
राज्यसभा सांसद अशोक सिंह ने संसद में इंडिगो का मामला उठाया
IndiGo- देश में प्राइवेट सेक्टर की सबसे बड़ी एयरलाइन इंडिगो की दिक्कतें अभी खत्म नहीं हुई हैं। लाखों यात्रियों को कई दिनों तक परेशान करने पर कंपनी के पर कतरे गए हैं। जुर्माना से लेकर अनेक प्रतिबंधों तक का सामना करना पड़ रहा है। राज्य सभा में एक बार फिर इंडिगो का मामला उठा। एमपी से राज्यसभा सांसद अशोक सिंह ने संसद में इंडिगो से उत्पन्न समस्याओं का मुद्दा उठाया। उन्होंने इलेक्टोरल बांड खरीदने का जिक्र करते हुए पूछा कि कहीं इसके दम पर तो कंपनी ने नियमों की धज्जियां नहीं उड़ाईं! सांसद अशोक सिंह ने डीजीसीए Directorate General of Civil Aviation (नागर विमानन महानिदेशालय) को भी कठघरे में खड़ा किया। उन्होंने कहा कि यह समस्याओं और हादसों के बाद जागने वाली संस्था बन गई है।
राज्यसभा में मध्यप्रदेश के सांसद अशोक सिंह ने इंडिगो की मोनोपॉली और जनता की परेशानियों के संदर्भ में अपनी बात रखी। उन्होंने इस मुद्दे पर केंद्र सरकार को घेरा। सांसद अशोक सिंह ने राज्यसभा में कहा:
माननीय सभापति महोदय,
मैं आज सदन में देश के एविऐशन सेक्टर की तत्काल और समर्थ समीक्षा की मांग करने के लिए खड़ा हुआ हूं… पिछले एक दशक में सरकार डबल डिजिट ग्रोथ की बात कह रही है… हवाई यात्रियों की संख्या 10 करोड़ से बढ़कर 18 करोड़ हो गई है… नए एयरपोर्ट के चमकदार पावर प्वाइंट प्रेजेंटेशन भी देखने को मिलते हैं… लेकिन सच्चाई ये है कि जब सरकार फीता काटने और वाहवाही लूटने में व्यस्त थी तब हमारे ऐविएशन सेक्टर की बुनियाद खोखली हो रही थी…साल 2025 की हकीकत देखिए… ये सेक्टर केवल दबाव में नहीं है बल्कि बिखर रहा है…हमने इस साल की शुरुआत में एयर इंडिया का वो दर्दनाक हादसा देखा है…जो बदनुमा दाग है…इसने साबित कर दिया कि कैसे थकान और तकनीकी लापरवाही सैंकड़ों जिंदगियों को निगल सकती है… आज आसमान में एक नई जंग छिड़ी है… दिल्ली और मुंबई जैसे एयरपोर्ट पर जीपीएस हेकिंग हो रही है… हमारे पायलट अंधेरे में तीर चलाने को मजबूर हैं…और सरकार का जवाब क्या है…
अभी हमने देखा कि कैसे इंडिगो की मोनोपॉली ने पूरे देश को बंधक बना लिया…1500 से ज्यादा फ़्लाइट केंसिल हुई…लाखों यात्री फंसे रहे…हर टर्मिनल पर अफरातफरी मची रही …हमारे पास संसाधनों की कमी है….हमारा डीजीसीए Directorate General of Civil Aviation (नागर विमानन महानिदेशालय) एक रबर स्टांप बनकर रह गया है… एक ऐसी संस्था बन गई है जो हादसा होने के बाद जागती है…इस लापरवाही के पीछे कुछ और गंभीर वजहें हैं…हमें कुछ कड़वे प्रश्न पूछने ही होंगे….आखिर सरकार एयरलाइन पर विशेष मेहरबान क्यों है…अभी 2-3 दिनों में इलेक्टोरल बांड की खबरेें आ चुकी हैं…इंटर ग्लोब ने करीब 50 करोड़ के बांड खरीदे हैं…क्या सुरक्षा मानकोें की धज्जियां इसलिए तो नहीं उड़ाई गईं! और रेग्युलेटर अपनी आंखें मूंद लेता है…
Published on:
12 Dec 2025 03:03 pm
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