवरात्रि में देवी मां का पांचवां (पंचमी) रूप : मां स्कंदमाता...

दिन : 3 अक्टूबर 2019 (गुरुवार - thursday )

मां का स्वरूप : स्कंदमाता की चार भुजाएं हैं। इनके दाहिनी तरफ की नीचे वाली भुजा, जो ऊपर की ओर उठी हुई है, उसमें कमल पुष्प है। बाईं तरफ की ऊपर वाली भुजा में वरमुद्रा में तथा नीचे वाली भुजा जो ऊपर की ओर उठी है उसमें भी कमल पुष्प ली हुई हैं। इनका वर्ण पूर्णत: शुभ्र है। ये कमल के आसन पर विराजमान रहती हैं। इसी कारण इन्हें पद्मासना देवी भी कहा जाता है। सिंह भी इनका वाहन है।

मां की पूजा विधि : सबसे पहले चौकी (बाजोट) पर स्कंदमाता की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें। इसके बाद गंगा जल या गोमूत्र से शुद्धिकरण करें। चौकी पर चांदी, तांबे या मिट्टी के घड़े में जल भरकर उस पर कलश रखें। उसी चौकी पर श्रीगणेश, वरुण, नवग्रह, षोडश मातृका (16 देवी), सप्त घृत मातृका (सात सिंदूर की बिंदी लगाएं) की स्थापना भी करें।

इसके बाद व्रत, पूजन का संकल्प लें और वैदिक एवं सप्तशती मंत्रों द्वारा स्कंदमाता सहित समस्त स्थापित देवताओं की षोडशोपचार पूजा करें।

इसमें आवाहन, आसन, पाद्य, अध्र्य, आचमन, स्नान, वस्त्र, सौभाग्य सूत्र, चंदन, रोली, हल्दी, सिंदूर, दुर्वा, बिल्वपत्र, आभूषण, पुष्प-हार, सुगंधित द्रव्य, धूप-दीप, नैवेद्य, फल, पान, दक्षिणा, आरती, प्रदक्षिणा, मंत्र पुष्पांजलि आदि करें।

मां का भोग : मां स्कंदमाता पंचमी तिथि के दिन पूजा करके भगवती दुर्गा को केले का भोग लगाना चाहिए ।

मंत्र -सिंहासना गता नित्यं पद्माश्रि तकरद्वया।
शुभदास्तु सदा देवी स्कंदमाता यशस्विनी ।।

आशीर्वाद : इनकी उपासना से भक्त की सारी इच्छाएं पूरी हो जाती हैं, भक्त को मोक्ष मिलता है।

6th Day : DeviMaa Katyayani- नवरात्रि में देवी मां का छठा (षष्ठी‌)रूप : मां कात्यायनी...

दिन : 4 अक्टूबर 2019 (शुक्रवार - friday )

: विवाह नहीं हो रहा या फिर वैवाहिक जीवन में कुछ परेशानी है तो उसे शक्ति के इस स्वरूप की पूजा अवश्य करनी चाहिए।

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मां का स्वरूप : नौ देवियों में कात्यायनी मां दुर्गा का छठा अवतार हैं। देवी का यह स्वरूप करुणामयी है। देवी पुराण के अनुसार कात्यायन ऋषि के घर उनकी पुत्री के रूप में जन्म लेने के कारण इन्हें कात्यायनी के नाम से जाना जाता है।

मां कात्यायनी का शरीर सोने जैसा सुनहरा और चमकदार है। मां 4 भुजाधारी और सिंह पर सवार हैं। उन्होंने एक हाथ में तलवार और दूसरे हस्त में कमल का पुष्प धारण किया हुआ है। अन्य दो हाथ वरमुद्रा और अभयमुद्रा में हैं।

मां की पूजा विधि : दुर्गा पूजा के छठे दिन भी सर्वप्रथम कलश व देवी कात्यायनी जी की पूजा कि जाती है. पूजा की विधि शुरू करने पर हाथों में फूल लेकर देवी को प्रणाम कर देवी के मंत्र का ध्यान किया जाता है. देवी की पूजा के पश्चात महादेव और परम पिता की पूजा करनी चाहिए. श्री हरि की पूजा देवी लक्ष्मी के साथ ही करनी चाहिए

मां का भोग : इस दिन प्रसाद में मधु यानी शहद का प्रयोग करना चाहिए।

मंत्र -चंद्र हासोज्ज वलकरा शार्दूलवर वाहना।
कात्यायनी शुभंदद्या देवी दानव घातिनि।।

आशीर्वाद : इनकी उपासना भक्तों को बड़ी आसानी से अर्थ, धर्म, काम और मोक्ष चारों फलों की प्राप्ति होती है। उसके रोग, शोक, संताप और भय नष्ट हो जाते हैं।