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पंचायत चुनाव : क्या क्या हैं एक सरपंच के अधिकार ? आसान भाषा में जानिए

क्या आप जानते हैं कि, एक सरपंच के क्या क्या काम होते हैं ? उसके अधिकार क्या हैं ? अपने गांव के लिए उसकी क्या क्या जिम्मेदारियां बनती हैं ?

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पंचायत चुनाव : क्या क्या हैं एक सरपंच के अधिकार ? आसान भाषा में जानिए

भोपाल. मध्य प्रदेश में पंचायत चुनाव का घमासान है। पहले चरण के मतदान हो चुके हैं और कुछ सीटों पर तो सरपंच घोषित भी हो चुके हैं। हालांकि, आधिकारिक तौर पर उनके नामों का ऐलान होना अभी बाकि है। लेकिन, क्या आप जानते हैं कि, भारत में सभी पदों के लिए होने वाले चुनावों में सबसे ज्यादा सरपंच के ही प्रत्याशी चुनावी मैदान में उतरते हैं। यानी भारता का सबसे बड़ा चुनाव सरपंच चुनाव ही होता है।

इसके अलावा सरपंच से जुड़ी कई अहम जानकारियां भी हम आपको आसान भाषा में यहां देने जा रहे हैं। तो क्या आप जानते हैं कि, एक सरपंच के क्या क्या काम होते हैं ? उसके अधिकार क्या हैं ? अपने गांव के लिए उसकी क्या क्या जिम्मेदारियां बनती हैं ? उसके पास अपने गांव के विकास और उससे जुड़े फैसले लेने की कितनी शक्तियां होती है ?

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क्या है 'गांव की सरकार'

पंचायती राज अधिनियम-1992 यानी ग्राम प्रधान को कई जिम्मेदारी और अधिकार दिए गए हैं। इन पंचायतों का प्रशासन चलाने की जिम्मेदारी स्वयं ग्रामवासियों को दी गई है। जिसे 'गांव की सरकार' भी कहा जाता है।


ग्रामसभा की बैठकों का अध्यक्ष

स्थानीय लोकतंत्र में सरपंच ग्रामसभा (ग्रामवासी) द्वारा निर्वाचित ग्राम पंचायत का सर्वोच्च प्रतिनिधि होता है। इसकी जिम्मेदारी ग्राम पंचायतों को विकास के पथ पर ले जाने की होती है। सरकार की योजनाओं को ग्राम पंचायतों में क्रियान्वयन कराने का जिम्मेदार भी सरपंच ही होता है। सरंपच ग्रामसभा की बैठकों का अध्यक्ष भी होता है।


सरपंच के पास गांव के लिए होती हैं सांसद के बराबर शक्तियां

वर्ष 1992 में संविधान के 73 संशोधन द्वारा इसे और मजूबती मिली है। इसके तहत पंचायतों को कई अधिकार मिले हैं। केंद्र और राज्य सरकार गांवों के विकास के लिए पंचायत निधि में करोड़ों का फंड उपलब्ध कराती है। भारत में सिर्फ सरपंच को ही ये अधिकार है कि, सरकार द्वारा मिलने वाला फंड वो गांव के विकास के लिए अपने हस्ताक्षर पर निकाल सकता है और स्वयं ही विकास कार्यों में इस्तेमाल कर सकता है। जबकि, अन्य किसी भी जनप्रतिनिधि को शासन के अपर अधिकारी जैसे कलेक्टर के हस्ताक्षर कराने पर ही निर्धारित राशि निकालने का प्रावधान है और वहीं शक्तियों की बात करें तो एक सरपंच के पास अपने गांव के लिए इतने राइट्स होते हैं, जितने जिले के लिए एक सांसद के पास होते हैं।

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