
Operation Sindoor
Operation Sindoor: संजना कुमार@patrika.com: Opinion: जब भी हम देश के उन शूरवीरों की कहानियां सुनते हैं, जो अपनी जान की परवाह किए बिना हमारी रक्षा करते हैं, तो हमारा दिल गर्व से भर जाता है। देशभक्ति की एक गहरी भावना हूक बनकर फूट पड़ती है, कि हम भी देश के काम आ सकें।
आज एक ऐसी ही ऐतिहासिक वीरता की कहानी बन गया है भारत का 'ऑपरेशन सिंदूर'। जिसने देश के हर नागरिक को देशभक्ति से ओत-प्रोत कर दिया। एक ऐसा जज्बा पैदा कर दिया कि आज हम अकेले नहीं, बल्कि देश का बच्चा-बच्चा सोच रहा है कैसे अपने वतन के काम आऊं।
एक ऐसी कहानी जो न केवल हमारे सैनिकों की ऐतिहासिक वीरता की गाथा है, बल्कि देशभक्ति और एकता का ऐसा आलम बन गई है कि हर हिंदुस्तानी का सीना चौड़ा हो गया है।
मध्य प्रदेश की मिट्टी से जुड़ा होने के नाते, ये ऐतिहासिक पल हमारे लिए और भी खास बन गए हैं, क्योंकि देश में ऐसी वीरता की खबरें सामने आते ही देश और उसके नागरिकों के लिए बलिदान दे चुके मध्य प्रदेश के सपूतों का बलिदान और साहस भी याद आ ही जाता है।
बात चाहे कारगिल युद्ध (1999) की हो, जिसमें 527 जवानों ने जान गंवा दी थी, इनमें मध्य प्रदेश के जांबाज भी शामिल थे। इस लड़ाई में मध्य प्रदेश के भिंड जिले के तीन जवान शहीद हुए थे। इनमें शामिल द्वितीय बटालियन राजपुताना राइफल्स रेजिमेंट के हवलदार सुल्तान सिंह नरवरिया, लांस नायक करन सिंह और ग्रेनेडियर दिनेश सिंह भदोरिया अमर हो गए। तो 16 जून 1960 को गांव पीपरी में जन्मे सुल्तान सिंह नरवरिया की शहादत को लोग आज भी नहीं भूले।
या फिर पुलवामा हमला (2019) हो, जिसमें 40 जवान शहीद हुए, इनमें मध्य प्रदेश के जबलपुर खुड़ावल निवासी अश्विनी काछी भी शामिल थे। यही नहीं, मध्य प्रदेश के जवान जम्मू कश्मीर, नक्सल प्रभावित क्षेत्रों और अन्य आतंकी मुठभेड़ों में भी जान न्यौछावर कर चुके हैं।
भूलना ना होगा कि मध्य प्रदेश सरकार शहीदों के परिवारों को 1 करोड़ रुपए की सम्मान निधि देती है। इसमें 40 प्रतिशत माता-पिता को और शेष कानूनी उत्तराधिकारियों को दिया जाता है। इससे स्पष्ट है कि एमपी में देश के लिए मर मिटने वाले जवानों की संख्या कम नहीं है।
ऑपरेशन सिंदूर में भारतीय सेनाओं ने पहलगाम में निर्मम आतंकी हमले को अंजाम देने वाले आतंकवादियों को चुन-चुन कर मारा है। भारतीय सशस्त्र बलों ने 6-7 मई की रात पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले जम्मू कश्मीर में 25 मिनट तक ताबड़तोड़ हमले कर नौ आतंकवादी ठिकानों को पूरी तरह ध्वस्त कर दिया और आतंकवादियों के मजबूत नेटवर्क की रीढ़ तोड़ दी। लेकिन यह केवल बदला लेने की भावना नहीं थी, बल्कि ऑपरेशन सिंदूर का एक और मकसद साफ था जो पूरी दुनिया को एक संदेश देता है कि…भारत अब चुप नहीं बैठेगा… जरूरत पड़ी तो ऐसे ऑपरेशन करता रहेगा। इसके साथ ही इसका एक मकसद भारत की सीमाओं पर आतंक के साये मिटाकर शांति का सूरज उगाना भी था।
लेकिन सिर्फ साहस की नहीं, ऑपरेशन सिंदूर से एकता की खुशबू भी महकती है। ऑपरेशन में पूरा भारत खुशियों में ऐसा मग्न है जैसे जवानों के साथ वे खुद भी ऑपरेशन सिंदूर का हिस्सा बने हों, एक जुट होकर लड़े हों। चारों ओर से एकजुट होकर जश्न मनाने की खबरें आ रही हैं, तो जान लें ये एकता ही हमारी सबसे बड़ी ताकत है, जो हमें हर मुश्किल में जीत दिलाती है।
ऐसे वीरों की कहानियां आंखें नम कर देती हैं। तो मन में संकल्प सा जाग जाता है कि हमें भी अपने देश के लिए कुछ करना है। मुझे लगता है, ऑपरेशन सिंदूर हर उस दिल में देशभक्ति की एक लौ जलाता है, जो अपने वतन से मोहब्बत करता है। हमें सिखाता है कि चाहे हम खेतों में हल चलाएं या शहरों में सपने संजोएं, हमारा हर छोटा प्रयास देश को मजबूत और सुरक्षित बनाता है। तो आइए, वीरों के बलिदान और ऑपरेशन सिंदूर को दिल में बसाएं और देशभक्ति, एकता जो भारत को दुनिया में सबसे अलग बनाती है, उसके दिए दिल में जलाएं। मिलकर हम भी गाएं...
'हो मेरे दम से भी मेरे वतन की जीनत,
जिस तरह फूल से होती है चमन की जीनत।'
Updated on:
08 May 2025 03:21 pm
Published on:
07 May 2025 03:27 pm
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