
AIIMS Bhopal: एम्स ने बढ़े हुए प्रोस्टेट के इलाज के लिए एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है। एम्स ने अब बिनाइन प्रोस्टेटिक हाइपरट्रॉफी (BPH) के उपचार के लिए 'प्रोस्टेट आर्टरी एम्बलॉइजेशन' (पीएई) नामक प्रभावी अत्याधुनिक प्रक्रिया की शुरुआत की है। यह तकनीक बिना किसी सर्जरी के प्रोस्टेट के आकार को घटाकर मरीजों को राहत दिलाती है। रेडियोलॉजी डायग्नोसिस विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. (डॉ.) राजेश मलिक ने बताया कि यह प्रक्रिया अमेरिकन यूरोलॉजिकल एसोसिएशन (एयूए) और एनआइसीई यूके गाइडलाइंस द्वारा अनुमोदित है।
पीएई एक ऐसी तकनीक है, जिसमें कलाई या जांघ की धमनी में एक सूक्ष्म छेद के जरिए इंटरवेंशनल रेडियोलॉजिस्ट, इमेजिंग तकनीक की मदद से सूक्ष्म कणों को प्रोस्टेट की धमनियों में प्रवाहित करते हैं। यह कण रक्त आपूर्ति को कम या अवरुद्ध कर देते हैं, जिससे प्रोस्टेट सिकुड़ता है और बिना सर्जरी के लक्षणों में राहत मिलती है।
- न्यूनतम चोट: कोई चीरा या कट नहीं लगता।
- अस्पताल से जल्द छुट्टी: अधिकांश मरीज उसी दिन घर जा सकते हैं। सामान्य एनेस्थीसिया की आवश्यकता नहीं।
- यौन क्षमता सुरक्षित: स्तंभन या स्खलन संबंधी समस्या नहीं होती।
- वृद्ध मरीजों के लिए वरदान: यह प्रक्रिया उन वृद्ध या अन्य बीमारियों से ग्रस्त उच्च जोखिम वाले मराजों के लिए लाभदायक है। एम्स में हाल ही में 65 वर्षीय एक मरीज जिसे समस्या थी उसका सफल इलाज एम्स भोपालमें किया गया।
Published on:
25 Oct 2025 10:14 am
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