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एमपी में राह चलते पड़े मिल रहे हीरे, 5 हजार लोगों ने खोद डाला पहाड़

Panna Diamonds SDM takes action against illegal diamond mines in Sarkoha Panna जिस तरफ नजर दौड़ाओ वहां हीरे की खोज के लिए बनी चाल के पहाड़ या हीरे की निकासी के लिए बने गहरे गड्ढे नजर आते हैं।

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Panna

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Panna Diamonds SDM takes action against illegal diamond mines in Sarkoha Panna एमपी का पन्ना अपने बेशकीमती हीरों के लिए विश्व विख्यात है। यहां के कुछ इलाके तो मानो हीरे उगल रहे हैं। रुंझ डैम के पास नदी और पहाड़ी क्षेत्र में बड़ी मात्रा में हीरे मिले हैं। दो साल पहले तो यहां महज 25 दिनों में ही 100 कैरेट से ज्यादा हीरे मिल गए थे। यहां तक कि राह चलते लोगों को हीरे मिलने लगे थे। इसके बाद हजारों लोगों ने हीरे की खोज में पूरा पहाड़ ही खोद डाला।

पन्ना का सरकोहा गांव भी हीरों के लिए जाना जाता है। गांव के बच्चे-बुजुर्ग सुबह से देर रात तक हीरों की तलाश में जुटे रहते हैं। जिस तरफ नजर दौड़ाओ वहां हीरे की खोज के लिए बनी चाल के पहाड़ या हीरे की निकासी के लिए बने गहरे गड्ढे नजर आते हैं। यहां वैध से ज्यादा हीरे की अवैध खदानेे हैं। ऐसी ही एक खदान में प्रशासन ने छापामार कार्रवाई की है।

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पन्ना एसडीएम संजय कुमार नागवंशी ने पुलिस और राजस्व टीम के सरकोहा हार में हीरों के अवैध खनन पर ये कार्रवाई की। यहां पोकलेन और एलएनटी मशीन जब्त की गईं हैं। यहां मशीनों से 30 फीट तक गहरी खुदाई कर हीरे की तलाश चल रही थी। एसडीएम संजय नागवंशी ने बताया कि सरकोहा में अवैध हीरा उत्खनन की सूचना मिली थी। वहां कार्रवाई कर तीन मशीनें जब्त की हैं।

बता दें कि पन्ना जिले में वर्तमान में करीब एक हजार हीरा खदानों में पांच हजार से अधिक लोग हीरों की तलाश में लगे हैं। सन 2022 में सितंबर अक्टूबर माह में रुंझ में उथली हीरा खदानों में लोगों को खूब हीरे मिले। यहां तक कि राह चलते लोगों को भी हीरे मिले। उस दौरान लोगों को 10 हीरे तो यूं ही पड़े मिले। तब महज 25 दिनों में ही 100 से ज्यादा कैरेट के हीरे मिले थे।

इन क्षेत्रों में दबे हैं हीरे

पन्ना सर्किल में दहलान चौकी, सकरिया चौपड़ा, सरकोहा, कृष्णा कल्याणपुर (पटी), राधापुर और जनकपुर में हीरे हैं। इटवां सर्किल में हजारा मुड्ढ़ा, किटहा, रमखिरिया, बगीचा, हजारा व भरका गांव हीरा खदानों में शामिल हैं।

ऐसे मिलता है हीरा खदान का पट्टा

हीरा खदान के लिए जिला हीरा कार्यालय में 200 रुपए के चालान के साथ आवेदन देना होता है। इसके बाद हीरा विभाग हल्का पटवारी सहित अन्य विभागों से अभिमत मांगता है। एक से दो सप्ताह में हीरा खदान का पट्टा मिल जाता है। इसके बाद आठ बाई आठ मीटर का क्षेत्र चिन्ह्ति कर संबंधित व्यक्ति का सौंप दिया जाता है जिसमें ग्रेवल मिलने तक खोदने की अनुमति होती है।

मिट्टी से ऐसे निकला जाता है हीरा
हीरे की तलाश के लिए उथली हीरा खदानों में ग्रेवल (चाल) मिलने तक खोदते हैं। ग्रेवल को खदान से निकालकर सुरक्षित भंडारित कर लिया जाता है। यदि खदान किसी जल स्रोत के आसपास है तो इसे कभी भी धोया जा सकता है।

यहां ग्रेवल को धोने का अधिकांश काम बारिश के दिनों में होता है। जब धुलाई के लिए पानी आसानी से मिल जाता है। धुलाई के दौरान चाल की मिट्टी को पानी से बहा दिया जाता है। बचे हुए कंकड़ पत्थरों को सूखने के लिए धूप में डाल दिया जाता है। इन्हीं कंकड़ पत्थरों में हीरा निकलता है।