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Startup Policy MP: देशभर में धूम मचा रहे MP के Startup Ideas, इनके बारे में आप नहीं जानेंगे?

Startup Policy MP: ने थामा हाथ, देश के 24 सेंटर ऑफ एंटरप्रिन्योरशिप में से एक ग्वालियर में होगा शुरू, नए आइडिया, नए कोष से युवा भरेंगे ऊंची उड़ान, अगर आप भी कर रहे हैं प्लानिंग तो जरूर पढ़ें स्टार्टअप की संभावनाओं को खंगालती पत्रिका की ये रिपोर्ट…

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Startup Policy MP: मध्यप्रदेश में स्टार्टअप की डगमग हो रही नैया को दो साल पहले बनी नई स्टार्टअप पॉलिसी (Startup Policy MP) ने थाम लिया है। इस नीति से जहां नए बिजनेस आइडिया (Business Idea) के लिए नई राहें खुली हैं, वहीं चुनिंदा स्टार्टअप देशभर में धूम मचा रहे हैं। यही कारण है, इनकी (Startup) संख्या 108 फीसदी तक बढ़ी है।

अब देश (India) के 24 सेंटर ऑफ एंटरप्रेन्योरशिप (Center of Entrepreneurship) में से एक सेंटर ग्वालियर में खुलेगा। इसके लिए अलग से कोष बनेगा। स्टार्टअप में बेहतर परफॉर्मर (Best Performer) कर्नाटक (karnatak) के साथ मिलकर प्रदेश के स्टार्टअप को नई दिशा देने की कवायद भी शुरू हुई है।

जानकारों की मानें तो प्रदेश में स्टार्टअप अब नई उड़ान भरेंगे। राज्य में स्टार्टअप के वर्तमान हालात सुधारने के साथ भविष्य की संभावनाओं को खंगालती पत्रिका की रिपोर्ट…।

अभी तक ऐसी स्थिति

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) के इंदौर में मई 2022 में स्टार्टअप की नई पॉलिसी लॉन्च (New )करते ही प्रदेश में स्टार्टअप का नया सफर शुरू हुआ। पहले सरकारी सिस्टम में स्टार्टअप की स्वीकार्यता कम थी। इस पॉलिसी के बाद स्टार्टअप को 1 करोड़ तक की छूट समेत कई आर्थिक मदद की राह खुलीं। नतीजा, स्टार्टअप के रजिस्ट्रेशन बढ़े। मोहन सरकार में रीजनल इन्वेस्टर समिट की कार्ययोजना बनी तो स्थानीय छोटे-मध्यम उद्योगों के साथ स्टार्टअप को भी प्रमुखता दी गई।

सरकार के तीन अहम कदम

-- ग्लोबल इन्वेस्टर समिट (Global Investor Summit) में एक दिन स्टार्टअप का तय। अलग निवेश जोन।

-- 2022 में स्टार्टअप नीति (Startup Policy) सरकार लेकर आई। इसमें 1 करोड़ तक की छूट व अन्य मदद।

-- ग्वालियर में स्टार्टअप पर फोकस, इन पर कॉन्क्लेव होना।

सफलता में ये बाधा

  • बेस्ट आइडिया (Best Idea) के बाद भी क्रियान्वयन में असफलता से प्रोजेक्ट फेल।
  • आर्थिक मदद की औपचारिकताएं पूरी करने में लंबा वक्त, आवेदन के बाद मंजूरी और मदद में पेंच।
  • मदद के बाद की रिपोर्ट फाइलिंग में सरकारी लापरवाही।

मध्यप्रदेश: कितने सफल, कितने डिब्बाबंद

मध्यप्रदेश में 4 साल में ही अधिकतर स्टार्टअप शुरू हुए। कुछ सरपट दौड़े, कुछ डिब्बाबंद जैसी स्थितियों में पहुंच गए। स्टार्टअप की सफलता 50-60% है। दरअसल, स्टार्टअप को सरकारी मदद मिलने में कठिनाई होती है। ऐसे में अधिकतर बेपटरी हो जाते हैं।

2022 में स्टार्टअप पॉलिसी आने और केंद्र से 15 लाख रुपए तक की मदद मिली। यही कारण रहा कि दो साल में स्टार्टअप के रजिस्ट्रेशन में 108% की वृद्धि हुई। पहले 70% स्टार्टअप डिब्बा बंद हो गए। इक्यूबेशन सेंटर भी दो साल में बढ़े हैं।

ये बने मिसाल

इंदौर में 3 दोस्तों ने 2014 में वत्साना टेक्नोलॉजीस कंपनी शुरू की। यह 300 करोड़ के टर्नओवर वाली इंटरनेशनल कंपनी है। यह कंटेंट राइटिंग बेस्ड कंपनी है। विभिन्न विषयों पर कंटेंट देती है।

इंदौर में 2015 में शुरू वायु इंडिया का टर्नओवर 100 करोड़ है। यह स्मार्ट कूलर की कंपनी है। विदेशों में इसकी बिक्री होती है। यह कूलर के दाम में एसी की ठंडक उपलब्ध कराती है।

भोपाल के कृषका नेचुरल्स ने कोदो-कुटकी से आइसक्रीम बनाई। आइआइएम काशीपुर ने 25 लाख का अनुदान भी दिया। मिलेट मिशन के तहत इसे खूब सराहा गया।

यहां स्टार्टअप को बूस्टर डोज

महाराष्ट्र: यहां देश में सबसे ज्यादा 25044 स्टार्टअप हैं। 2024 की रैंकिंग में महाराष्ट्र बेस्ट है। देश के टॉप-100 स्टार्टअप में 70% यहीं से हैं। आर्थिक मदद से लेकर 15 लाख रुपए तक के सरकारी काम देने का प्रावधान है।

दिल्ली: यहां 14,734 से ज्यादा स्टार्टअप हैं। यहां का स्टार्टअप इकोसिस्टम देश का दूसरा बेस्ट सिस्टम है। 2022-23 में नई नीति आई। इसमें 50% तक मदद का प्रावधान है। यहां एआइ बेस्ड स्टार्टअप महाकुंभ हो चुका है।

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