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उपचुनाव : जीत के लिए कमलनाथ को इस पुराने फॉर्मूले पर भरोसा

2018 के फॉर्मूले से जीत तैयारी में कमलनाथ।

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उपचुनाव : जीत के लिए कमलनाथ को इस पुराने फॉर्मूले पर भरोसा

भोपाल/ कोरोना काल के बीच मध्य प्रदेश की राजनीति में उपचुनाव का खुमार बढ़ता जा रहा है। भाजपा हो या कांग्रेस दोनो ही पार्टियां अपने अपने स्तर पर जीत की रणनीति बनाने में जुट गए हैं। उपचुनाव के जरिये सत्ता वापसी की राह देख रही कांग्रेस प्रदेश में एक बार फिर 2018 चुनाव के फॉर्मूले के हिसाब से चुनावी रणनीति तैयार करने में जुटी हुई है। इसके लिए पीसीसी चीफ कमलनाथ निजी एजेंसियों के जरिए 15 जिलों की 24 विधानसभा सीटों पर सर्वे कराना शुरु कर दिया है। तीन अलग-अलग एजेंसियां सर्वे करने में लगी हैं, जिसमें विधानसभावार जातीय समीकरण, स्थानीय मुद्दे और जीतने वाले उम्मीदवार के नाम तलाशे जा रहे हैं। एजेंसियों से मिलने वाली रिपोर्ट के आधार पर पार्टी 24 सीटों के लिए स्थानीय घोषणा पत्र और जिताऊ उम्मीदवार के नाम पर पार्टी मुहर लगाएगी।

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2018 चुनाव में भी इसी तर्ज पर चुने गए थे उम्मीदवार

आपको याद हो कि, 2018 के चुनाव में भी कमलनाथ ने इसी तरह निजी एजेंसी द्वारा सर्वे कराकर उम्मीदवारों का नाम चयनित किया था। यहीं वो रणनीति थी, जिसकी मदद से कमलनाथ ने बीजेपी को सत्ता से बेदखल किया था। पीसीसी चीफ कमलनाथ को उम्मीद है कि सर्वे के आधार पर प्रत्याशी चयन में पार्टी बीजेपी को कड़ी टक्कर देगी। कमलनाथ खुद रोजाना दो विधानसभा सीटों की समीक्षा कर रहे हैं। इस समीक्षा के दौरान निजी एजेंसियों से प्राप्त आंकड़ों को पार्टी नेताओं के बीच साझा किया जाता है। पीसीसी चीफ कमलनाथ विधानसभावार, जातिगत वोटरों के साथ-साथ पार्टी उम्मीदवारों को लेकर भी मंथन कर रहे हैं।

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जीत के आसार से खुलेगा टिकट का रास्ता

कांग्रेस पहले ही ये स्पष्ट कर चुकी है कि, उपचुनाव में उसी उम्मीदवार को टिकट मिलेगा, जिसकी सीट जिताने की संभावना सबसे अधिक होगी और ये संभावना सर्वे के आधार पर खुद ब खुद हर विधानसभा में उम्मीदवार का नाम स्पष्ट कर देगी। दरअसल बीजेपी और बीएसपी को छोड़कर कई नेता कांग्रेस में शामिल हुए हैं और ऐसे में कांग्रेस के अंदर टिकट की दावेदारी को लेकर घमासान बढ़ गया है। इस घमासान को खत्म करने के लिए पार्टी ने साफ कर दिया कि, उपचुनाव में पार्टी उसी उम्मीदवार का चयन करेगी, जो पार्टी को जीत दिलाने का दम रखता होगा।